चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव: हर बार मुद्दा रहा फिर भी CHB के मकानों में नीड बेस्ड चेंज का नहीं निकला हल

नगर निगम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक दल अब वोट बटोरने की जुगत में लगे हैं। इस चुनाव में कई मुद्दे ऐसे होंगे जो पिछले कई चुनाव में भी मुद्दे रहे हैं जिन्हें आज तक हल नहीं किया गया।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 12:27 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 12:27 PM (IST)
चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव: हर बार मुद्दा रहा फिर भी CHB के मकानों में नीड बेस्ड चेंज का नहीं निकला हल
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में नीड बेस्ड चेंज बड़ा चुनावी मुद्दा है। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक दल अब वोट बटोरने की जुगत में लगे हैं। इस चुनाव में कई मुद्दे ऐसे होंगे जो पिछले कई चुनाव में भी मुद्दे रहे हैं, जिन्हें आज तक हल नहीं किया गया। इतना ही नहीं राजनीतिक दल इन्हें अपने घोषणा पत्र में शामिल करते रहे हैं, लेकिन इनका सॉल्यूशन नहीं हो सका। इनमें एक बड़ा मुद्दा चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में नीड बेस्ड चेंज का है।

जरूरत अनुसार किए बदलावों को मंजूरी कराने का पिछले चुनाव में भी मुद्दा रहा था। भाजपा ने इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। इस बार फिर चुनाव में यह मुद्दा बड़ा हो गया है। इसका कारण बोर्ड के 60 हजार मकानों में रह रहे पांच लाख लोग हैं। इनमें करीब दो लाख वोटर हैं जो चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। अब यह सभी लोग रणनीति बना रहे हैं कि कैसे चुनाव में अपने वोट का सही इस्तेमाल कर अपने इस मसले को हल कराया जाए।

इस फॉर्मुले से चाह रहे सॉल्यूशन

दिल्ली में भी मकानों की यह समस्या था। दिल्ली में इस सॉल्यूशन में फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) बढ़ाया गया, जिससे कवर्ड एरिया लगभग दोगुना हो गया। इस एरिया में आने वाली कंस्ट्रक्शन को रेगुलराइज्ड किया गया। इससे कवर्ड एरिया के बाहर किया गया निर्माण भी मंजूर हो गया। लोगों ने कवर्ड एरिया से बाहर प्लॉट एरिया में जो भी बनाया था उसको अप्रूवल मिल गई। एफएआर से बाहर जितनी भी कंस्ट्रक्शन थी इसका वन टाइम चार्ज ले लिया गया। इस कंस्ट्रक्शन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई बिना इस अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन को रेगुलराइज किए। इस फार्मुले के तहत प्लाट एरिया से बाहर जिस एरिया पर अतिक्रमण था उसका भी वन टाइम चार्ज लिया गया। इस अतिरिक्त निर्माण के इस्तेमाल को भी मंजूरी दी गई थी हालांकि इसे रेगुलराइज्ड नहीं किया गया था।

सेफ्टी के लिए यह कदम उठाया

इस फार्मुले में सेफ्टी का ध्यान रखा गया। दिल्ली सॉल्यूशन को लागू करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज अलॉटी से लिए गए। इसमें बिल्डिंग ऑनरशिप का सुबूत लिया गया। मौजूदा बिल्डिंग प्लान की तीन कॉपी ली गई। रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट से स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट लिया गया। यह शपथ पत्र भी लिया गया कि बिल्डिंग पर कोई कोर्ट केस लंबित नहीं है। इस चुनाव में सीएचबी रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन अब इसी फार्मुले से राहत चाहती है।

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