कोरोना मरीजों के लिए एक लाख रुपये दान करे कंपनी

स्टेट कंज्यूमर कमीशन में अभी तक कई कंपनियों को हर्जाना लगा है लेकिन हाल ही में एक केस ऐसा भी आया जहां कंपनी को हर्जाने की राशि शिकायतकर्ता को नहीं बल्कि कोरोना मरीजों के लिए दान करनी होगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 08:11 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 08:11 AM (IST)
कोरोना मरीजों के लिए एक लाख रुपये दान करे कंपनी
कोरोना मरीजों के लिए एक लाख रुपये दान करे कंपनी

जासं, चंडीगढ़ : स्टेट कंज्यूमर कमीशन में अभी तक कई कंपनियों को हर्जाना लगा है लेकिन हाल ही में एक केस ऐसा भी आया जहां कंपनी को हर्जाने की राशि शिकायतकर्ता को नहीं बल्कि कोरोना मरीजों के लिए दान करनी होगी। यह कंपनी है एलएंडटी जिसने अपने उपभोक्ता को एनओसी नहीं दी थी। इस बात को लेकर सेक्टर-15 के मनीष सहगल ने चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में शिकायत दी थी। इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन ने आदेश दिया कि कंपनी को अब एनओसी तो देनी पड़ेगी ही, साथ ही 50 हजार रुपए हर्जाना भी भरना होगा। वहीं, एक लाख रुपए कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पीजीआइ के पुअर पेशेंट फंड में दान करने होंगे। इस शिकायत को लेकर आयोग ने कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा कि जब महामारी के बाद भी उपभोक्ता ने पूरी किश्त जमा करवाई थी तो किस आधार पर कंपनी ने उनकी एनओसी रोकी। वहीं कमीशन ने यह भी कहा कि जब उपभोक्ता के अकाउंट में राशि पड़ी थी तो फिर कंपनी ने किश्त क्यों नहीं काटी। हालांकि इन सवालों का जवाब देने में कंपनी असमर्थ रही और आयोग ने कंपनी पर एनओसी देने के साथ ही 50 हजार रुपये हर्जाना और एक लाख रुपये कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पीजीआई के पुअर पेशेंट फंड में दान करने का आदेश दिया। पहले आयोग ने की थी शिकायत खारिज

दो साल पहले जिला उपभोक्ता आयोग ने उनकी शिकायत को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने स्टेट कमीशन में अपील फाइल की थी और इस बार कमीशन ने फैसला उनके हक में सुनाया। मनीष ने शिकायत में बताया कि 2012 में उन्होंने एक व्हीकल खरीदने के लिए 2 लाख 70 हजार रुपये का लोन लिया था। ये लोन पांच साल के लिए था और उन्हें हर महीने 6300 रुपये की किस्त देनी थी। मनीष ने कहा कि उन्होंने पूरी किस्तें समय पर जमा करवाई थी। लेकिन जब लोन पूरा हुआ तो उन्होंने कंपनी से एनओसी मांगी तो कंपनी ने एनओसी देने से साफ मना कर दिया। कंपनी की ओर से कहा गया कि उनका अभी भी 15 हजार रुपये बकाया था। उन्होंने कमीशन में कहा कि उनकी एक या दो किस्तें जरुर टूटी थी लेकिन उन्होंने उन किश्तों का भुगतान चेक के जरिए कर दिया था। लेकिन फिर भी कंपनी ने उन्हें एनओसी नहीं दी और उनका नाम सिबिल के डिफॉल्टर्स की लिस्ट में डाल दिया।

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