चंडीगढ़ के बजट पर कहीं लग ना जाए कट; एडवाइजर के सभी एचओडी को आदेश, एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांगी
चंडीगढ़ को केंद्र से मिलने वाले बजट में कहीं कटौती न हो जाए प्रशासन को इस बात का डर सताने लगा है। इसका मुख्य कारण है कि चंडीगढ़ बजट खर्च में पिछड़ गया है। इसको लेकर अब एडवाइजर धर्म पाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बजट खर्च में पिछड़ने के बाद अब प्रशासन इस गति को बढ़ाने जा रहा है। कम बजट खर्च होने से कहीं कट न लग जाए यह डर सताने लगा है। इसको देखते हुए अब सभी डिपार्टमेंट से बजट खर्चने में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। एडवाइजर धर्म पाल ने सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों की हाई प्रोफाइल मीटिंग बुलाई। इसमें उन्होंने कई डिपार्टमेंट से जुड़े मामलों पर अपडेट ली।
बैठक में बजट खर्च पर जानकारी लेने के बाद उन्होंने सभी एचओडी से अपने स्तर पर चेक रखने के आदेश दिए। साथ ही निर्धारित लक्ष्य के तहत बजट खर्च करने के आदेश दिए। इसके अलावा एडवाइजर ने अधिकारियों को स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप जल्द जारी करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि बेवजह स्कॉलरशिप नहीं अटकनी चाहिए। इस संबंध में उन्होंने डिपार्टमेंट से एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांगी है। उन्होंने साफ कहा है कि स्कॉलरशिप में देरी से स्टूडेंट्स को नुकसान नहीं होना चाहिए। उनकी शिक्षा पर इसका कोई असर न पड़े।
प्रशासक ने लंबित मामलों की मांगी रिपोर्ट
प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने यूटी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो भी शहर के लंबित मामले हैं उनकी रिपोर्ट तैयार की जाए। जो मामले यूटी प्रशासन के स्तर पर होने वाले हैं अधिकारी उन पर प्रशासक से चर्चा कर उन्हें हल करने की ओर बढ़ें। इसके अलावा जो भी मामले गृह मंत्रालय के स्तर पर होने वाले हैं उनकी रिपोर्ट अलग से बनाई जा रही है। प्रशासक पुरोहित ने कहा है कि वह ऐसे मामलों पर खुद गृह मंत्रालय से चर्चा करेंगे। चंडीगढ़ में बहुत से मामले ऐसे हैं जो कई दशकों से लंबित हैं। लीज होल्ड टू फ्री होल्ड प्रापर्टी के मामले से लेकर, प्रापर्टी में मिसयूज वॉलेशन के रेट पर अभी तक सहमति नहीं बनी है। यह भी मामला एमएचए के स्तर पर लंबित है। इसके अलावा भी कई ऐसे मामले हैं जिन पर एमएचए की मंजूरी लेनी अनिवार्य है। इन सभी फाइलों को अब प्रशासक एमएचए से टेकअप करेगा। साथ ही प्रशासक अलग से इन मामलों पर चर्चा करेंगे।