चंडीगढ़ में मास्टर एथलीट नीरु कक्कड़ ने कोरोना वैक्सीन लगवाकर कहा- डरने की जरूरत नहीं, आल इज वेल..
चंडीगढ़ की मास्टर एथलीट और गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हास्पिटल की नर्सिंग आफिसर नीरू कक्कड़ ने भी पहले दिन कोविड वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन लगवाने के बाद नीरू ने कहा कि वैक्सीन से डरने की जरूरत नहीं है। यह हमारी सुरक्षा के लिए ही है।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक]। मास्टर एथलीट और गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हास्पिटल में बतौर नर्सिंग आफिसर कार्यरत नीरू कक्कड़ ने भी पहले दिन कोविड वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन लगवाने के बाद नीरू ने कहा आल इज वेल। वैक्सीन की सुरक्षा पर जब नीरू से सवाल किया गया। उन्होंने कहा वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, वो गलत है। वैक्सीन लोगों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
बता दें शहर की इंटरनेशनल एथलीट नीरू कक्कड़ मोरनी हिल्स मैराथन में दूसरा स्थान हासिल किया था। नीरू कक्कड़ ने अब तक 10 मैराथन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। इनसे वे 8 मेडल जीत चुकी हैं।अभी तक नर्सिंग अॉफिसर नीरू 4 इंटरनेशनल मेडल के साथ 60 से ज्यादा मेडल जीत चुकी हैं।
साल 2019 में नीरू कक्कड़ जीत चुकी हैं 8 मेडल
मास्टर एथलीट नीरू कक्कड़ ने आल इंडिया सिविल सर्विस गेम्स में चडीगढ़ की तरफ से हिस्सा लिया। उन्होंने एसबीआई ग्र्रीन मैराथन में तीसरा स्थान हासिल किया। रोपड़ मैराथन में ब्रांज मेडल, नंगल में आयोजित व्हील एंड स्टराइड्स मैराथन में पहला स्थान, बठिंडा हॉफ मैराथन में दूसरा स्थान, पंजाब डेली वर्ल्ड मैराथन में मेडल और नगद इनाम, श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित हाफ मैराथन में तीसरा स्थान, लुधियाना हॉफ मैराथन और चंडीगढ़ में आयोजित टफमैन मैराथन में दूसरा स्थान हासिल किया है। गौरतलब है कि पिछले साल नीरू कक्कड़ ने मलेशिया के पेनांग में आयोजित एशिया पेसिफिक मास्टर गेम्स में चार मेडल जीतकर शहर का मान बढ़ाया था। नीरू ने प्लस-45 आयुवर्ग की कैटेगरी में 5000 मीटर रेस में हिस्सा लेते हुए दूसरा स्थान,5000 मीटर वॉक में सिल्वर मेडल, 3000 मीटर वॉक में ब्रांज मेडल और 21 किलोमीटर की हॉफ मैराथन में फिनिशर का मेडल का जीता था।
स्टेट व नेशनल स्तर पर भी जीत चुकी हैं कई खिताब
नीरू ने बताया कि एथलीट चैंपियनशिप में 5 साल पहले हिस्सा लेना शुरू किया था। वे एथलीट चैंपियनशिप के वॉक, रनिंग व मैराथन प्रतियोगिताओं में ही भाग लेती हैं। नीरू ने बताया कि मुझे मेडल जीतने में मजा आता है और मैं अभी बच्चों की तरफ मेडल जीतकर खुश होती है। यही जुनून मुझे मेहनत करने को प्रेरित करता है। मैं रोजाना दो घंटे दौड़ती हूं।