डीजीपी अरोड़ा को तीन माह की एक्सटेंशन, कैप्‍टन सरकार ने की थी एक साल की सिफारिश

पंजाब के डीजीपी सुरेश अरो़ड़ा को केंद्र सरकार ने तीन माह का सेवा विस्‍तार दिया है। राज्‍य सरकार ने उनको एक साल का सेवा विस्‍तार देने की सिफारिश की थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 11:26 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 08:49 PM (IST)
डीजीपी अरोड़ा को तीन माह की एक्सटेंशन, कैप्‍टन सरकार ने की थी एक साल की सिफारिश
डीजीपी अरोड़ा को तीन माह की एक्सटेंशन, कैप्‍टन सरकार ने की थी एक साल की सिफारिश

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा के सेवाकाल में केंद्र सरकार ने तीन माह का विस्तार दे दिया है। वह 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे। राज्‍य की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार ने उनके एक साल के सेवा विस्‍तार की सिफारिश की थी। केंद्र के नियमानुसार डीजीपी के सेवाकाल में तीन माह का ही विस्तार किया जा सकता है। इससे ज्यादा विस्तार के लिए ठोस वजह होना जरूरी है।

अरोड़ा 1982 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन माह पहले इस संबंध में फैसला दिया गया था कि राज्य सरकारें डीजीपी के रिटायर होने से तीन माह पहले ही नए डीजीपी को लगाने के लिए तीन अधिकारियों का पैनल बनाकर यूपीएसई को भेज दें। साथ ही केंद्र में इंपैनलमेंट वाले अधिकारियों को ही इस पद के लिए वरीयता क्रम में रखा जाए।

मौजूदा समय में पंजाब में अरोड़ा को लेकर दस डीजीपी हैं। अरोड़ा के बाद वरिष्ठता क्रम में 1984 बैच के एसके गोयल व 1985 बैच के मोहम्मद मुस्तफा तथा एचएस ढिल्लो हैं। बाकी डीजीपी में जसमिंदर सिंह, एस चटोपाध्याय, दिनकर गुप्ता, सीआरएस रेड्डी एमके तिवारी व वीके भांवरा शामिल हैं।

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि डीजीपी सुरेश अरोड़ा को हटाने का फैसला सरकार के पहले फैसलों में होगा। सरकार ने मुख्य सचिव सर्वेश कौशल को हटा दिया था, लेकिन अरोड़ा नहीं हटाया था। इसके बाद सूबे में पिछली व मौजूदा सरकार के कार्यकाल में हुई धार्मिक नेताओं की हत्या के मामले हल करने को लेकर अरोड़ा की पीठ भी सरकार ने ठोंकी थी। उसके बाद से अरोड़ा मुख्यमंत्री के करीब होते गए।

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अलबत्ता एसटीएफ के गठन के बाद अरोड़ा व एसटीएफ चीफ हरप्रीत सिद्धू लॉबी में छिड़ी वर्चस्व की जंग में सरकार ने खुलकर अरोड़ा का साथ दिया। इतना ही नहीं ड्रग्स के मामलों और कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को संरक्षण देने को लेकर एस चटोपाध्याय के आरोपों के बाद भी सरकार खुलकर अरोड़ा के साथ खड़ी रही।

हाल ही में पुलिस आयोग के गठन की घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि सरकार अरोड़ा के सेवाकाल में विस्तार का मन बना चुकी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी नया डीजीपी लगाने को लेकर पैनल केंद्र को नहीं भेजा था। जागरण ने बीते सप्ताह ही खुलासा कर दिया था कि डीजीपी को तीन माह की एक्सटेंशन मिलना तय है। प्रदेश की दो सरकारों में काम करने वाले पहले अरोड़ा पहले डीजीपी हैैं।

पुराने मामलों को निपटाने का मिला मौका

अरोड़ा पर लगे तमाम आरोपों को खत्म करने में यह तीन माह काफी सहायक सिद्ध होंगे। हाईकोर्ट में डीजीपी एस चटोपाध्याय की तरफ से लगाए गए आरोपों का मामला अब भी लंबित है। साथ ही ड्रग्स के मामलों में एसटीएफ की तरफ से हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट पर भी फैसला आना बाकी है। यह सारे मामले अरोड़ा के 36 साल के सेवाकाल पर उंगली उठा रहे थे। उन्होंने अपने विरोधियों को बीते दिनों चेतावनी भी दी थी कि उनके ऊपर झूठे आरोप लगाने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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केपीएस गिल के बाद मिली अरोड़ा को एक्सटेंशन

इससे पहले सुपर कॉप केपीएस गिल को आतंकवाद के दौर में सरकार ने विशेष तौर पर केंद्र सरकार से सिफारिश करके एक-एक साल की दो बार एक्सटेंशन दिलवाई थी। पंजाब से आतंकवाद के खात्मे के लिए गिल के काम को आज भी कुछ लोग सराहते हैं तो कुछ लोग उनकी कार्यप्रणाली की निंदा भी करते हैं। उनके बाद अरोड़ा दूसरे डीजीपी हैं जिन्हें सरकार की तमाम कोशिशों के बाद एक्सटेंशन दी गई है।

लक्ष्य को पूरा करूंगा : डीजीपी

सेवाकाल में विस्तार मिलने पर डीजीपी अरोड़ा ने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार ने जो फैसला किया है उसके लिए धन्यवाद। जो लक्ष्य दिया गया है उसे वह पूरा करके रहेंगे। पंजाब बदल रहा है। लोगों के हितों के लिए बदलते पंजाब को लेकर पुलिस में भी सुधार किया जा रहा है। पंजाब पुलिस ने पहले भी सभी लक्ष्यों को पूरा किया है और अभी भी लोगों की सेवा में पंजाब पुलिस पीछे नहीं रहेगी।

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