चंडीगढ़ के गजल गायक रणबीर ने फादर्स डे पर लांच की नई नज्म, पिता को किया समर्पित
रणबीर ने नई नज्म को अपने पिता को समर्पित किया। उनकी नज्म मेरे ख्वाबों की हकीकत का सहर तुम हो मेरे अबू मेरे वालिद मेरे पापा तुम हो में पिता का बच्चों के लिए जो प्यार एवं बलिदान है उस की पूरी कहानी बताई गई है।
चंडीगढ़, वैभव शर्मा। अगर मां की ममता का कोई सानी नहीं है तो पिता के त्याग और बलिदान का महत्व भी बहुत है। पिता के होने से पूरे घर को हिम्मत मिलती है। मेरे जीवन में हासिल की गई सफलता का श्रेय मैं अपनी मां के साथ अपने पिता को भी देता हूं। जिन्होंने चुप रहकर मुझे हमेशा से ही प्रेरित किया। उन्होंने ही मुझे अपनी धरती, मिट्टी और संस्कृति से जोड़े रखा। यह बात चंडीगढ़ के जाने माने गजल गायक एव म्यूजिक डायरेक्टर रणबीर कुमार ने फादर्स डे पर रिलीज की नज्म के दौरान कही।
उन्होंने अपनी नई नज्म को फादर्स डे के दिन रिलिज कर इसे अपने पिता को समर्पित किया। उनकी नज्म 'मेरे ख्वाबों की हकीकत का सहर तुम हो, मेरे अबू, मेरे वालिद, मेरे पापा, तुम हो', में पिता का बच्चों के लिए जो प्यार एवं बलिदान है उस की पूरी कहानी बताई गई है।
पिछले वर्ष से थी इस दिन की आस
रणबीर ने कहा कि वे इस नज़्म की लॉकडाउन से पहले ही रिकार्डिंग कर चुके थे। पिछले साल मदर्स डे पर भी रणबीर कुमार ने नज़्म रिलीज़ की थी, जिसे उन्होंने अपनी मां को समर्पित किया था। उन्हाेंने बताया कि इस नज्म को फादर्स डे पर रिलिज करने का मन कई वर्ष पहले बना लिया था। वह इस दिन का इंतजार पिछले वर्ष से कर रहे थे जब उन्होंने नज्म को तैयार कर लिया था।
मां-पिता से विमुख होना भगवान से विमुख होने के समान
उन्होंने कहा कि मां-बाप हमारा भविष्य बनाने के लिए अपने सपनों को त्याग देते हैं। दिन रात मेहनत करते हैं और बच्चे बड़े होने के बाद उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं या फिर उनसे अलग हो जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए, भगवान का स्वरूप होते है मां-बाप और जब उन्हें अपने बच्चों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो वह उन्हें अकेला और बेसहारा छोड़ देते हैं। इस नज़्म का लिरिकल वीडियो यूट्यूब पर रिलीज़ होगा, वही ऑडियो सभी म्यूजिक की वेबसाइट पर लोग सुन सकेंगे।