निगम चुनाव के लिए वार्डो की आरक्षण प्रक्रिया को हाई कोर्ट में चुनौती
नगर निगम चुनाव के लिए वार्डो की आरक्षित प्रक्रिया को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप है कि जिन कालोनियों का अस्तित्व ही नहीं आरक्षण के लिए उनकी जनसंख्या को भी आधार बनाया गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : नगर निगम चुनाव के लिए वार्डो की आरक्षित प्रक्रिया को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप है कि जिन कालोनियों का अस्तित्व ही नहीं, आरक्षण के लिए उनकी जनसंख्या को भी आधार बनाया गया है। अब इस याचिका पर एक नवंबर को सुनवाई होगी।
शिरोमणि अकाली दल के महासचिव शिव कुमार व आम आदमी पार्टी के नेता शकील मोहम्मद ने चंडीगढ़ निगम चुनाव के लिए वार्डो केआरक्षण पर सवाल उठाए हैं। याची ने कहा गया है कि साल 2011 से 2021 के बीच शहर की कई कॉलोनियों को तोड़ा व हटाया गया है। कई कॉलोनियां ऐसी हैं जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। मगर वार्ड आरक्षित करते हुए ऐसी कालोनियों की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। याची का आरोप आरटीआइ के तहत दी गई भ्रमित करने वाली सूचना
याची ने इस संबंध में संबंधित महकमे से आरटीआइ के तहत सूचना मांगी थी। इसमें कहा था कि एरिया के अनुसार वार्ड की जनसंख्या की जानकारी दी जाए। जवाब में एरिया के अनुसार जानकारी न देकर वार्ड के अनुसार जानकारी दी गई। याची ने कहा कि 2011 की जनसंख्या को आधार बनाकर कैसे वार्ड आरक्षित किए जा सकते हैं। वार्ड 7, 16, 19, 24, 26, 28 व 31 को इसी प्रकार आरक्षित रखने का फैसला लिया गया है। वार्ड आरक्षित करने के 19 अक्तूबर के फैसले को खारिज करने की मांग
याचिका में हाई कोर्ट से अपील की गई कि वार्ड आरक्षित करने के चुनाव आयोग के 19 अक्तूबर के फैसले को खारिज किया जाए। साथ ही आरक्षण के लिए जनगणना को ध्यान में रखते हुए जो कॉलोनी मौजूद नहीं है, उनकी जनसंख्या को हटाकर देखा जाए कि वार्ड आरक्षित होना है या नहीं। याचिका लंबित रहते वार्ड आरक्षित करने के फैसले पर रोक लगाई जाए।