पॉजिटिव सोच के साथ चलते जाना ही जिदगी है : प्रो.सांघी

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा रिस्क लेना जरूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 09:50 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 09:50 PM (IST)
पॉजिटिव सोच के साथ चलते जाना ही जिदगी है : प्रो.सांघी
पॉजिटिव सोच के साथ चलते जाना ही जिदगी है : प्रो.सांघी

डॉ. सुमित श्योराण- सुमेश ठाकुर , चंडीगढ़

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा रिस्क लेना जरूरी है। कोविड-19 का यह समय सभी के लिए मुश्किल भरा है। मगर पॉजिटिव सोच और सावधानी बरतते हुए हम सभी को करियर में आगे बढ़ना होगा। लोग कब तक घरों में बैठे रहेंगे? इस तरह की आपदा प्रत्येक 100-200 वर्षो में आती रहती हैं। लेकिन चलते जाना ही जिदगी है ..यह कहना है पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज (पेक) डायरेक्टर और जाने माने शिक्षाविद प्रो.धीरज सांघी का। उन्होंने वीरवार को दैनिक जागरण के चंडीगढ़ फेसबुक पेज पर लाइव कार्यक्रम में देश भर के स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और अन्य लोगों के सवालों के जवाब दिए। ज्यादातर सवाल कोविड-19 के कारण पढ़ाई, करियर, प्लेसमेंट परीक्षा और मानसिक तनाव से जुड़े थे। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण में बढ़ते मानसिक तनाव से जुड़े सवाल पर कहा कि आज के दौर में सकारात्मक सोच बेहद जरूरी है। यह भी कहा कि पहली बार इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने को दैनिक जागरण का अच्छा कदम बताया। पढ़ाई की चिता छोड़, अब भविष्य की तैयारी करें

प्रो.धीरज ने कहा कि तीन-चार महीने स्कूल या कॉलेज जाने से पढ़ाई पर बहुत असर नहीं पड़ने वाला। अधिकतर इंस्टीट्यूट ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती तो पोस्ट कोविड-19 के बाद आएगी। अब युवाओं को भविष्य के लिए फिजिकली और मैंटल तौर पर खुद को तैयार करना होगा। प्रो.सांघी ने माना कि प्लेसमेंट पर कुछ असर पड़ा है। कुछ कंपनी ने ऑफर लेटर कैंसिल कर दी है, जबकि कुछ ने ज्वाइनिग को पोस्टपोन किया है। लेकिन सरकार के दवाब से इस साल प्लेसमेंट पर बहुत असर नहीं दिखेगा, लेकिन अगले सत्र में स्टूडेंट्स के लिए प्लेसमेंट में चुनौती कड़ी होने वाली। ऑनलाइन एजुकेशन को स्वीकार करना होगा

ऑनलाइन स्टडी की सार्थकता को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रो.सांघी ने कहा कि अब ऑनलाइन एजुकेशन को स्वीकार करना होगा। नए सिस्टम के हिसाब से एडजेस्ट करने में थोड़ी दिक्कत होगी, लेकिन यह भविष्य की जरुरत है। ऑनलाइन टीचिग सिस्टम से स्टूडेंट्स को दुनिया के बेस्ट टीचर्स का विकल्प मिल रहा है। प्रो.सांघी ने बच्चों द्वारा मोबाइल के अधिक प्रयोग पर पेरेंट्स को सतर्क किया है। पेरेंट्स बच्चों को सिर्फ पढ़ाई के लिए दो से तीन घंटे मोबाइल दें। बच्चों की सेहत के लिए मोबाइल बहुत घातक है। परेंट्स खुद अधिक मोबाइल प्रयोग की आदत को बदलें। दैनिक जागरण द्वारा फेसबुक लाइव माध्यम से कार्यक्रम बहुत अच्छा कदम है। आज के समय में बच्चे ही नहीं अभिभावकों को भी काउंसलिग की बहुत जरुरत है। कोविड-19 के कारण पढ़ाई से अधिक मानसिक तनाव बड़ी समस्या बन सकता है। इन दिनों परेंट्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

- प्रो. धीरज सांघी, डायरेक्टर पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज, चंडीगढ़

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