काला की कला... चंडीगढ़ निगम ने सफाई कर्मी काला राम को बनाया ब्रांड एंबेसडर, कचरे की दुर्गंध को फूलों की महक में बदला

चंडीगढ़ नगर निगम में सफाई कर्मचारी काला राम की कला से प्रभावित होकर उन्हें सफाई मित्रा शिरोमणी का ब्रांड एंबेसडर बनाया है। असल में काला राम ने ऐसा काम करके दिखाया है जो कोई सफाई कर्मचारी शायद ही कर सकता हो।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 09:56 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 09:56 AM (IST)
काला की कला... चंडीगढ़ निगम ने सफाई कर्मी काला राम को बनाया ब्रांड एंबेसडर, कचरे की दुर्गंध को फूलों की महक में बदला
ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने पर काला राम को सम्मानित भी किया गया।

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। नगर निगम ने सफाई कर्मचारी काला राम को सफाई मित्रा शिरोमणी का ब्रांड एंबेसडर बनाया है। असल में काला राम ने ऐसा काम करके दिखाया है जो कोई सफाई कर्मचारी शायद ही कर सकता हो। काला राम वेस्ट से आर्ट बनाने का काम करते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों से कमिश्नर अनिंदिता मित्रा और मेयर रविकांत शर्मा भी हैरान हैं। उनकी कला से प्रभावित होकर ही उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। 

ब्रांड एंबेसडर बनाने के साथ ही मेयर और कमिश्नर ने काला राम को स्पेशल जैकेट और बैज भी दिया है। दैनिक जागरण ने ही काला राम को तलाश कर उनकी कला को उजागर किया था, जिसके बाद ही दो साल पहले तत्कालीन मेयर राजेश कालिया ने 15 अगस्त पर उन्हें सम्मानित भी किया था।काला राम ने जो कचरे से आर्ट बनाया है उसे सेक्टर-27 के कम्युनिटी सेंटर के पास बने गारबेज सेंटर पर देखा जा सकता है। उनके द्वारा किए गए काम को देखकर आप भी उनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।       

डयूटी खत्म होने के बाद करते हैं काम  

काला राम कम पढ़े लिखे होने के बावजूद अपनी कला से गारबेज सेंटर को हरे भरे गार्डन में तबदील कर दिया है।डयूटी खत्म करने के बाद मिलने वाला समय वह गार्डन को और सुंदर बनाने में लग जाते हैं।काला राम ने इसकी शुरूवात 1987 में की थी लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से जब से स्वच्छता पर जोर दिया है तब से काला राम भी अपनी कला के कारण मशहूर हो गए हैं। सेक्टर-27 के गारबेज सेंटर में अभी भी प्रतिदिन घरों और दुकानों से निकलने वाला कचरा आता है लेकिन यहां की हरियाली ने इस सेंटर की शोभा बढ़ा दी है। जहां पर दुर्गध नहीं फूलों की महक आती है। काला राम ने कचरे में आई  टॉयलेट सीट, टूटे हुए बाथ टब, वॉशवेशन और पानी की पुरानी टंकियों को सवार कर उन्हें फ्लावर पाट और गमलों में तबदील कर दिया है। सफाई कर्मचारी काला ने यह काम रॉक गार्डन तैयार करने वाले नेकचंद से प्रभावित होकर किया है। नेकचंद भी इसी सेक्टर के निवासी थे। अब उनका निधन हो गया है। नेकचंद ने भी घरों से निकलने वाले कबाड़ से रॉक गार्डन तैयार करके पूरे दुनिया में अपना नाम कमाया है। 

सबसे पहले लगाया था अमरूद का पौधा 

सफाई कर्मचारी काला ने सबसे पहला पौधा यहा पर अमरूद का लगाया था, यह पौधा भी काला राम को साल 1987 में कचरे में ही मिला था।अब इस सेंटर में 300 से ज्यादा पौधे लगा दिए हैं। पौधों के लिए जो खाद की जरूरत होती है वह भी काला राम कचरे से ही तैयार करते हैं। लोगों के घरों से आने वाले गीले कचरे और सूखे पत्तों को दबाकर वह यहा पर ही खाद बनाते हैं। जिमसे यूज हुई चाय पत्ती का प्रयोग किया जाता है।इस गारबेज सेंटर को नर्सरी के तौर पर भी विकसित किया गया है जहां पर रेजिडेंट्स पौधे लेने के लिए आते हैं।यहा पर 100 से ज्यादा टॉयलेट्स सीट पर पौधे लगे हुए हैं। यहा तक कि यहा पर पौधों की सिंचाई के लिए कोई पानी का कनेक्शन नहीं है, ऐसे में काला लोगों के यहा से और अपने घर से पानी लाकर पौधों की सिंचाई करते हैं।कम्युनिटी सेंटर के पास बने इसे हरे भरे गार्डन को देखने के लिए अब दूसरे सेक्टरों से भी लोग आते हैं। गारबेज सेंटर में पौधों की देखभाल के लिए वह प्रतिदिन आते हैं। कचरे में जो भी यूज का सामान होता है वह उसे साफ करके उसमे पौधा लगा देते हैं।यहां पर कर्मचारी काला ने कबाड़ में पड़ी टॉयलेट सीट, टूटे हुए बाथ टब, वॉशिंग मशीन, वॉशवेशन और पानी की पुरानी टंकियों को  सलीके से संजोकर फ्लावर पाट और गमलों के रूप में तैयार किया है जो कि अब यह सेक्टर का सबसे ज्यादा सुंदर प्वाइंट बन गया है।

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