पंजाब में एजी हटाकर निशाने पर आई चन्‍नी सरकार, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और सुनील जाखड़ ने उठाए सवाल

Tussle in Punjab Congress पंजाब में कांग्रेस नेताओं की खींचतान समाप्‍त नहीं हो रही है। पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंंह सिद्धू के दबाब में एजी को हटाने के बाद चन्‍नी सरकार निशाने पर आ गई है। सांसद मनीष तिवारी और पूर्व अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने इस पर सवाल उठाए हैंं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 10 Nov 2021 12:31 PM (IST) Updated:Wed, 10 Nov 2021 01:39 PM (IST)
पंजाब में एजी हटाकर निशाने पर आई चन्‍नी सरकार, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और सुनील जाखड़ ने उठाए सवाल
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्‍नी और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष सुनील जाखड़। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्‍द्रपीत सिंह]। Tussle in Punjab Congress: पंजाब की चरणजीत सिंह चन्‍नी सरकार राज्‍य के एडवोकेट जनरल (एजी) को हटाने के बाद निशाने पर आ गई है। चन्‍नी सरकार ने पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिं‍ह सिद्धू के दबाव में आकर एजी एपीएस दयोल का इस्‍तीफा मंजूर कर लिया। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने सवाल उठाए हैं।  पूरे मामले में भाजपााने भी मुख्‍यमंत्री चन्‍नी पर हमला किया है और उनको रबर स्‍टैंप सीएम करार दिया है।       

कांग्रेस सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने इस मामले पर आज एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। उन्‍होंने पंजाब की चन्‍नी सरकार द्वारा इस तरह दबाव में आकर एजी को हटाने पर सवाल खड़े किए। उन्‍होंंने कहा कि  पंजाब में पिछले दोनों एजी पंचिंग बैग बन गए। इसके साथ ही पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने भी इस मामले में चरणजीत सिंंह चन्‍नी सरकार पर हमला किया और पूरे मामले को लेकर सवाल उठाए। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा कि एक काबिल एजी हटा कर सामने आ गया कि चन्नी कितने कंप्रोमाइजिंग सीएम हैं।

Since @PunjabGovtIndia is going to appoint New Advocate General they would be well advised to peruse Rules of Professional Standards prescribed by @barcouncilindia

“An advocate is bound to accept any brief in the courts or tribunals or before any other authority in or before1/1

— Manish Tewari (@ManishTewari) November 10, 2021

बता दें कि पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंंह सिद्धू ने पंजाब के नए एडवोकेट जनरल (AG) और कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति का विरोध किया था। उन्‍होंने दोनों को हटाने की मांग करते हुए पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफा भी दे दिया था। दोनों अधिकारियों को अब तक हटाने से मना करते रहे सीएम चरणजीत सिंह चन्‍नी को सिद्धू के आगे झुकना पड़ा और उन्‍हें एजी दयोल को हटाना पड़ा। अब कार्यवाहक डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को भी हटाने की तैयारी की जा रही है।     

The ouster of a competent yet 'allegedly' compromised officer has exposed a 'really' compromised CM.

Giving rise to a pertinent question-

Whose government is it Anyway ?

(*Apologies to BBC's radio drama - Whose line is it Anyway)— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) November 10, 2021

पंंजाब कांग्रेस के पूूूर्वअध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने पूरे मामले में मुख्‍यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर निशाना साधा।  अपने ट्वीट में कहा कि एक काबिल एजी हटा कर सामने आ गया कि चन्नी 'वास्तव' में कितने समझौता करने वाले मुख्यमंत्री हैं। साथ ही उन्होंने पूछा कि आखिर सरकार किसकी है।

पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एजी दयोल को हटाने के तरीके पर सवाल उठाया है। उन्‍होंने कहा कि सवाल संवैधानिक पदों पर तैनात लोगों की गरिमा का है। पंजाब के दोनों पूर्व महाधिवक्ता छद्म राजनीतिक युद्धों में पंचिंग बैग बन गए। जो लोग एजी के कार्यालय जैसी संस्था को तोड़ते हैं, उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि वकील न तो किसी मुवक्किल से जुड़ा होता है  और न ही उसके मामले के विवरण से। एक वकील अदालतों या ट्रिब्यूनल में या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष या उससे पहले किसी भी विवरण को स्वीकार करने के लिए बाध्य है।

इसके साथ ही उन्‍होंने पंजाब के मुख्‍यमंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी को नए एजी की नियुक्ति के बारे में सलाह भी दी। मनीष तिवारी ने कहा कि यदि नए महाधिवक्ता नियुक्त करने जा रहे हैं, उन्हें सलाह दी जाए कि वे निर्धारित व्यावसायिक मानकों के नियमों का अध्ययन करें। 

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने एजी के पद से इस्तीफा दे दिया था। नंदा के इस्तीफा देने के बाद चन्नी ने एपीएस देयोल को एजी नियुक्त किया था। अतुल नंदा भी अपने पूरे कार्यकाल में विवादों में ही रहे हैं। खासतौर पर सुनील जाखड़ उनकी कारगुजारियों को लेकर ज्यादा ही मुखर थे। बिजली समझौतों का मामला हो या बेअदबी का या फिर कोटकपूरा गोलीकांड का , अतुल नंदा किसी भी केस में सरकार को जितवा नहीं सके! bस कारण वह अक्सर तब के पार्टी प्रधान सुनील जाखड़ के निशाने पर ही रहे हैं।

अब जब उनकी जगह एपीस देयोल को एडवोकेट जनरल नियुक्‍त किया गया तो एक बार फिर से वह वतर्मान पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के निशाने पर आ गए।  नवजोत सिद्धू उनकी नियुक्ति को लेकर शुरू से ही आक्रामक रहे। उन्होंने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन जब पार्टी हाई कमान ने उनकी बात को टाले रखा तो उन्होंने सीधे सीधे दो टूक कह दिया कि या तो उन्हें रख लिया जाए या फिर एजी व डीजी को रख लिया जाए। सिद्धू के विरोध की वजह से देयोल को भी इस्तीफा देना पड़ा। कल हुई कैबिनेट की बैठक में उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया।

भाजपा ने भी बताया चन्नी को रबर स्टैंप सीएम

कांग्रेस से पहले कल भाजपा ने मुख्यमंत्री को रबर स्टैंप सीएम बताया था। भाजपा के प्रदेश महामंत्री डा. सुभाष शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी महज एक रबर स्टैंप हैं जिनको नवजोत सिंह सिद्धू की कठपुतली के रूप में प्रमुख फैसलों और नियुक्तियों करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यह मुद्दा पहले ही उठाया था कि एपीएस देओल ने बेअदबी मामले में अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व किया था और इस तरह से मामले में यह अनुकूल नियुक्ति नहीं थी क्यूँकि पंजाब के लिए एक बहुत बड़ा भावनात्मक मुद्दा है।

उन्‍होंने कहा कि एक महीने के अधिक समय से महाधिवक्ता को हटाने की मांग कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा बनाए गए दबाव के कारण चरणजीत सिंह चन्नी और नसिद्धू के बीच गतिरोध पैदा हो गया है था। लेकिन, अब हाईकमान के दबाव में चन्नी ने नवजोत सिंह सिद्धू के आगे घुटने टेक दिए हैं और एजी को हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री पर पुलिस महानिदेशक को बदलने का भी दबाव है। आने वाले दिनों में हम उनके निष्कासन को भी देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तब तक काम नहीं कर सकती जब तक कि सभी बड़े फैसले मुख्यमंत्री के हाथ में न हों ।

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