सत्ता के गलियारे से: मुख्यमंत्री बनते ही चरणजीत सिंह चन्नी की नींद उड़ी, पढ़ें पंजाब की और भी खबरें
पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की नींद उड़ गई है। दरअसल जिस दिन से उनका नाम सीएम के लिए तय हुआ और शपथ लेने के बाद से चन्नी अलसुबह से देर रात तक काम में व्यस्त हैं। उन्हें सोने का समय नहीं मिल रहा।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री बनते ही चरणजीत चन्नी की नींद उड़ गई है। 18 सितंबर को जब देर शाम उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के नाम पर मुहर लगी तो खुशी के मारे उनकी नींद ही उड़ गई। तब से लेकर पूरा एक हफ्ता पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ढंग से सो नहीं पा रहे हैं। घोषणा होते ही वे रात ड़ेढ बजे तक वह विधायकों से मिलते रहे, अगली सुबह छह बजे चमकौर साहिब माथा टेकने चले गए। वहां से आकर शपथ ग्रहण की और रात तीन बजेे तक दफ्तर में बैठे। सुबह पांच बजे उठकर दिल्ली निकल गए। वहां से देर रात अमृतसर पहुंचे। सुबह पौने चार बजे दरबार साहिब में थे। इसी तरह का हाल ही अगले दो दिन दिल्ली में देर रात तक चली बैठकों के चलते हुआ। उनके साथ लगाए अफसरों का भी यही हाल है। सरकार बनाने के चक्कर में काम ज्यादा हो गया उन्हेंं समझ नहीं आ रहा काम कब करें।
बदला लेने से चूकीं....
मुख्य सचिव रही विनी महाजन से रवनीत कौर बदला लेने से चूक गईं। पहली कैबिनेट की मीटिंग में जिस तरह से रवनीत, विनी महाजन के प्रस्तावों का काट रहीं थीं, उससे लग रहा था कि रवनीत ही अगली चीफ सेक्रेटरी होंगी। ऐसा नहीं हुआ। ब्यूरोक्रेट्स के सर्किल में एक बात काफी घूम रही है। रवनीत के दिल्ली में तैनात पति के रिटायर होने के बाद उनको मकान खाली करना था। रवनीत ने विनी महाजन से उन्हेंं प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर का अतिरिक्त चार्ज देने का आग्रह किया। विनी महाजन ने मना कर दिया। वह कैप्टन के पास गईं तो उनके कहने पर यह देना पड़ा, लेकिन जैसे ही रवनीत कौर को एफसीआर लगाया गया, उनसे यह चार्ज फिर से यह कहते हुए मुख्य सचिव ने वापस ले लिया कि एफसीआर के पास काम ज्यादा होता है। अब सीएस बनकर रवनीत कौर के पास मौका आना था, लेकिन वह हाथ नहीं आया।
सीएम का चेहरा...
चरणजीत चन्नी के सीएम बनते ही कांग्रेस के महासचिव ने कहा कि 2022 में नवजोत सिद्धू सीएम का चेहरा होंगे। कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने हरीश रावत के इस बयान पर यह कहते हुए ऐतराज जताया यह सीएम पद को गरिमा के खिलाफ है। सुनील जाखड़ के इस बयान पर विपक्षी पार्टियों ने चुटकी लेनी शुरू कर दी। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कांग्रेस से 2022 के चुनाव में सीएम का चेहरा स्पष्ट करने को कहा। अकाली दल तक ठीक था, क्योंकि उन्होंने सुखबीर को सीएम चेहरा घोषित कर रखा है, लेकिन आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का इस गेम में उतरना समझ में नहीं आ रहा है। दोनों ही प्रमुख पार्टियों के पास मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है। आप के भगवंत मान तो दिल्ली के कई चक्कर काट आए हैं कि पार्टी उन्हेंं सीएम का चेहरा घोषित करे। यही हाल भाजपा का भी है।
खिचड़ी पकानी बंद करो...
कांग्रेस ने एक हफ्ते तक मंत्रियों के नाम का एलान नहीं किया। मीडिया में हर रोज कुछ विधायकों को मंत्री बना दिया जाता और शाम होने तक उन्हें हटा दिया जाता। कांग्रेस के बड़े नेता भी इस बार बयान दे देकर थक गए, क्योंकि उनके पास भी कहने को कुछ नहीं था। लिस्टें रोज-रोज बदल रही थीं। शनिवार को जिस दिन सूची फाइनल हुई उस समय भी यह जारी नहीं की गई। उम्मीद थी कि राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिलने के बाद यह सूची जारी की जाएगी, लेकिन ऐसा न किया गया। मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा, अब खिचड़ी पकानी बंद करो। उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, सीएम साहब अपनी बाइट दो और चलो। हालात ऐसे हैं कि जो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री एक हफ्ते से हर वक्त उपलब्ध होने के दावे कर रहे थे, वे हफ्ते में एक बार भी ढंग से पत्रकारों से बात नहीं कर सके।