चंडीगढ़ की भाजपा पार्षद राजबाला मलिक दो बार बनी मेयर, कांग्रेस अध्यक्ष के नाम भी यह उपलब्धि
चुनाव जीतने के बाद हर पार्षद महापौर बनने की इच्छा रखता है। नगर निगम के पांच साल के कार्यकाल में पांच पार्षदों को ही हर साल मेयर बनने का मौका मिलता है लेकिन नगर निगम के इतिहास में ऐसे पार्षद भी हैं जो दो बार मेयर बने हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के लिए बिसात बिछ चुकी है। करीब एक महीने बाद नए साल 2022 में चंडीगढ़ को 27वां मेयर मिल जाएगा। चुनाव जीतने के बाद हर पार्षद महापौर बनने की इच्छा भी रखता है। नगर निगम के पांच साल के कार्यकाल में पांच पार्षदों को ही हर साल मेयर बनने का मौका मिलता है, लेकिन नगर निगम के इतिहास में ऐसे पार्षद भी हैं जिन्हें दो बार मेयर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। साल 1996 से लेकर अब तक पांच पार्षद ऐसे रहे हैं जिन्हें दो बार मेयर बनने का मौका मिला है। इनमें सुभाष चावला, कमलेश, अनुचतरथ, हरजिंदर कौर और राजबाला मलिक का नाम शामिल है। जिन्हें दो बार अलग अलग कार्यकाल में मेयर बनने का मौका मिला है। चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। राजबाला मलिक एक मात्र ऐसी पार्षद हैं जिन्हें कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में मेयर बनने का मौका मिला।
राजबाला मलिक साल 2012 और 2019 में मेयर बनी थी। अकाली दल की नेत्री हरजिंदर कौर को एक बार चार माह और एक बार एक साल के लिए मेयर बनने का मौका मिला। कांग्रेस के सुभाष चावला साल 2003 और 2013 में मेयर बने। चावला इस समय कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। कमलेश को साल 2004 और 2009 में मेयर बनी। अनुचतरथ साल 2005 और 2010 में मेयर बनी। नगर निगम में ऐसे भी पार्षद रहे हैं जिन्हें पांच साल के कार्यकाल में सीनियर डिप्टी मेयर के साथ साथ मेयर बनने का भी मौका मिला। इनमे सुरेंद्र सिंह, रविंदर सिंह पाली और रविकांत शर्मा का नाम शामिल है।
वर्तमान मेयर रविकांत शर्मा साल 2019 में सीनियर डिप्टी मेयर के पद पर तैनात थे। आम आदमी पार्टी के नेता प्रदीप छाबड़ा भी एक कार्यकाल में सीनियर डिप्टी मेयर रहे जबकि दूसरे कार्यकाल में वह मेयर बने थे। साल 2008 में प्रदीप छाबड़ा मेयर बने थे जो कि इस समय आप चंडीगढ़ के सह प्रभारी है। वर्तमान भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद भी साल 2016 में मेयर रह चुके हैं। शहर में सांसद के बाद मेयर का पद ही अहम माना जाता है।