चंडीगढ़ की कंपनी ने जर्मनी में MBA एडमिशन के लिए युवती से लिए 50 हजार रुपये, नहीं हुआ दाखिला, लगा हर्जाना

कपिशा ने शिकायत में बताया कि उसने सेक्टर-34 स्थित स्टडी फीड्स कंपनी से जर्मनी में एमबीए में एडमिशन पाने के लिए संपर्क किया था। इसके बाद कंपनी ने उन्हें बताया कि जर्मनी के विश्वविद्यालयों में उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने की अंतिम तारीख 15 जुलाई 2019 है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 10:18 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:18 AM (IST)
चंडीगढ़ की कंपनी ने जर्मनी में MBA एडमिशन के लिए युवती से लिए 50 हजार रुपये, नहीं हुआ दाखिला, लगा हर्जाना
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन-2 ने कंपनी पर हर्जाना लगाया है।

चंडीगढ़, जेएनएन। जर्मनी की यूनिवर्सिटी में एमबीए (मार्केटिंग) में दाखिले के नाम पर चंडीगढ़ सेक्टर-34ए स्थित स्टडी फीड्स कंपनी ने युवती 50 हजार रुपये लिए लेकिन उसका एडमिशन नहीं करवाया। सेक्टर-24 की रहने वाली 24 वर्षीय कपिशा तेवतिया ने स्टडी फीड्स की शिकायत डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन-2 में दी थी। शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन-2 ने कंपनी को 10 फीसद प्रति वर्ष ब्याज दर के साथ 35 हजार रुपये वापस करने के साथ मानसिक रूप से परेशान करने पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया।

कपिशा ने शिकायत में बताया कि उसने सेक्टर-34 स्थित स्टडी फीड्स कंपनी से जर्मनी में एमबीए में एडमिशन पाने के लिए संपर्क किया था। इसके बाद कंपनी ने उन्हें बताया कि जर्मनी के विश्वविद्यालयों में उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने की अंतिम तारीख 15 जुलाई 2019 है।

कंपनी ने कहा- दाखिले के लिए जीमैट टेस्ट की नहीं जरूरत

कंपनी ने शिकायतकर्ता से कहा कि जर्मनी के विश्वविद्यालयों में एमबीए (मार्केटिंग) में एडमिशन के लिए जीमैट टेस्ट की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके बाद कपिशा ने 19 जून 2019 को उन्हें 41,300 रुपये की राशि जमा करवाई। फीस जमा करवाने के बाद कंपनी की ओर से कपिशा को एक जुलाई 2019 को ई-मेल के माध्यम से जर्मनी में विश्वविद्यालयों की सूची प्रदान की, लेकिन उक्त सूची में किसी भी विश्वविद्यालयों में एमबीए (मार्केटिंग) पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं था।

एडमिशन की अंतिम तारीख भी बताई झूठी

शिकायतकर्ता को भेजी सूची में विश्वविद्यालयों में प्रवेश की अंतिम तारीख 31 मई 2019 थी, जबकि स्टडी फीड्स की ओर से एडमिशन के लिए अंतिम तारीख 15 जुलाई 2019 बताई गई। कपिशा ने जब मामले को लेकर कंपनी से संपर्क किया तो कंपनी ने कहा कि उक्त पाठ्यक्रम का उल्लेख सूची में नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालयों के पास यह कोर्स उपलब्ध है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने कंपनी को 10 जुलाई 2019 को यूनी-असिस्ट शुल्क के रूप में 8700 रुपये की राशि जमा की।

अगस्त 2019 तक दाखिले का दिया आवश्वासन

कंपनी की ओर से शिकायतकर्ता को बताया कि उन्हें जल्द विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल जाएगा, जबकि कंपनी की ओर से शिकायतकर्ता को नौ सितंबर 2019 को ई-मेल के माध्यम से सूचित किया गया कि उसका प्रवेश आवेदन खारिज कर दिया गया है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने कंपनी से उसको 50,082 रुपये वापस करने का अनुरोध किया, लेकिन कंपनी ने केवल 15,000 की राशि वापस की।

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