Punjab New CM: भाजपा ने पत्ते खोले तो कांग्रेस ने चल दिया दाव, पंजाब में दलित नेता के सीएम बनने से नए चुनावी समीकरण

Punjab Dalit Card पंजाब में अगल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने दलित कार्ड खेला तो कांग्रेस ने दलित नेता को सीएम बनाकर अपना दाव चल दिया। इससे पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में समीकरण बदलने की संभावनाएं हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 08:48 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 08:48 AM (IST)
Punjab New CM: भाजपा ने पत्ते खोले तो कांग्रेस ने चल दिया दाव, पंजाब में दलित नेता के सीएम बनने से नए चुनावी समीकरण
भाजपा ने पंजाब दलित कार्ड खेला तो कांग्रेस ने बड़ा दांव चल दिया। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए दलित कार्ड खेला तो कांग्रेस ने दलित नेता‍ का सीएम बनाकर बड़ा दांव चल दिया। इससे पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022 ) में वोटों का समीकरण बदल सकता है।

भाजपा ने पत्ते खोले तो कांग्रेस ने चल दिया दांव सभी दलों का जोर दलित वोट बैंक को लुभाने पर

पांच जून, 2020 को जब तीन कृषि अध्यादेश लागू किए गए तो उसका सबसे पहले विरोध करने वालों में सुनील जाखड़ थे जो पंजाब कांग्रेस के प्रधान भी थे। उन्होंने तीन अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर इन कृषि आध्यादेशों के नुकसान के बारे में किसानों को बताया।

शिरोमणि अकाली दल ने जब यह देखा कि किसान संगठन लगातार उनसे नाराज हो रहे हैं तो अपने वोट बैंक को हाथ से जाता देख कर उसने जहां भाजपा के साथ गठजोड़ तोड़ दिया वहीं एनडीए से भी बाहर आ गई लेकिन तब तक उसका बहुत बड़ा वोट बैंक खराब हो चुका था।

उधर राहुल गांधी ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से अपनी ट्रैक्टर यात्रा शुरू कर दी। अकाली दल ने भी किसान वोट बैंक को वापस लाने के लिए पंजाब में तीन तख्त साहिबान से बड़ी रैलियां निकालीं और चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया । आम आदमी पार्टी भी तीन कृषि कानूनों का विरोध करती नजर आई। तब ऐसा लग रहा था कि मानो भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक पार्टियां किसान वोट बैंक को ही देख रही हैं ।

इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के संगठन सचिव दिनेश कुमार ने दैनिक जागरण को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी दलित को सीएम के रूप में आगे ला सकती है। बस फिर क्या था, सभी राजनीतिक पार्टियों का ध्यान अचानक दलितों की तरफ चला गया। शिरोमणि अकाली दल सत्ता में आने पर दलित उपमुख्यमंत्री बनाने का एलान कर दिया। साथ ही उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ करके अपने इस एलान को और पुख्ता भी कर दिया कि पार्टी 2022 के चुनाव में दलित कार्ड को पूरी तरह भुनाएगी।

आम आदमी पार्टी भी इससे पीछे नहीं रही। वह भी पंजाब के 31 फीसदी दलित वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है। इसीलिए उसने सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद ही अपने फायर ब्रांड नेता सुखपाल खैहरा को विपक्ष के नेता पद से हटाकर हरपाल सिंह चीमा को यह पद सौंप दिया जो दलित समुदाय से हैं। यानी कि भारतीय जनता पार्टी के एक बयान ने ही पंजाब की सारी राजनीति बदल दी। हालांकि इसी बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन भी चलता रहा और इसे एक साल पूरा हो चुका है ।

कांग्रेस ने 2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब जैसे राज्य में एक बड़ा दांव खेल दिया है। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे। पार्टी को अपने इस दलित कार्ड का कितना लाभ मिलेगा यह तो 2022 के नतीजे देखने पर ही पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस के इस फैसले ने जट्ट सिख समुदाय और हिंदू वर्ग में उथल-पुथल मचा दी है।

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