चीन पर निर्भर होने की वजह से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा

ये बात पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (सीयू) घड़ूआं द्वारा आयोजित वर्चुअल मीट में कहीं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 10:34 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:05 AM (IST)
चीन पर निर्भर होने की वजह से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा
चीन पर निर्भर होने की वजह से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा

जागरण संवाददाता, मोहाली :

सीमा विवादों से परे भारत-चीन के बीच लंबे समय से आर्थिक, सामाजिक और व्यापारिक संबंध हैं। जिस कारण दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में असहमति और संबंधों में अनिश्चितता और कड़वाहट के कई मुद्दे हैं, लेकिन फिर भी दोनों देशों को आपसी लाभ के लिए एक स्वर से बात करने की जरूरत है। ये बात पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (सीयू) घड़ूआं द्वारा आयोजित वर्चुअल मीट में कहीं।

हुड्डा ने कहा कि चीन पर निर्भर होने की वजह से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा है। भारत को चीन के प्रति दीर्घकालिक नीति तैयार करनी है और हमें विकल्पों की सीमा को देखना होगा। उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दा पुराना हो सकता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में इसमें बड़े मूलभूत परिवर्तन हुए हैं। विवादों को अलग रखने और द्विपक्षीय संबंधों के साथ आगे बढ़ने के लिए समझौता किया गया, चाहे वह व्यापार हो या सांस्कृतिक संबंध। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य के संबंधों पर चर्चा की जानी चाहिए, तो दोनों देशों को वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए सीमा क्षेत्रों से बड़ी संख्या में सैनिकों को वापस लेना चाहिए। जिससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो सकती है। चीन की भाषा में देना होगा जवाब

नेशनल सिक्योरिटी एक्सपर्ट भरत कर्नाड ने कहा चीन को उसी की भाषा में जबाव देना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को भारतीय टैलेंट को प्रोत्साहित करने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेश निति ही किसी भी देश के नजरिये को प्रदर्शित करती है और हमें अपनी सिक्योरिटी का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। लद्दाख और अन्य सीमाओं पर चीन द्वारा ऐसा माहौल बना दिया गया है, जो चिताजनक है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय आदर्श और यूनिवर्सल आईडिआस की बात करते हैं और चीन इस बात का फायदा उठा सकता है। तनाव को ध्यान में रखकर लें राजनीतिक फैसले

एडमिरल (सेवानिवृत) सुनील लांबा ने कहा कि उत्तर भारत में समुद्री क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत 7500 किलोमीटर लंबी कोस्ट लाइन है, इंडियन ओशन तीसरा सबसे बड़ा ओशन है। भारत युवा आबादी वाला देश है, जहां लोगों आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, जहां उनकी मांग और जरूरतें भी बढ़ रही हैं। इंडियन ओशन रोड और समुद्री रास्ता है, पश्चिम और पूर्व को एक-दूसरे से जोड़ता है। सिक्योरिटी एनवायरनमेंट अनिश्चित है। उन्होंने कहा कि एक और यूएस उभरती हुई शक्ति के रूप में जहां नजर आ रहा है, वहीं चीन उसके प्रतिद्वंद्वी के रूप में आगे बढ़ रहा है। समुद्री इलाकों और अन्य राज्यों में चीन के साथ पनपते विवाद और तनाव को ध्यान में रखते हुए राजनितिक फैसले लिए जाने चाहिए।

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