बाबर के शासनकाल में बना था मां जयंती का मंदिर, माता की महिमा से डाकू गरीबदास बना था प्रसिद्ध राजा

चंडीगढ़ से 15 किलोमीटर दूर पंजाब के मोहाली जिले के जयंती माजरी गांव में मां जयंती देवी का है। मंदिर की स्थापना पांच सौ साल पहले पहले मुगल शासक बाबर के शासनकाल में हुई थी। उस समय वर्तमान मुल्लापुर जयंती माजरी गांव के साथ जयंती नदी बहती थी।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 01:32 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 01:32 PM (IST)
बाबर के शासनकाल में बना था मां जयंती का मंदिर, माता की महिमा से डाकू गरीबदास बना था प्रसिद्ध राजा
जयंती देवी माता का मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। नीचे हैं कांगड़ा से लाई गईं मूर्तियां।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। चैत्र नवरात्र में हर मंदिर में मां की महिमा का गुणगान होता है। हर देवी का अपना-अपना महत्व और इतिहास है। चंडीगढ़ में दो प्रसिद्ध मंदिर है। पहला मंदिर चंडीगढ़ से 15 किलोमीटर दूर पंजाब के मोहाली जिले के जयंती माजरी गांव में मां जयंती देवी का है। दूसरा मंदिर पंचकूला में मां मनसा देवी का है। वर्ष में आने वाले दोनों नवरात्रों में मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। इन मंदिरों को लेकर श्रद्धालुओं की अपनी मान्यता और विचार हैं। मां जयंती देवी का मंदिर गांव की पहाड़ी पर स्थित है। इससे जुड़ी मान्यताओं और इतिहास बड़ा दिलचस्प है।

मंदिर की स्थापना पांच सौ साल पहले पहले मुगल शासक बाबर के शासनकाल में हुई थी। उस समय वर्तमान मुल्लापुर, जयंती माजरी गांव के साथ जयंती नदी बहती थी। उस नदी के साथ हथनौर राज्य नाम का राज्य हुआ करता था। राजा के 22 बेटे थे। एक बेटे की शादी कांगड़ा जिले के राजा की बेटी के साथ हुई जो कि माता की भक्त थी। शादी से पहले कांगड़ा के राजा की बेटी ने मां को अपने साथ चलने की अपील की। शादी के बाद माता की मूर्ति उसके साथ आई और उसके पुजारी भी कांगड़ा से ही आए। माता की मूर्ति की स्थापना जयंती नदी के किनारे पर की गई। यहां कांगड़ा से आई हुई बेटी शादी के बाद पूजा-पाठ करती रही। जब उसका देहांत हुआ तो माता की पूजा होनी बंद हो गई।

मां की महिमा से डाकू गरीबदास बना था राजा

जयंती नदी के किनारे स्थापित माता की पूजा कांगड़ा से आई बेटी के अलावा मनीमाजरा के जंगलों में रहने वाला डाकू गरीबदास भी करता था। कुछ समय बाद जब कांगड़ा की बेटी का देहांत हो गया तो डाकू गरीबदास ने हथनौर राज्य पर हमला किया और सब कुछ खत्म करके खुद का राज्य स्थापित कर लिया और नदी के किनारे रखी माता की मूर्ति को पहाड़ी पर ले जाकर मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया। यह मंदिर करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित है। हथनौर में राज्य को खत्म करने के बाद डाकू गरीबदास राजा बना और उसने मनसा देवी मंदिर तक करीब पचास किमी के दायरे में शासन किया। हथनौर राज्य में राजमहल के बाद अपने किले की स्थापना वर्तमान मुल्लापुर में की और दूसरा किला मनीमाजरा में बनाया गया। दूसरा किला बनने के बाद माता मनसा देवी के मंदिर की भी स्थापना की।

मुल्लापुर में बना किला बन चुका है सरकारी स्कूल

राजा गरीबदास के देहांत के बाद मुल्लापुर में बना किला इस समय सरकारी स्कूल बन चुका है। इसमें स्थानीय बच्चे पढ़ाई करते हैं।

8वीं पीढ़ी कर रही है माता की पूजा

मंदिर के पुजारी गौरव ने बताया कि माता के साथ जो पुजारी आया था, उसकी आठवीं पीढ़ी माता की पूजा कर रही है। अब तक के सभी पूर्वजों ने माता की सेवा की है जो कि भविष्य में भी जारी रहेगी। इस समय जयंती देवी मंदिर में काफी डेवेलपमेंट हो चुका है।

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