सीटीयू की बसों के लिए इंतजार कब तक..

कोरोना संक्रमण से हालात अब सामान्य हो चुके हैं। सभी पाबंदियां हटने के बाद अब सब पहले जैसा हो चुका है। बावजूद इसके चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिग (सीटीयू) पूरी बसें चलाने को तैयार नहीं है। दिलचस्प है कि रोजाना 25 से 40 फीसद बस वर्कशॉप से निकल ही नहीं रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:55 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:55 AM (IST)
सीटीयू की बसों के लिए इंतजार कब तक..
सीटीयू की बसों के लिए इंतजार कब तक..

जासं, चंडीगढ़ : कोरोना संक्रमण से हालात अब सामान्य हो चुके हैं। सभी पाबंदियां हटने के बाद अब सब पहले जैसा हो चुका है। बावजूद इसके चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिग (सीटीयू) पूरी बसें चलाने को तैयार नहीं है। दिलचस्प है कि रोजाना 25 से 40 फीसद बस वर्कशॉप से निकल ही नहीं रही हैं। सीटीयू की सभी डिपो का हाल ऐसा ही है। खासकर डिपो नंबर-दो और चार में अधिकतर बसों का पहिया थमा है। इन बसों को किसी दिक्कत के नाम पर डिपो में ही खड़े कर रखा जा रहा है। यह तो तब है अब जब रूट पर बसों की डिमांड बढ़ने लगी है। बस से चलने वाले डेली पैसेंजर को बसों का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कई रूटों पर तो 40 से 60 मिनट तक भी बसों का इंतजार करना पड़ता है। उसके बाद कहीं जाकर बस मिलती है। यही वजह है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मजबूत विकल्प की मांग लगातार उठती रही है। सीटीयू की करीब 60 रूट पर 392 बसें सिटी सर्विस के लिए हैं। जो ट्राईसिटी में चलती हैं, लेकिन कोविड के बाद से ही अभी तक पूरी क्षमता के साथ बसों को सड़कों पर नहीं उतारा गया है। 240 में से 166 बसें ही रूट पर निकलीं

सीटीयू की डिपो नंबर-2 और 4 में कुल 240 बसें हैं। लेकिन इन दोनों ही डिपो से 30 फीसद बस कम चलाई जा रही हैं। एक डिपो में 100 बसों में से 72 बस ही चलाई जा रही हैं। वहीं दूसरी डिपो की 140 बसों में से 102 बस ही चलाई गई। सूत्रों के मुताबिक मामूली कमी की वजह से बसों को रूट पर नहीं भेजा जा रहा। जबकि अधिकतर बसें चलने की कंडीशन में हैं। बसों को बिना इंस्पेक्शन ही उन्हें खड़ा कर दिया जाता है। यही वजह प्राइवेटाइजेशन को दे रही बढ़ावा

अभी चंडीगढ़ प्रशासन के इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट को पूरी तरह से प्राइवेटाइज किया गया है। एमिनेंट इलेक्ट्रिक कंपनी पावर सप्लाई का काम संभालेगी। सीटीयू भी इसी ओर बढ़ रहा है। यही वजह है कि अब बसों को खुद खरीदने की बजाए किलोमीटर स्कीम के तहत चलाना सही माना जाने लगा है। इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। इलेक्ट्रिक बसों को इसी मॉडल के तहत चलाया जा रहा है। अशोक लेलैंड कंपनी को 60 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से 40 बसें चलाने का कांट्रेक्ट दिया गया है। इसमें ऑपरेशन से मेंटेनेंस तक सब कंपनी ही करेगी। सीटीयू केवल रेवेन्यू देखेगी इसके लिए बस में कंडक्टर सीटीयू का होगा। इसी स्कीम के तहत ऑर्डिनरी बसें भी चलाने की तैयारी है। इसके लिए सोसायटी भी बनाई गई है। कई दूसरे राज्यों में भी इसी स्कीम से बस चल रही हैं। 50 फीसद पैसेंजर की शर्त हटाई, स्कूल भी खुले

हालात सामान्य होने पर बसों में अब 50 फीसद पैसेंजर ही बिठाने की शर्त हटाई जा चुकी है। अब पूरी क्षमता के साथ पैसेंजर बिठाए जा सकते हैं। अब पैसेंजर लोड बढ़ रहा है। इसलिए जो बसें चल रही हैं वह भी कम पड़ने लगी हैं। स्कूल खुल चुके हैं। स्कूलों में 60 से 70 फीसद स्टूडेंट्स आने लगे हैं। गवर्नमेंट स्कूलों के सैकड़ों स्टूडेंट्स सीटीयू बसों के सहारे ही स्कूल आते जाते हैं। कोरोना महामारी की वजह से बसें कम की गई थी। अब सब सुचारू रूप से चल रही हैं। डिपो में बेवजह बसें नहीं खड़ी हो रही।

- प्रद्युमन सिंह, डायरेक्टर, ट्रांसपोर्ट, चंडीगढ़।

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