चंडीगढ़ उद्योग मंडल बोला- कोरोना को रोकने के लिए कंप्लीट लॉकडाउन के अलावा कोई चारा नहीं
चंडीगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण पर अब शहर के व्यापारी वर्ग ने भी चिंता जताई है। शहर के व्यापारी नेता व चंडीगढ़ उद्योग व्यपार मंडल के संयोजक कैलाश चंद जैन ने कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा हर संभव उचित कदम उठाए जाने की मांग की है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण पर अब शहर के व्यापारी वर्ग ने भी चिंता जताई है। शहर के व्यापारी नेता व चंडीगढ़ उद्योग व्यपार मंडल के संयोजक कैलाश चंद जैन ने कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा सख्त और हर संभव उचित कदम उठाए जाने की मांग की है।
प्रशासक को पत्र लिख कैलाश चंद जैन ने कहा है कि कोरोना दिन प्रतिदिन बड़ी तेजी बढ़ रहा है। चंडीगढ़ में संक्रमण की चेन तेजी बढ़ रही है। उन्होंने कहा किव कोरोना चेन को तोड़ने के लिए कंप्लीट लॉकडाउन के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा। लेकिन शहर में लंबा लॉकडाउन लगाने का फैसला इसलिए टालना पड़ा क्योंकि प्रशासन को डर सता रहा था कि कही मजदूर वर्ग दोबारा अपने गांवों को न लौट जाए। इसका न केवल चंडीगढ़ के व्यापार और इंडस्ट्री पर ही असर नहीं पड़ेगा बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ जाएगी। यही वजह रही कि प्रशासन वीकेंड लॉकडाउन और लंबे लॉकडाउन को लेकर बैकफुट पर आ गया।
व्यापारियों को विश्वास में लेकर उठाया जाए कदम
कैलाश जैन का कहना है कि भले ही व्यापारी वर्ग लॉकडाउन के फैसले के विरोध में है लेकिन देश की खातिर और लोगों की जान को जोखिम के खतरे को भांपते हुए लॉकडाउन के इस कड़वे घूंट को फिर से पीने को तैयार हो सकता है। बशर्ते इसके लिए उसे कुछ राहत दी जाए और उनको विश्वास में लिया जाए। इतिहास गवाह है, जब जब देश पर कोई मुसीबत आई है तो व्यापारियों ने अपने नुकसान की परवाह किए बिना हमेशा देश सेवा की है और देश की सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। लेकिन मजदूर तबका शायद इस लॉकडाउन को झेल पाने में असमर्थ होगा। इसके अलावा इंडस्ट्री व कंपनी की प्रोडक्शन लॉकडाउन के चलते बंद हो जाएगी जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। ऐसे में कोई ऐसा रास्ता निकालने की जरूरत है जिससे लोगों की जान भी बच जाए और अर्थव्यवस्था पर कम से कम असर पड़े तथा मजदूर भी पलायन को मजबूर न हो।
कैलाश जैन का सुझाव है कि अगर किसी लॉकडाउन का फैसला लेना भी पड़े तो प्रशासन को ऐसे इंतजाम करने चाहिए कि मैनुफैक्चरिंग व प्रोडक्शन जारी भी रहे ओर कोरोना की चेन भी टूटे। इंडस्ट्री मालिकों को प्रशासन आदेश दे कि अपने यहां जो लेबर रखी है उसका एक महीने तक का खाने पीने और रहने का इंतजाम फैक्ट्री या इंडस्ट्री में ही कर दिया जाए। न फैक्ट्री अथवा कार्यस्थल से कोई बाहर जाए न बाहर से कोई अंदर आए। अंदर ही अंदर प्रोडक्शन चालू रहे। इससे मजदूर को काम भी मिलेगा, प्रोडक्शन भी चालू रहने से अर्थव्यवस्था का नुकसान भी कम होगा और कोरोना चेन तोड़ने में मदद मिलेगी।
लेबर को फैक्ट्री में रखकर खाने की सुविधा दी जाए
उनका कहना है कि लेबर को फैक्ट्री में रखने और खाने पीने का प्रबंध करने का जो तरीका सुझाया जा रहा है, वह इंडस्ट्रियलिस्टों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर लेबर दोबारा पलायन करती है तो फैक्ट्री मालिकों को मजदूरों की समस्या पेश आएगी और मजदूरों की कमी के चलते काम पूरी तरह से बंद हो सकता है। इससे न केवल प्रोडक्शन रुकेगी बल्कि पूरी सप्लाई चेन टूट जाएगी। जैन ने पत्र में कहा है कि लेकिन अगर मजदूरों को इनहाउस रखा जाए तो इन समस्याओं से निजात मिल सकती है और कोरोना की चेन भी टूट सकती है। कैलाश जैन ने इस विषय पर विस्तृत चर्चा करके जनहित में उचित फैसला लेने की मांग की है।