Punjab Congress: कैप्टन अमरिंदर सिंह के आक्रामक रुख से हिला कांग्रेस हाईकमान, पंजाब में फूंक-फूंक कर रख रहा कदम

पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान और तेज हो रहा है। सीएम पद छोड़ चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। हाईकमान कांग्रेस के रुख से हिला हुआ है। नए सीएम के लिए कैप्टन की पसंद को तवज्जो देनी होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 12:42 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 01:38 PM (IST)
Punjab Congress: कैप्टन अमरिंदर सिंह के आक्रामक रुख से हिला कांग्रेस हाईकमान, पंजाब में फूंक-फूंक कर रख रहा कदम
सीएम पद से इस्तीफा देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिस आक्रामक लहजे में कहा कि 52 वर्षों की राजनीति में उन्होंने कई दोस्त बनाए हैं। उनके पास विकल्प खुले हुए हैं। कैप्टन के इस आक्रमक रवैये को कांग्रेस हाईकमान कतई हलके में नहीं ले रहा है। कांग्रेस को डर है कि अगर कैप्टन के विरोधी गुट के किसी भी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया गया तो पूर्व मुख्यमंत्री पंजाब में कांग्रेस के लिए विध्वंसक का रोल न प्ले कर दें। कांग्रेस कैप्टन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संबंधों को भी ध्यान में रख रही है। जिसे देखते हुए कांग्रेस हिंदू को ही नया मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। हिंदू चेहरे में कांग्रेस के पास सबसे बड़ा चेहरा सुनील जाखड़ का है।

कांग्रेस सुनील जाखड़ को इसलिए भी नया मुख्यमंत्री बनाना चाहती है, क्योंकि अगर जाखड़ मुख्यमंत्री होंगे तो वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के गुस्से को भी शांत कर सकते हैं, क्योंकि जाखड़ कभी कैप्टन के खासे करीबी हुआ करते थे और कैप्टन को जाखड़ के नाम पर कोई आपत्ति भी नहीं होगी। ऐसे में पार्टी के सिर से 2022 को लेकर लटकी तलवार भी हट जाएगी। कांग्रेस की चिंता यह भी है कि अगर कैप्टन भारतीय जनता पार्टी में जाते हैं तो वह अपने साथ हिंदू वोटबैंक को भी शिफ्ट करने की क्षमता रखते हैं, क्योंकि कैप्टन हिंदुओं में खासे लोकप्रिय हैं। 2017 में ही शहरी हिंदुओं ने कांग्रेस को वोट दी थी, जिसके दम पर कांग्रेस 77 सीटों पर विजय हासिल कर पाई थी।

माना जा रहा है कि कांग्रेस कभी भी यह बर्दाश्त नहीं कर पाएगी कि उसका हिंदू वोट बैंक खिसक जाए, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साथ है। देश के अन्य हिस्सों में कांग्रेस का वोट बैंक खिसक गया है। हिंदू कांग्रेस से जितना दूर हुए हैं भाजपा के उतने ही करीब गए हैं। अगर पंजाब में भी हिंदू वोट बैंक खिसक गया तो न सिर्फ पंजाब में नुकसान होगा, बल्कि पूरे देश में भी इसका असर पड़ सकता है। बता दें कि पंजाब में 45 ऐसी सीटें है, जहां पर 60 फीसद आबादी हिंदुओं की है। यही कारण है कि कांग्रेस विभाजित पंजाब के इतिहास में पहली बार किसी हिंदू चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।

चूंकि प्रदेश की कमान जट सिख नवजोत सिंह सिद्धू के हाथों में है और एसे में मुख्यमंत्री हिंदू को बना दिया जाए तो दोनों में संतुलन बैठ सकता है, जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ हैं। उन्होंने तो सिद्धू को विध्वंसक भी बता दिया है। ऐसे में अगर कांग्रेस सिद्धू के नाम पर विचार करती है तो उनके सामने सबसे बड़ी चिंता यह भी है कि कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह पाार्टी न तोड़ दें। भले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह अब मुख्यमंत्री न हों, लेकिन कांग्रेस उनकी क्षमताओं को कम नहीं आंक रही है। पंजाब का विभाजन 1966 में हुआ था। तब से लेकर अभी तक राज्य में 17 मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन इसमें से कोई भी हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बना।

1966 से लेकर अभी तक पंजाब में नहीं रहा कोई हिंदू मुख्यमंत्री

पंजाब के अब तक के मुख्यमंत्री ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर गुरनाम सिंह लक्ष्मण सिंह गिल गुरनाम सिंह प्रकाश सिंह बादल ज्ञानी जेल सिंह प्रकाश सिंह बादल दरबारा सिंह सुरजीत सिंह बरनाला बेअंत सिंह हरचरण सिंह बराड़ राजिंदर कौर भट्ठल प्रकाश सिंह बादल कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रकाश सिंह बादल प्रकाश सिंह बादल कैप्टन अमरिंदर सिंह

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