गपशप... कांग्रेस ने टाला प्रदर्शन तो आप ने झटका मौका, पढ़ें चंडीगढ़ की राजनीति की रोचक खबरें

कांग्रेस ने 31 अगस्त को नगर निगम के बाहर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की थी लेकिन अध्यक्ष सुभाष चावला बीमार हो गए हैं। अध्यक्ष के अस्वस्थ होने के कारण प्रदर्शन को भी टाल दिया गया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 10:34 AM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 10:34 AM (IST)
गपशप... कांग्रेस ने टाला प्रदर्शन तो आप ने झटका मौका, पढ़ें चंडीगढ़ की राजनीति की रोचक खबरें
31 अगस्त को आम आदमी पार्टी निगम के बाहर प्रदर्शन करेगी।

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। कांग्रेस ने 31 अगस्त को नगर निगम के बाहर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की थी, लेकिन अध्यक्ष सुभाष चावला बीमार हो गए हैं। अध्यक्ष के अस्वस्थ होने के कारण प्रदर्शन को भी टाल दिया गया है। जबकि अध्यक्ष ने अपने आफिशियल ग्रुप में नेताओं से पूछा भी बीमार होने के कारण प्रदर्शन का क्या करना चाहिए।

हालांकि अधिकतर नेता चाहते थे कि प्रदर्शन होना चाहिए अध्यक्ष की जगह उपाध्यक्ष और महासचिव को तैयारियों के लिए लीड करने का मौका दिया जाए। अधिकतर नेता मौन रहे और प्रदर्शन स्थगित कर दिया। जबकि भाजपा में ऐसा नहीं है। भाजपा में अगर अध्यक्ष व्यस्त हो तो भी घोषित कार्यक्रम को कभी टाला नहीं जाता है वहां पर पिछले दिनों ऐसा कई बार हुआ भी जब अध्यक्ष नहीं आए तो कार्यक्रम हुए भी। जब आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के प्रदर्शन के स्थगित की जानकारी मिली तो उन्होंने मौका झटकते हुए खुद नगर निगम के बाहर प्रदर्शन करने की घोषणा कर दी। जिन मुद्दों पर पहले कांग्रेस ने प्रदर्शन की घोषणा की थी उन्हीं मुद्दों पर अब आप भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है।

किसने कटवाए नाम

हाल ही में युवा कांग्रेस का एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। इस कार्यक्रम का प्रेस नोट जारी किया तो कई युवा नेता नाराज हो गए क्योंकि उनके नाम प्रेस नोट से गायब थे। जबकि वह सक्रिय तौर पर उस कार्यक्रम में मौजूद रहे। नेताओं का रोष इसलिए भी ज्यादा बढ़ गया क्योंकि एक सीनियर नेता एचएस लक्की के बेटे का नाम प्रेस नोट में डाल दिया गया जबकि वह उस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। जिन नेताओं के नाम कट गए उन्होंने जांच करनी शुरू कर दी तो पता चला कि यह प्रेस नोट पार्टी प्रवक्ताओं द्वारा न भेजकर पार्टी के ही हाल में बनाए गए संगठन सचिव द्वारा भेजा गया। लेकिन इस संगठन सचिव ने भी हाथ खड़ा कर दिया कि उसने प्रेस नोट नहीं बनाया है बल्कि उन्हें तो बना बनाया प्रेस नोट आगे मीडिया को भेजने के लिए कहा गया था। गपशप करते हुए कई नेता कह रहे हैं कि जब पार्टी की ओर से प्रवक्ता बनाए गए हैं तो फिर प्रेस नोट भेजने की जिम्मेदारी किसी दूसरे नेता को क्यों दी जा रही है।  

कमिश्नर का दिखा असर

आइएएस आनंदिता मित्रा का कमिश्नर के पद पर ज्वाइन करते ही पहले दिन ही इसका असर दिखा। कमिश्नर मैडम ने पहले दिन ज्वाइन करते हुए प्रेस नोट अंग्रेजी भाषा के साथ साथ पंजाबी और हिंदी में भी भिजवाए जबकि मीडिया कर्मी काफी लंबे अरसे से हिंदी और पंजाबी भाषा में भी प्रेस नोट भिजवाने की मांग कर रहे थे लेकिन कोई भी कमिश्नर ऐसा नहीं कर पाया। कमिश्नर आनंदिता मित्रा के इस प्रयास की गूंज प्रशासन के डीपीआर विभाग तक भी पहुंची। यहां पर भी हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रेस नोट भेजने की मांग उठी। ऐसे में अब प्रशासन में भी अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं कि वहां पर भी ऐसा प्रयास किया जाएगा। असल में आनंदिता मित्रा कमिश्नर पद से पहले पंजाब में डीपीआर विभाग के निदेशक पद पर तैनात थीं। ऐसे में उन्हें मीडिया प्रबंधन की अच्छी तरह से जानकारी है। कमिश्नर ने आते ही सभी विभागों के अधिकारियों को स्लाइड तैयार करके प्रेजेंटेशन देने के लिए कहा। शनिवार को छुट्टी के दिन भी उन्होंने अधिकारियों को प्रेजेंटेशन देने के लिए कहा जबकि चंद कर्मचारियों को इस बात का गम भी रहा कि छुट्टी के दिन भी उन्हें बुला लिया गया।

 

सलाहकार को क्या पता  

हाल ही में नगर निगम की वित्त एवं अनुबंध कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में अचानक पेड पार्किंग में स्मार्ट फीचर न होने का मामला गरमा गया। जिसमें कांग्रेस सदस्य सतीश कैंथ ने कहा कि सलाहकार धर्म पाल ने भी स्मार्ट पार्किंग पर सवाल खड़ा किया है। एक सीनियर अधिकारी ने दावा किया कि पेड पार्किंग में स्मार्ट फीचर लग चुके हैं। एक भाजपा पार्षद ने जल्दबाजी में कैंथ को जवाब देते हुए कह दिया कि सलाहकार को क्या पता कि पार्किंगों में स्मार्ट फीचर लगे हैं या नहीं। इस पार्षद का तो कहना है कि स्मार्ट फीचर लगाने का तो प्रस्ताव ही पास नहीं किया गया था। सलाहकार का नाम आते ही बैठक में दूसरे अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। जबसे सलाहकार धर्म पाल ने शहर की पेड पार्किगों पर सवाल खड़ा किया है तब से अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं कि कहीं सलाहकार पार्किंगों का निरीक्षण करने के लिए नहीं पहुंच जाए। अगर ऐसा हो गया तो उस दिन पता चल जाएगा कि पेड पार्किंग स्मार्ट है या अधिकारी। सलाहकार ने हाल ही में शहर के ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर बैठक की थी उस समय भी पार्किंगाें के मामले पर एक अधिकारी की क्लास लगाई गई थी।

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