चंडीगढ़ के लंगर बाबा जगदीश आहूजा को राष्ट्रपति आठ को पद्मश्री से नवाजेंगे

जिदगी भर कड़ी मेहनत से करोड़ों की संपत्ति को मरीजों और तीमारदारों पर खर्च करने वाले चंडीगढ़ के लंगर बाबा को राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:55 PM (IST)
चंडीगढ़ के लंगर बाबा जगदीश आहूजा को राष्ट्रपति आठ को पद्मश्री से नवाजेंगे
चंडीगढ़ के लंगर बाबा जगदीश आहूजा को राष्ट्रपति आठ को पद्मश्री से नवाजेंगे

डा. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़

जिदगी भर कड़ी मेहनत से करोड़ों की संपत्ति को मरीजों और तीमारदारों पर खर्च करने वाले चंडीगढ़ के लंगर बाबा को राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण पहुंच गया है। लंगर बाबा जगदीश लाल आहूजा को आठ नवंबर को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। 25 जनवरी 2020 को केंद्र सरकार की घोषित पद्मश्री लिस्ट में जगदीश आहूजा को पद्मश्री के लिए चुना गया था। कोरोना महामारी के कारण करीब पौने दो वर्ष बाद भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित हस्तियों को दिल्ली बुलाया है। शनिवार को पद्मश्री पुरस्कार समारोह का निमंत्रण पत्र जगदीश आहूजा के घर पर पहुंच गया। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर के डिप्टी सेक्रेटरी के जारी पत्र में जगदीश आहूजा और उनके परिवार के सदस्यों को सात नवंबर को दिल्ली स्थित होटल अशोका में पहुंचने का निमंत्रण दिया है। जगदीश आहूजा चंडीगढ़ से सोशल वर्क में पद्मश्री के लिए चुने जाने वाले एकमात्र सदस्य हैं। रेहड़ी वाले को पद्मश्री के लिए चुने जाने के बाद लंगर बाबा मीडिया में एकदम से चर्चा में आ गए थे। आहूजा अपने लंगर मिशन में पत्नी निर्मल आहूजा और परिवार के सदस्य की तरह ड्राइवर घर्मबीर का विशेष योगदान मानते हैं। कैंसर से लड़ते हुए भी हिम्मत नहीं हारी

लंगर बाबा कुछ महीनों से कैंसर से लड़ रहे हैं, लेकिन आज भी उनका लंगर जारी रखने का जज्बा कम नहीं हुआ है। इन दिनों भी पीजीआइ के बाहर पूरा हफ्ता करीब एक हजार लोगों के लिए लंगर जारी है। पद्मश्री सम्मान समारोह से निमंत्रण के बाद दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में आहूजा ने कहा कि इन दिनों उनकी तबीयत काफी खराब है। कार्यक्रम में जाने को लेकर अभी कोई प्रोग्राम फाइनल नहीं हुआ है। लंगर बाबा ने बताया कि वह अपनी अंतिम सांस तक लंगर को जारी रखेंगे। सेहत खराब होने के कारण अब बेड पर ही रहना पड़ता है। पीजीआइ में इन दिनों इनका इलाज चल रहा है। दूसरों के लिए मिसाल हैं लंगर बाबा

चंडीगढ़ में एक रेहड़ी से शुरुआत करने वाले लंगर बाबा के जीवन का सफर आसान नहीं रहा। 85 पार होने पर भी वह पीजीआइ के बाहर लगने वाले पूरे लंगर की देखरेख खुद करते हैं। कैंसर होने से पहले वह खुद गाड़ी में दो से तीन हजार लोगों को खाना खिलाते रहे हैं। आहूजा ने कड़े संघर्ष से चंडीगढ़ और आसपास काफी प्रॉपर्टी बनाई, लेकिन लंगर के लिए अपनी कोठी तक बेच दी। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में भी प्रशासन के निर्देशों के कारण सिर्फ सात दिन पीजीआइ के बाहर लंगर को रोकना पड़ा, वैसे चालीस वर्षो से बाबा का लंगर जारी है। आहूजा ने कहा कि उनकी इच्छा है कि वह चंडीगढ़ में जरुरतमंदों के लिए एक सराय का निर्माण करवा सकें, जिसके लिए उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से जमीन देने की मांग की हुई है।

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