Kartarpur Corridor: सप्ताह में केवल 2000 श्रद्धालु गए श्री करतारपुर साहिब, ये छह कारण बन रहे यात्रा में रोड़ा

Kartarpur Corridor के रास्ते श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाने वाले लोगों में उत्साह की कमी दिखाई दे रही है। इसका कारण पासपोर्ट सहित कई चीजें हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 16 Nov 2019 08:59 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 08:47 AM (IST)
Kartarpur Corridor: सप्ताह में केवल 2000 श्रद्धालु गए श्री करतारपुर साहिब, ये छह कारण बन रहे यात्रा में रोड़ा
Kartarpur Corridor: सप्ताह में केवल 2000 श्रद्धालु गए श्री करतारपुर साहिब, ये छह कारण बन रहे यात्रा में रोड़ा

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। Kartarpur Corridor के रास्ते श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाने वाले लोगों में उत्साह की कमी दिखाई दे रही है। नौ नवंबर से अब तक मात्र 2000 लोगों ने ही Kartarpur Corridor के रास्ते गुरुद्वारा साहब के दर्शन किए हैं, जबकि भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने हर रोज पांच हजार और अलग अलग गुरु पर्व के अवसर पर दस हजार लोगों को श्री करतारपुर साहिब जाने की सुविधा प्रदान की है, लेकिन लोगों की कम संख्या के कारण सवाल खड़े हो रहे हैैं कि आखिर कम संख्या में लोग श्री करतारपुर साहिब क्यों जा रहे हैैं।

दैनिक जागरण ने मामले की पड़ताल की तो ऐसे कई बड़े कारण निकलकर सामने आए, जो इस प्रक्रिया को जटिल बना रहे हैैं। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत पासपोर्ट और डॉलर को लेकर है। पासपोर्ट की शर्त रखी गई है, लेकिन उस पर वीजा नहीं लग रहा और वहीं नियमों का हवाला देते हुए बैंक बिना वीजा करंसी नहीं बदल रहे हैैं।

पर्यटन की संभावना तलाश रही पंजाब सरकार की चुनौती बढ़ी

संगत के उत्साह में कमी और इन चुनौतियों ने पंजाब सरकार की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। डेरा बाबा नानक में पर्यटन की अपार संभावनाएं देख रही सरकार के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है। संगत के रुझान में कमी ने इस बात को लेकर आशंकाएं बढ़ा दी हैं कि अब डेरा बाबा नानक में होने वाले संभावित विकास में रुकावट आ सकती है। कुछ समय पहले तक दिल्ली और मुंंबई जैसे शहरों से यहां होटल खोलने की इच्छा रखने वाले जो लोग सरकार के मंत्रियों के संपर्क में थे, अब उन्होंने फोन तक करने छोड़ दिए हैं। खुद सहकारिता मंत्री सुखविंदर सिंह रंधावा कहते हैं कि उनसे सलाह मशविरा करने वाले लोगों के फोन आने अचानक बंद हो गए हैं।

वो कारण जो संगत के उत्साह में रोड़ा बने

नहीं है पासपोर्ट..

पासपोर्ट की शर्त संगत के उत्साह की सबसे बड़ी रुकावट है। पाकिस्तान सरकार मौखिक तौर पर इस बात का दावा करती है कि श्री करतारपुर साहिब के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एमओयू में पासपोर्ट की शर्त शामिल है। बड़ी संख्या में लोगों के पासपोर्ट नहीं हैं और बिना पासपोर्ट रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है।

ग्रुप रजिस्ट्रेशन, वेरिफिकेशन केवल एक की

रजिस्ट्रेशन के लिए पासपोर्ट के बारे में पूछा जाता है। उसके बाद कॉलम है कि क्या आप अकेले जा रहे हैैं या ग्रुप में। दिक्कत उन परिवारों को है जो एक साथ जाना चाहते हैैं और उन्हें ग्रुप में अप्लाई करना पड़ता है। परंतु बाद में सभी को एक साथ जाने की अनुमति नहीं मिलती। मोहाली के सतवंत सिंह इसके उदाहरण हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने परिवार के साथ रजिस्ट्रेशन करवाई, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन केवल उन्हीं की हुई। लिहाजा, सारा परिवार ही जाने से रह गया।

बीस डॉलर फीस और बैंकों की चुनौती

कई लोग डॉलर की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। इसी व्यवस्था में जुटे अश्विनी और उनके एक मित्र ने कहा कि बैंक करंसी बदलने के लिए पासपोर्ट या एयर टिकट और वीजा की मांग कर रहे हैं, जबकि हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन यानी ईटीए है। इस कारण बैंक अधिकारी अभी इस प्रक्रिया के तहत करंसी बदलने के लिए अधिकृत न होने का हवाला देकर करंसी नहीं बदल रहे। अगर वह एजेंटों से करंसी बदलवाते हैं तो वह अलग से पैसा वसूल कर रहे हैं। अश्विनी ने कहा कि सरकार को मनी एक्सचेंज की व्यवस्था सरल करनी चाहिए।

एमओयू में संशोधन नहीं

दोनों देशों में साइन हुए एमओयू के अनुसार, श्री करतारपुर साहिब जाने वाले लोगों को कम से कम 12 दिन पहले बताना पड़ता है। ऐसे में कइयों के प्रोग्राम बनकर बिगड़ रहे हैं। चूंकि लोग एक साथ दोस्तों और परिवारों के साथ जाना चाहते हैं इसलिए इतने दिन एडवांस में यदि किसी का प्रोग्राम बिगड़ रहा है तो पूरा ग्रुप ही इस यात्रा से बाहर हो जाता है। पाकिस्तान ने अब कहा है कि चार दिन पहले भी आप रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, लेकिन अभी तक एमओयू में संशोधन नहीं हुआ और पुरानी व्यवस्था ही लागू है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था कमजोर, पार्किंग का इंतजाम नहीं

पंजाब के अन्य शहरों से डेरा बाबा नानक के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था कमजोर है। यहां सिर्फ अमृतसर से दो ट्रेनें सुबह-शाम आती हैं। इसके अलावा डीएमयू दो चक्कर लगाती है। वॉल्वो बस सेवा भी नहीं है। लुधियाना, जालंधर और अमृतसर जैसे बड़े शहरों से सीधी बस सेवा नहीं है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बटाला से बस लेनी पड़ती है। अगर लोग अपनी गाडिय़ों से जाते हैं तो भारत की साइड में गाड़ी खड़ी करने की कोई पार्किंग नहीं है। जब दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई थी तो तय किया गया था कि 20 एकड़ जमीन लीज पर ली जाएगी।

अटारी से सफर सस्ता और आसान

कॉरिडोर के जरिये पाक जाने की बजाय अटारी-वाघा सीमा से वीजा लेकर पाक जाना संगत को बेहतर लग रहा है। यह सस्ता भी है और इससे वह न केवल कई गुरुधामों के दर्शन कर सकते हैं, बल्कि पाकिस्तान में कई दिन ठहर भी सकते हैं। पकिस्तान के 14 दिन के टूरिस्ट वीजा की फीस 120 रुपये प्रति व्यक्ति है। वीजा लेकर लाहौर जाने वाली संगत दो हजार रुपये खर्च करके एक साथ कई गुरुधामों के दर्शन कर सकती है, जबकि श्री करतारपुर साहिब से उसी दिन वापस आना होता है।

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