Boxing के लिए क्रेजी चंडीगढ़ की कुड़ियों, मैरीकॉम की तरह बनने के लिए 150 लड़कियां ले रही कोचिंग

स्पोर्ट्स कांप्लेक्स -42 स्पोर्ट्स कांप्लेक्स -52 और एसडी कॉलेज-32 में मौजूदा समय में 150 से ज्यादा लड़कियां कोचिंग ले रही हैं इन लड़कियों की माने तो बॉक्सिंग एक इंडविजुअल खेल है और इस खेल में वह मैरीकॉम की तरह देश के लिए मेडल जीतना चाहती हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 03:25 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 03:25 PM (IST)
Boxing के लिए क्रेजी चंडीगढ़ की कुड़ियों, मैरीकॉम की तरह बनने के लिए 150 लड़कियां ले रही कोचिंग
चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में बॉक्सिंग की कोचिंग लेने वाली लड़कियां।

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। शहर में बेहतर स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए अन्य राज्यों के युवा भी खेल में भविष्य बनाने के लिए चंडीगढ़ का रुख करते हैं।  हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, कबड्डी, फुटबॉल, वाटर स्पोर्ट्स और बॉक्सिंग जैसी कई खेलों की कोचिंग मौजूदा समय में यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट की तरफ से दी जाती है।

बावजूद इसके शहर की लड़कियों का क्रेज इन दिनों बॉक्सिंग की तरफ बढ़ा है। स्पोर्ट्स कांप्लेक्स-42, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स -52 और एसडी कॉलेज-32 में मौजूदा समय में 150 से ज्यादा लड़कियां कोचिंग ले रही हैं, इन लड़कियों की माने तो बॉक्सिंग एक इंडविजुअल खेल है और इस खेल में वह मैरीकॉम की तरह देश के लिए मेडल जीतना चाहती हैं।

कोच बोले यकीनन जीतेंगी देश के लिए मेडल

यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के कोच हरदीप सिंह ने बताया कि हमारे पास मौजूदा समय में ज्यादातर प्रेक्टिस करने वाली लड़कियों की उम्र 8 से 15 साल के बीच में है। ऐसे में हमारे पास इन सभी खिलाड़ियों को बतौर प्रोफेशनल बॉक्सर बनाने के लिए काफी समय है। अभी यह तीन से चार साल नियमित रूप से प्रेक्टिस करेंगी, तो यकीनन देश के लिए मेडल जीतेंगी। बता दें हरदीप सिंह इंडियन नेवी से रिटायर्ड सैनिक है और वह अपने करियर में तीन बार नेशनल चैंपियन (2001,2002,2003) और छह बार सर्विस चैंपियन रह चुके हैं। इसके अलावा कई इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

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मैं गवर्नमेंट स्कूल रायपुर खुर्द में 10वीं कक्षा में पढ़ती हूं और पिछले दो सालों से बॉक्सिंग की कोचिंग ले रही हूं। पिछले साल स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैंने अंडर -16 आयुवर्ग में ब्रांज मेडल जीता था। इस साल मेरी तैयारी काफी अच्छी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते टूर्नामेंट ही नहीं हुआ।

                                                                                                                             -हिमानी, बॉक्सर

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मैंने इसी साल बॉक्सिंग की कोचिंग लेना शुरू की है। अभी तक कोई मेडल तो नहीं जीता है, लेकिन मैं बॉक्सिंग में ही करियर बनाना चाहती हूं। मुझे मेरीकॉम की तरह देश के लिए मेडल जीतने हैं।

                                                                                                                                  -नेहा, बॉक्सर

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मेरे तायाजी जतिंद्र सिंह जून भी बॉक्सर रहे हैं। घर में बॉक्सिंग से प्रेक्टिस करते हुए मेरी भी इस खेल में रूचि बनी। पिछले साल स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैंने एक गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीता था। मैं बॉक्सिंग में ही करियर बनाना चाहता हूं।

                                                                                                                           -निशिता, बॉक्सर  

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मैं शिशु निकेतन स्कूल में पढ़ती हूं। हमारे स्कूल के फिजिकल एजुकेशन के अध्यापक दीपेंद्र सिंह ने मुझे बॉक्सिंग की कोचिंग लेने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद मैंने स्पोर्ट्स कांप्लेक्स -42 में बॉक्सिंग की कोचिंग लेना शुरू कर दी है। अभी धीरे -धीरे मेरे में आत्मविश्वास बढ़ रहा है।

                                                                                                                               -निधि, बॉक्सर

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मैं पिछले चार सालों से बॉक्सिंग की कोचिंग ले रही हूं। पिछले साल चंडीगढ़ स्टेट में मेरा अंडर -17 में ब्रांज मेडल आया था। कोच हम पर काफी मेहनत करते हैं। अभी दो साल से टूर्नामेंट नहीं हुए जिस वजह से खिलाड़ियों को खासा नुकसान हुआ है। उम्मीद है जल्द टूर्नामेंट शुरू होंगे। जिससे हमें भी खुद को साबित करने का मौका मिलेगा।

                                                                                                                            -नीतिका, बॉक्सर

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