नकारात्मक विचारों से बचने के लिए करें भ्रामरी प्राणायाम
कोरोना काल में नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें। गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एंड हेल्थ-23 के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि भ्रामरी प्राणायाम में ओंकार का उच्चारण करने से जो कंपन होती है
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कोरोना काल में नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें। गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एंड हेल्थ-23 के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि भ्रामरी प्राणायाम में ओंकार का उच्चारण करने से जो कंपन होती है, वह गले और नाक से कफ को दूर करती है। इसके अलावा जब हम प्राणायाम करने के लिए गहरी सांस लेते हैं तो उस दौरान हमारे फेफड़े संकुचित और फैलते हैं इससे शरीर में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। उन्होंने बताया कि इस कंपन का प्रभाव सीधे मतिष्क पर पड़ता है, यह प्राणायाम विचारों को संतुलित करने में मदद करता है। तंत्रिका तंत्र को दुरुस्त करता है। इस प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक तनाव कम होता है। ऐसे करें भ्रामरी
-सबसे पहले आप पद्मासन, सिद्धासन या किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठ जाएं।
-रीढ़ को पूरी तरह से सीधा रखें और आंखे बंद करें।
-नाक से गहरा सांस अंदर लें।
-दोनों हाथों के अंगूठों को कान के भीतर डालें।
-तर्जनी को माथे पर रखें और अन्य अंगुलियों को बंद आंखों पर रखें।
-मुंह को बंद रखते हुए, सांस को बाहर निकलते हुए ओम का उच्चारण करें, जिसे हमममम ध्वनि उत्पन्न होगी।
-11 से लेकर 21 बार इसका अभ्यास कर सकते हैं। ये रखें सावधानियां
-इसका अभ्यास गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
-उच्च रक्तचाप, मिर्गी, छाती में दर्द या कान संक्रमण वाले व्यक्तियों को भी इसे करने से बचना चाहिए।
-अधिक भोजन करने के बाद अभ्यास न करें। भ्रामरी प्राणायाम के लाभ
-मन को शांत करता है।
-तनाव व घबराहट से राहत दिलाता है।
-ध्यान लगाने में अहम भूमिका निभाता है।
-सुनने की क्षमता को बढ़ाता है।
-आवाज को मजबूत और बेहतर बनाता है।
-एकाग्रता बढ़ाने में लाभकारी है।