चंडीगढ़ में मजदूर माता-पिता ने बेटियों के सपनों को लगाए पंख, अब गर्व से कर रही सीना चौड़ा
मजदूरी करने वाले राधा और बलशरण के पांच बच्चे हैं जिसमें से तीन बेटियां और दो बेटे हैं। सबसे बड़ी बेटी चांदनी पीजीआई में नर्सिंग कर रही है। दूसरी फैशन डिजाइनर का कोर्स कर रही है। सबसे छोटी बेटी अंजू जूडो और वुशू में नाम कमा रही है।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। बेटियां बोझ नहीं बल्कि समाज की ताकत है। इसी सोच के साथ राधा और बलशरण माधो अपनी तीन बेटियों के सपनों को पूरा करने में जुटे हैं। राधा और बलशरण के पांच बच्चे हैं, जिसमें से तीन बेटियां और दो बेटे हैं। बेटों के बराबर बेटियां खड़ी हो सकें, इसके लिए दोनों ही दिन-रात एक करके कांट्रेक्टर के पास मजदूरी कर बेटियों के सपनों को पूरा कर रहे हैं। सबसे बड़ी बेटी चांदनी पीजीआई में नर्सिंग कर रही है, जबकि दूसरी बेटी मनु होम साइंस कालेज सेक्टर-10 में फैशन डिजाइनर का कोर्स कर रही है। इसी प्रकार से सबसे छोटी बेटी अंजू जूडो और वुशू के दम पर माता-पिता का नाम रोशन कर रही है।
बेटी एक नहीं दो घरों को करती है रोशन
मां राधा के कहना है कि बेटियां एक नहीं बल्कि दो घरों के नाम को रोशन करती हैं। माता-पिता होने के नाते हमारा प्रयास उनके सपनों को पूरा करना है, एक बेटी खुद के पैरों पर खड़ा होने के बाद समाज के लिए कुछ करने के साथ मायके और ससुराल परिवार का सहारा बनती है। ऐसे में हमने कभी नहीं साेचा बेटियां किसी से कमजोर हैं। हमारा प्रयास है कि बेटियां खुद के पैराें पर खड़ा होकर खुद की पहचान खुद बनाएं।
पुलिस या फौज में जाने का है सपनाः अंजू
जूडो में देश का नाम इंटरनेशनल स्तर पर रोशन करने वाली अंजू का कहना है कि पुलिस या फिर फौज में जाना चाहती हूं। पुलिस और फौज की वर्दी के साथ उनका काम बहुत बढ़िया लगता है, इसलिए दिन-रात एक करके जूडो खेल रही हूं और पूरा प्रयास है कि आने वाले तीन से चार सालों में फौज या सेना की वर्दी डालकर खुद के सपनों को पूरा करूं और माता-पिता की आंखों में समाज में सिर ऊंचा कर सकूं। उल्लेखनीय है कि अंजू 2019 में खेलो इंडिया में भारत का प्रतिनिधित्व करके देश के नाम गोल्ड मेडल कर चुकी है और कोटा में हुए ओपन वुशू में कांस्य पद सिटी ब्यूटीफुल के नाम कर चुकी है। इस समय अंजू गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-26 में बारहवीं कक्षा की छात्रा है।