पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी सहित सात के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज
विजिलेंस की टीम ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी सहित कुल सात लोगों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर अपने व परिवारिक सदस्यों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति बनाने का मामला दर्ज कराया है।
जासं, मोहाली : विजिलेंस की टीम ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी सहित कुल सात लोगों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर अपने व परिवारिक सदस्यों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति बनाने का मामला दर्ज कराया है। विजिलेंस थाना मोहाली में संयुक्त डायरेक्टर क्राइम विजिलेंस ब्यूरो मोहाली वरिदर सिंह बराड़ की शिकायत पर आरोपितों के खिलाफ पीसी एमेंडमेंट एक्ट 2018 की धारा 13 (1),(बी), 13 (2) व आइपीसी की धारा 109, 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन्हें बनाया आरोपित
आरोपितों में मकान नंबर -3048 सेक्टर -20डी चंडीगढ़ के सुमेध सिंह सैनी, कार्यकारी इंजीनियर लोक निर्माण विभाग निमरत दीप सिंह निवासी मकान नंबर -3012 सेक्टर-35डी चंडीगढ़, मकान नंबर-762 फेज-3बी1 मोहाली निवासी सुरिदरजीत सिंह जसपाल, डुगरी राजपुतां तहसील मुकेरियां जिला होशियारपुर निवासी अजय कौशल, भागड़ा तहसील मुकेरिया जिला होशियारपुर निवासी प्रदूमण सिंह, भड़ौंजियां निवासी परमजीत सिंह निवासी और मकान नंबर -16 सेक्टर-27ए चंडीगढ़ निवासी अमित सिगला शामिल हैं। निमरत दीप सिंह है मुख्य आरोपित, कुल आमदनी का 172.9 फीसद से अधिक किया खर्च
विजिलेंस की जांच में यह बात सामने आई है कि निमरत दीप सिंह मामले में मुख्य आरोपित है। उसके खिलाफ नौकरी के दौरान अपने व परिवारिक सदस्यों के नाम पर अपनी आमदनी के स्त्रोतों से अधिक चल-अचल संपत्ति बनाने संबंधी सुबूत हासिल हुए हैं। सुबूतों के आधार पर पता चला है कि यह अवैध संपत्ति एक अप्रैल 2004 से लेकर 10 दिसंबर 2020 के कार्यकाल के दौरान बनाई गई है। निमरत दीप सिंह व उसके परिवारिक सदस्यों की कुल आमदनी 20 करोड़ 57 लाख 91 हजार 681 रुपये पाई गई है। जबकि उनकी ओर से कुल खर्चा 56 करोड़ 16 लाख 69 हजार 295 रुपये किया गया। इस तरह चेक पीरियड दौरान निमरत दीप सिंह का उसके परिवारिक सदस्यों द्वारा 35 करोड़ 58 लाख 77 हजार 614 रुपये से अधिक खर्च किया गया पाया गया है। इस तरह उन्होंने कुल आमदनी से 172.9 फीसद अधिक खर्च किया है। स्पष्ट है कि कार्यकारी इंजीनियर लोक निर्माण विभाग निमरत दीप सिंह ने सुरिदरजीत सिंह जसपाल, अजय कौशल, प्रदूमण सिंह, परमजीत सिंह, अमित सिगला व सुमेध सिंह सैनी के साथ मिलकर अवैध संपत्ति बनाई है। निमरत दीप सिंह के साथी आरोपितों ने उसको ऐसा अपराध करने के लिए उकसाया जिस कारण सभी को मामले में नामजद किया गया है। 22 अलग-अलग खातों से हुई करोड़ों की ट्रांजेक्शन
निमरत दीप सिंह के पिता सुरिदरजीत सिंह सरकारी कॉलेज गुरदासपुर से वर्ष 1994 में बतौर लेक्चरर सेवा मुक्त हुए थे। उनको विरासत में गुरदासपुर स्थित रिहायश मकान सहित नौ दुकानें हासिल हुई थीं। निमरत दीप सिंह या उसके पिता को विरासत में और कोई संपत्ति हासिल नहीं हुई। निमरत दीप सिंह व उसके परिवारिक सदस्यों के नाम पर अलग-अलग बैंकों में तकरीबन 22 अलग-अलग बैंक खाते पाए गए हैं। इनमें चार करोड़ 88 लाख 4 हजार 934 रुपये बकाया पाए गए। इसके अलावा 11 करोड़ 18 लाख 78 हजार 714 रुपये की एफडीआर है। करीब दो करोड़ 12 लाख 6 हजार 825 रुपये की विदेशी करंसी खरीदी गई है और करीब 10 करोड़ रुपये बैंक खातों के जरिये अन्य कामों पर खर्च किए गए हैं। पूर्व डीजीपी सैनी को दिखाया किरायेदार
आरोपित सुरिदरजीत सिंह जसपाल व निमरत सिंह के तीन अलग-अलग साझे बैंक खातों में डब्ल्य.ूडब्ल्यू.आई.सी.एस एस्टेट कंपनी के नाम पर रकम हासिल की गई थी। यह रकम बाद में सुरिदरजीत सिंह जसपाल के एक अलग बैंक खाते में ट्रांसफर की गई और इसका इस्तेमाल मकान नंबर-3048 सेक्टर-20डी चंडीगढ़ को खरीदने में इस्तेमाल किया गया। इस मकान में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को किरायेदार बनाया गया था। एग्रीमेंट के हिसाब से (15 अक्टूबर 2018 को) मकान की पहली मंजिल ढाई लाख रुपये में किराये पर दी गई दिखाई गई थी। 11 महीने का कुल किराया 27 लाख 50 हजार बनता था, लेकिन सुमेध सैनी की ओर से 40 लाख रुपये बतौर सिक्योरिटी व 2 महीने का एडवांस किराया पांच लाख रुपये यानी कुल राशि 45 लाख रुपये अदा की गई थी। जोकि 11 महीने के कुल बनते किराये से अधिक थी। इसके अलावा सुमेध सैनी की तरफ से अगस्त 2018 से अगस्त 2020 तक अलग-अलग ट्रांजेक्शन के जरिये कुल 6 करोड़ 40 लाख रुपये सुरिदरजीत सिंह जसपाल के बैंक खाते में ट्रांसफर हुए। मामला सामने आने पर सुमेध सिंह सैनी ने पूरे मकान में रहने को जायज ठहराने की मंशा से एक इकरारनामा दो अक्टूबर 2019 को आधार बनाकर खुद को बतौर खरीददार पेश किया। अदालत में इकरारनाम फर्जी पाए जाने पर 16 जुलाई 2021 को इसे कैंसिल कर दिया गया था। सैनी की चंडीगढ़ 20डी वाली प्रॉपर्टी अटैच कर दी गई और किरायेदार सैनी को ढाई लाख रुपये प्रति महीना किराया सरकारी खजाने में जमा करवाने के निर्देश जारी किए गए हैं।