पंजाब कांग्रेस मेें घमासान चरम पर, अब बाजवा व दूलों का जाखड़ से टकराव, वार और पलटवार

पंजाब कांग्रेस में घमासान बढ़ता जा है। कांग्रेस के दो सांसदों ने पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष सुनीज जाखड़ पर हमला किया है। जाखड़ ने दोनाें को पार्टी से निकालने जाने की सिफारिश की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 07:53 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 11:43 AM (IST)
पंजाब कांग्रेस मेें घमासान चरम पर, अब बाजवा व दूलों का जाखड़ से टकराव, वार और पलटवार
पंजाब कांग्रेस मेें घमासान चरम पर, अब बाजवा व दूलों का जाखड़ से टकराव, वार और पलटवार

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब कांग्रेस में घमासान और बढ़ गया है। अब कांग्रेस के प्रदेशाध्‍यक्ष सुनील जाखड़ और पार्टी के राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा व शमशेर सिंह दूलों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। जाखड़ ने पंजाब में जहरीली शराब मामले राज्यपाल को ज्ञापन देने को अनुशासनहीनता करार दिया है। जाखड़ ने दोनों को पार्टी से बाहर करने के लिए सोनिया गांधी से सिफारिश की तो बाजवा व दूलों ने उन पर हमला बोल दिया है। सुनील जाखड़ ने कहा 'बाजवा और दूलो जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। इन दोनों का राजनीतिक अस्तित्व सिर्फ कांग्रेस हाई कमान के रहमोकरम पर है।' इसके बाद जाखड़ पर पलटवार करते हुए दूलों ने कहा कि वे बंधुआ मजदूर नहीं हैं, वहीं बाजवा ने जाखड़ को 'अमरिंदर की परछाई' करार दिया। दोनों ने जाखड़ को हुए माफिया ग्रुप का समर्थक बताया।

पंजाब कांग्रेस के प्रमुख ने कहा कि बाजवा और दूलो की कार्यवाहियों को और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि बाजवा और दूलो जैसे लोग जिनमें चुनाव का सामना करने की भी हिम्मत नहीं है, पार्टी के लिए बेमायने हैं। जाखड़ ने कहा कि पार्टी की पीठ में छुरा घोंपने वाले ऐसे सदस्यों को कोई और गंभीर नुक्सान पहुँचाने से पहले बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए।

जाखड़ ने कहा, बाजवा जैसे नेता जो चार सुरक्षा गार्ड के लिए अपना ईमान बेच सकते हैं, वह तो राज्य सभा में पार्टी के विरुद्ध भी जा सकते है। उन्होंने कहा, अमित शाह ने बाजवा की इस लालसा को पहचाना। इस मामले में उनकी काबिलियत साफ-साफ दिखाई देती है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जमकर तारीफ की

सुनील जाखड़ ने गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की। उन्‍होंने कहा कि भले ही हमारे उनके साथ राजनीतिक मतभेद हो लेकिन मैं उनके आदमी की परखने की कला का कायल हो गया हूं। अमित शाह ने कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा को चार सिक्योरिटी गार्ड अतिरिक्त देकर उनकी औकात की परख कर ली। जाखड़ ने कहा कि ऐसा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और यहां तक प्रियंका गांधी की बी सुरक्षा को कम कर दिया। विपक्ष के एक मात्र नेता प्रताप सिंह बाजवा की सुरक्षा को वाई श्रेणी से अपग्रेड कर जेड श्रेणी में ला दिया।

बता दें कि पंजाब में जहरीली शराब की वजह से 122 लोगों की मौत होने को लेकर कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बजावा और शमशेर सिंह दूलो ने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को मांग पत्र सौंपते हुए जहरीली शराब के मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। इस पर सुनील जाखड़ ने दोनों ही राज्य सभा सदस्यों के खिलाफ अनुशासनहीन की कार्रवाई करने के लिए पार्टी के अध्यक्ष सोनिया गांधी से सिफारिश कर दी। उन्होंने कहा, ‘ये जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं।’ जाखड़ ने दोनो संसद सदस्यों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।

छत्तीस का आंकड़ा रहा है बाजवा और जाखड़ का

सुनील जाखड़ और प्रताप सिंह बाजवा का शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है। 2012 में जब सुनील जाखड़ कांग्रेस विधायक दल के नेता थे और कांग्रेस ने प्रदेश की कमान प्रताप सिंह बाजवा को सौंपी थी तब से ही दोनों नेताओं के बीच खींचतान चली आ रही है। बतौर प्रदेश प्रधान बाजवा विधायकों को अपने खेमे में करने की कोशिश में जुटे रहते थे लेकिन जाखड़ के कारण कभी भी उनकी दाल नहीं गल पाई।

यहां तक की जाखड़ बाजवा को विधायक दल की बैठक में भी नहीं बुलाता थे। सुनील जाखड़ का नाम राज्य सभा में जाने के लिए लगभग फाइनल हो गया था। लेकिन प्रताप सिंह बाजवा जाखड़ के आड़े आ गए। चूंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के दबाव में राहुल गांधी को बाजवा को हटा कर कैप्टन को प्रदेश प्रधान बनाना पड़ा था। इसलिए पार्टी हाईकमान भी राज्य सभा के लिए बाजवा के हक में खड़ी हुई।

बाजवा ने किया था विरोध

2017 में गुरदासपुर के सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद जब लोक सभा के उप चुनाव हुए तो सुनील जाखड़ प्रत्याशी बने। उस समय बाजवा राज्य सदस्य थे लेकिन वह अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे। चूंकि जाखड़ फिरोजपुर के थे। इसलिए उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताया गया। बाजवा के विरोध के बावजूद न सिर्फ टिकट जाखड़ को मिली बल्कि वह भारी वोटों से जीते भी।

ताजा विवाद जाखड़ के दूलों और बाजवा को पार्टी से निष्कासित करने के बयान से शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि बाजवा और दूलो जैसे लोग जिनमें चुनाव लडऩे की हिम्मत नहीं हैंं, पार्टी के लिए बेमायने हो गए हैं। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के 2022 का चुनाव भी लड़े जाने की घोषणा के बाद से ही ये दोनों निराशा के आलम में हैं। इस बात की क्या गारंटी है कि वह राज्यसभा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी के हक में खड़े होंगे।

अपने पिता की वजह से इस पद पर हैैं जाखड़: दूलों

प्रदेश प्रधान द्वारा की गई कार्रवाई की सिफारिश पर दूलों ने पलटवार किया है। दूलों ने कहा कि वह मेहनत से इस मुकाम पर पहुंचे हैं जबकि सुनील जाखड़ अपने पिता बलराम जाखड़ के कारण इस पद पर आसीन हैं। दूलों ने कहा कि पार्टी वर्कर जानना चाहते हैैं कि जाखड़ ने प्रधान होने का धर्म कब निभाया है। क्या ड्रग, केबल, ट्रांसपोर्ट, माइङ्क्षनग और शराब माफिया से अपनी मिलीभगत के कारण ही वह चुप हैैं।

मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के कारण हुई इतनी मौतें: बाजवा

प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि पार्टी प्रधान को यह समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के कारण ही जहरीली शराब ने इतनी जानें ले लीं। इसी कारण उन्हें यह मुद्दा राज्यपाल के पास उठाना पड़ा। पहले लगता था कि कैप्टन ही पंजाब और पंजाब कांग्रेस को खत्म करने पर तुले हैं। परंतु अब साफ हुआ है कि जाखड़ भी मुख्यममंत्री की परछाई बने हुए हैं।  

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