चंडीगढ़ के दंपती ने हराया कोरोना, बोले- संक्रमण से ठीक होने के लिए अपनों का साथ जरूरी
कोरोना को हराने में अपनों का सहयोग बहुत ज्यादा जरूरी है। यह कहना है चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल अध्यापक प्रदीप कुमार का। प्रदीप कुमार के साथ उनकी पत्नी भी संक्रमित हो गई थीं। हालांकि दोनों अब कोरोना को मात देकर पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना को हराने में अपनों का सहयोग बहुत ज्यादा जरूरी है। यह कहना है चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल अध्यापक प्रदीप कुमार का। प्रदीप कुमार कोरोना को हराकर सामान्य लाइफस्टाइल में लौट चुके हैं और गांव जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदीप ने बताया कि गर्मियों की छुट्टियों में गांव जाने की सबसे ज्यादा ललक रहती है। खासकर बच्चों को गांव जाकर रहना पसंद है इसलिए मैं भी खुशी से उनके साथ जाने को उत्सुक रहता हूं। लेकिन इस बार कोरोना ने सपने तोड़ दिए। 10 मई से गर्मियों की छुट्टियां होनी थी लेकिन मैं और मेरी पत्नी राजबाला तीन मई को कोरोना पॉजिटिव आ गए।
उन्होंने बताया कि जब वह संक्रमित हुए तो बच्चों को संक्रमण से बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। दोनों बच्चे ठीक से खाना बनाना भी नहीं जानते थे। ऐसे में मेरे भाई ने सहयोग किया और दोनों बच्चों को अपने साथ ले गए। उसके बाद हम दोनों पति पत्नी घर पर ही आइसोलेट हो गए और समय पर खाना और दवाई चलती रही। शुरुआती दौर में बुखार बहुत तेज था लेकिन डॉक्टर की सलाह और भाई के सहयोग से हम 18 दिन में कोरोना को हराकर बिल्कुल ठीक हो गए। अब दोनों बच्चे भी हमारे पास हैं और अब गांव जाने की तैयारी कर रहे है।
बच्चों की जिद्द ने दी उठने की हिम्मत
प्रदीप ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी दोनों एक साथ कोरोना पॉजिटिव आए थे। ऐसे में अकेलापन तो महसूस नहीं हुआ लेकिन बच्चों का गांव जाने का शौक हमें जल्दी ठीक होने के लिए मजबूर करता रहा। मेरा और पत्नी का प्रयास था कि चाहे 15 दिन ही सही बच्चों को गांव जरूर लेकर जाएंगे ताकि वह लॉकडाउन में खुशी महसूस कर सकें।