कोरोना ने बदली रियल एस्टेट की मार्केट

कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के बाद जहां समूची मार्केट बदल गई है वहीं रियल एस्टेट कारोबार में भी नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:14 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:14 PM (IST)
कोरोना ने बदली रियल एस्टेट की मार्केट
कोरोना ने बदली रियल एस्टेट की मार्केट

जागरण संवाददाता जीरकपुर : कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के बाद जहां समूची मार्केट बदल गई है, वहीं, रियल एस्टेट कारोबार में भी नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। पहले जहां लोग बड़े-बड़े विल्ला तथा कामर्शियल प्रॉपर्टी में दिलचस्पी दिखाते थे, वहीं अब फ्लैट तथा छोटे बजट के आवासीय खंडों ओर छोटे ओफ्फिकेस की तरफ लोगों का रूझान बढ़ गया है। जीरकपुर और इसके आसपास के इलाकों में रियल एस्टेट के क्षेत्र में एक बार फिर से बूम देखने को मिल रहा है।

पिछले साल लगे लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम में बहुत से लोग पलायन कर पैतृक राज्यों की तरफ चले गए थे। साल के अंत में लोग वापस आकर कामकाज में जुटे और फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गई। ऐसे में पड़ोसी राज्यों से आकर यहां रहने वाले लोगों ने जीरकपुर में ही पक्का आशियाना बनाना शुरू कर दिया है, जिसके चलते उनका रूझान कम बजट के फ्लैट तथा कम बजट वाले आवासीय खंडों की तरफ बढ़ा है।

जीरकपुर में मोतिया ग्रुप के निदेशक मुकुल बंसल के अनुसार अफोर्डेबल हाउसिग के बारे में खरीदार पूछताछ कर रहे हैं। सरकार की नीति ने हाउसिग फॉर ऑल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई इंसेटिव्स की पेशकश की है और इसका इस सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही नए डिजिटल युग में बड़ी संख्या में विशेष रूप से नॉलेज वर्कर्स और आइटी क्षेत्र के कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम कासेप्ट को अपनाने से न्यू जेनरेशन में किराए के मकान पर रहने के बजाय घर खरीदने का ट्रेंड बढ़ रहा है।

हर व्यक्ति चाहता है अपना आशियाना

जीरकपुर व डेराबस्सी में रियल एस्टेट निवेशक ऋषिपाल कहते हैं कि लोगों की सोच बदल रही है। अब हर कोई व्यक्ति अपना आशियाना चाहता है। ऐसे में कम बजट के फ्लैट लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौर में लोग भविष्य के बजाए वर्तमान को सुरक्षित करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय से लोगों का रूझान अपना घर बनाने की तरफ बढ़ा है। मध्यम तथा अति मध्यमवर्गीय लोग भी अब फ्लैट्स लेने की तरफ दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उधर, बड़ी कंपनियों ने अपने टियर 2 और 3 शहरों के इंप्लाइज की सुविधा के लिए छोटे शहरों में कोवर्किग स्पेसेस बना रही हैं, जिससे लोगों को काम करने में सहूलियत हो इससे छोटे आफिस ओर कोवर्किग आफिस की मांग में भी उछाल देखने को मिला है। वहीं, दूसरी ओर जिन लोगों का रोजगार छिन गया है उसमें से ज्यादातर ने आपना कारोबार शुरू किया है और आफिस स्पेसेस की मांग में इजाफा हुआ है।

कंपनियां कर रहीं फ्लेक्सिबल ऑफिस मॉडल अपनाने पर विचार

डब्ल्यूटीसी चंडीगढ़ के एडवायजर कर्नल अरुण कोटवाल ने कहा की एक सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करते हुए, कई कंपनियां फ्लेक्सिबल ऑफिस मॉडल अपनाने पर विचार कर रही हैं। ऐसे में अगर बिजनेस 'वर्क फ्रॉम होम' या 'वर्क फ्रॉम एनीवेयर' को जारी रखती हैं तो कंपनियां नॉन-मेट्रो या टियर-2 शहरों में को-वर्किग स्पेस के विकल्पों की तलाश कर सकती हैं। अधिकांश कंपनियों में ज्यादातर कर्मचारी नॉन-मेट्रो शहरों से आते हैं जो 'वर्क फ्रॉम होम' पर होमटाउन लौटे हैं।

कोविड-19 की उभरती स्थिति और इससे उत्पन्न हुई चुनौतियों के कारण कई छोटे बिजनेसेज खर्च कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

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