पंजाब में भूजल के अध्ययन के लिए गठित होगी कमेटी, विधानसभा में स्पीकर ने की घोषणा

पंजाब में भूजल स्तर के अध्ययन के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। यह घोषणा विधानसभा में स्पीकर राणा केपी सिंह ने की। भूजल स्तर के अध्ययन के लिए गठित कमेटी में सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव भी मेंबर होंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 01:22 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 07:44 PM (IST)
पंजाब में भूजल के अध्ययन के लिए गठित होगी कमेटी, विधानसभा में स्पीकर ने की घोषणा
पंजाब में ग्राउंड वाटर के अध्ययन के लिए बनेगी कमेटी।

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में भूजल का नए सिरे से अध्ययन करने के लिए विधानसभा की एक कमेटी गठित की जाएगी। सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव भी इसके मेंबर होंगे। कमेटी को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देनी होगी। वीरवार को विधानसभा में भूजल के गिरते स्तर को लेकर आए गैर सरकारी प्रस्ताव को पारित करते हुए यह घोषणा स्पीकर राणा केपी सिंह ने की। विधायक राणा गुरजीत और कुलदीप वैद्य ने पंजाब में भूजल का आकलन करने को लेकर कमेटी गठित करने की मांग की थी। राणा गुरजीत ने केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के कई हिस्सों पर असहमति जताई थी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जल बोर्ड का जो आकलन भूजल को रिचार्ज करने के बारे में है, उससे वह सहमत नहीं हैं।

सदन में इस गंभीर विषय को सुनने का आलम यह था कि सत्ता पक्ष के 80 में से मात्र 20, शिअद के 14 में से 2, आप के 19 में से 11 विधायक मौजूद थे। जबकि भाजपा व लोक इंसाफ पार्टी के दो-दो विधायकों में से कोई उपस्थित नहीं था। बहस में भाग लेने वाले सभी विधायक ने पानी बचाने पर जोर दिया। सभी धान और गेहूं के फसली चक्र को बदलने की वकालत की और धान की सीधी बिजाई को सराहा।

कहा कि इससे 35 फीसदी से ज्यादा पानी की बचत होती है। राणा गुरजीत ने पानी को लेकर आंकड़े पेश करते हुए कहा कि यदि धान का विकल्प नहीं सोचा गया तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब भी रेगिस्तान बन जाएगा। उन्होंने धान की वैकल्पिक फसल गन्ने की पैदावार बढ़ाने के अपने तर्जुबे को साझा किया और कहा कि सहकारिता मंत्री गन्ने का रेट नहीं उसकी पैदावार बढ़ाएं। इससे किसानों को 90 हजार रुपये प्रति एकड़ का फायदा हो सकता है। उन्होंने सहकारिता मंत्री को चुनौती दी कि आपने गन्ना रिसर्च केंद्र को अपने जिले गुरदासपुर में ले जाने का गलत फैसला लिया लेकिन आपको गन्ने पर लगा सेस हम नहीं ले जाने देंगे।

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने ग्राउंड वाटर अथॉरिटी बनाकर एक अच्छा कदम उठाया है लेकिन इस अथारिटी के काम करने से पहले इस बात की जरूरत है कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों में पानी की स्थिति क्या है, पानी रिचार्ज न होने के कारण क्या है और इसको ठीक करने के लिए क्या किया जाना चाहिए, इस पर ध्यान देना होगा। आप के विधायक कंवर संधू ने कहा कि भूजल स्तर को लेकर सारा ठीकरा केंद्र पर न फोड़ें, राज्य सरकार ने क्या किया इसका जवाब दें। यह भी बताएं कि पंजाब सरकार ने इसके लिए क्या कदम उठाए।

उन्होंने कहा कि जब राजस्थान सरसों, दाल और बाजरा की खरीद कर सकता है तो पंजाब क्यों नहीं। उन्होंने कहा किसान आयोग की कृषि नीति पर रिपोर्ट तीन साल से धूल फांक रही है। उसे सदन की पटल पर क्यों नहीं रखा और क्यों बहस नहीं करवाई।

बारिश के पानी को बचाने के लिए गांवों में बने डिग्गियां : अरोड़ा

आप विधायक अमन अरोड़ा ने सुझाव दिया कि बारिश के पानी को बचाने के लिए हर गांव और म्यूनिसिपल कमेटियों को डिग्गियां बनाने को कहा जाए। सभी शहरों में नहरी पानी पहुंचाने की व्यवस्था हो। अगर हरियाणा कौशल्या डैम बना सकता है तो हमें सिसवां में ऐसा करने से कौन रोक रहा है। अमन अरोड़ा ने भूजल अथारिटी से खेती को बाहर रखने पर एतराज जताया और कहा कि सिर्फ इंडस्ट्री से 350 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए यह अथॉरिटी बनाई गई है। एनके शर्मा ने वाटर हारवेसिं्टग को अनिवार्य बनाने की बात रखी।

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मनप्रीत बादल ने की गेहूं-धान के फसली चक्र से निकालने की वकालत

वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने पानी को बचाने के लिए इजरायल का माडल अपनाने, गेहूं और धान के फसली चक्र से निकलने और एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए केंद्र को पैसा देने की बात सदन में रखी। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में प्रति एकड़ आमदनी पंजाब से ज्यादा है जबकि उनके पास पानी की कमी है। उन्होंने कहा कि जलवायु बदलाव का मुकाबला पंजाब ही कर सकता है। सरकार की ओर से ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। मैं कोशिश करूंगा कि इन तीन महीनों में कमेटी भूजल पर अपनी रिपोर्ट दे दे।

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