चंडीगढ़ बनेगा साइकिल कैपिटल ऑफ इंडिया

चंडीगढ़ को डिजाइन करते समय आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने पहले साइकिल के लिए अलग जगह नहीं छोड़ी थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 06:02 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 06:02 AM (IST)
चंडीगढ़ बनेगा साइकिल कैपिटल ऑफ इंडिया
चंडीगढ़ बनेगा साइकिल कैपिटल ऑफ इंडिया

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ को डिजाइन करते समय आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने पहले साइकिल के लिए अलग जगह नहीं छोड़ी थी। वॉकिंग सिटी के तौर पर ही इसे डिजाइन किया गया था, जब देखा कि यहां सभी साइकिल से आते-जाते हैं और उन्हें मेन रोड से आना पड़ता है तो उन्होंने वी-7 की बजाय वी-8 कैटेगरी में रोड का प्रविधान किया। खुद ली कार्बूजिए और उनकी टीम भी उन दिनों साइकिल पर ही चलती थी। कारों का चलन बेहद कम था। चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के लिए तो यह लक्ष्य तय किया गया है कि चंडीगढ़ को बाइसाइकिल एंड वॉकिग कैपिटल ऑफ इंडिया बनाया जाना है। साइकिल से जुड़ी चीजों को मास्टर प्लान में जोड़ने के लिए उन्होंने खूब रिसर्च और काम किया था। यह जानकारी चंडीगढ़ की पूर्व चीफ आर्किटेक्ट सुमित कौर ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में साझा की। मास्टर प्लान में साइकिल के लिए ग्रीन कॉरिडोर

पूर्व चीफ आर्किटेक्ट सुमित कौर ने बताया कि अभी एक सेक्टर से दूसरे में जाने के लिए मेन रोड पर आना पड़ता है। जो साइकिल ट्रैक बने हैं वह भी मेन रोड के साथ ही बने हैं, जबकि चंडीगढ़ में लेजर वैली ग्रीन बेल्ट है। यह शहर को दो हिस्सों में बराबर बांटती है। इस ग्रीन बेल्ट में साइकिल के लिए पूरा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए। मास्टर प्लान में भी इसका प्रविधान है। इससे साफ-स्वच्छ ग्रीनरी के बीच से साइकिलिस्ट गुजरेंगे तो स्वस्थ रहेंगे। रोड साइड चलने से प्रदूषण का खतरा रहता है। चंडीगढ़ की बिल्डिंगों को भी इस तरह से डिजाइन किया जाना है कि वह ग्रीन बेल्ट की ओर खुलें। सेक्टर-42 में गवर्नमेंट कॉलेज वाली लाइन इसी तरह से ओपन की गई है। बच्चे कॉलेज से सीधे ग्रीन बेल्ट में निकलते हैं तो अच्छा महसूस करते हैं। ग्रीन बेल्ट में साइकिल ट्रैक के तीन फायदे

सुमित कौर ने बताया कि चंडीगढ़ को साइकिल कैपिटल बनाया ही जाना चाहिए। इससे लोग हेल्दी रहेंगे, एक्सीडेंट कम होंगे और एनर्जी बचेगी। यह तीन मुख्य लाभ होंगे। यह सिर्फ प्रशासन के स्तर पर नहीं होगा। लोगों को भी कार का इस्तेमाल कम से कम करना होगा। छोटी-छोटी ट्रिप के लिए कार की बजाय साइकिल चलाएं। पार्किग की समस्या भी इससे खत्म हो जाएगी। हर सेक्टर में मार्केट, स्कूल तक साइकिल से पहुंचा जा सके। आर्किटेक्चरल प्लान में यह सब शामिल है। चंडीगढ़ भी बन सकता है कोपेनहेगन

कोपेनहेगन और डेनमार्क जैसे कई शहर साइकिल सिटी और पर्यावरण बचाने के लिए पहचान बना चुके हैं। चंडीगढ़ भी ऐसा बन सकता है। प्रशासन को साइकिल को बढ़ावा देने के लिए इन्हें वरीयता देनी चाहिए। ऐसे बायलॉज बनाएं जो इनको बढ़ावा दें। ट्रैफिक सिग्नल पर इन्हें रुकना ही न पड़े। चंडीगढ़ का ग्रिड सीधे आगे मोहाली से जुड़ा है। उनको भी इस पर काम करना चाहिए। वाहनों की बढ़ती संख्या पर भी रोक लगानी जरूरी है। शहर में साइकिल ट्रैक से जुड़ी जरूरी जानकारी

- शहर में करीब 100 किलोमीटर के साइकिल ट्रैक बन चुके

- 18 करोड़ इस पर खर्च किया गया।

- सुखना लेक, आइएसबीटी, मार्केट जैसी जगहों पर साइकिल स्टैंड बनाए गए

- कोरोना काल में साइकिल का ट्रेंड बढ़ा है

- छोटे दुकानदार से लेकर बड़े शोरूम पर साइकिल के लिए ग्राहकों की लाइनें

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