चंडीगढ़ में फाइनेंस कंपनी को मनमानी पड़ी भारी, हर्जाने के तौर पर मरीजों के इलाज के लिए देने होंगे एक लाख रुपये

कंपनी के खिलाफ सेक्टर-15 के मनीष सहगल ने चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में शिकायत दी थी। इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन ने आदेश दिया कि कंपनी को 50 हजार रुपये हर्जाना भी भरना होगा। वहीं एक लाख रुपये मरीजों के इलाज के लिए देने होंगे।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 12:57 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 12:57 PM (IST)
चंडीगढ़ में फाइनेंस कंपनी को मनमानी पड़ी भारी, हर्जाने के तौर पर मरीजों के इलाज के लिए देने होंगे एक लाख रुपये
कंज्यूमर कमीशन ने फाइनेंस कंपनी एलएंडटी के खिलाफ आई शिकायत पर सुनवाई की है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में अभी तक कई कंपनियों को हर्जाना लगा है लेकिन हाल ही में एक केस ऐसा भी आया जहां एक कंपनी को हर्जाने की राशि शिकायतकर्ता काे नहीं बल्कि कोरोना मरीजों के लिए सरकारी अस्पताल को देनी होगी। व्हीकल फाइनेंस कंपनी एलएंडटी के खिलाफ आई शिकायत पर कमीशन ने यह आदेश जारी किए हैं। दरअसल कंपनी ने अपने उपभोक्ता को वाहन की एनओसी नहीं दी थी।

कंपनी के खिलाफ सेक्टर-15 के मनीष सहगल ने चंडीगढ़ स्टेट कमीशन में शिकायत दी थी। इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन ने आदेश दिया कि कंपनी को वाहन की एनओसी के साथ 50 हजार रुपये हर्जाना भी भरना होगा। वहीं, एक लाख रुपये कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ के पुअर पेशेंट फंड में दान करने होंगे। इस शिकायत को लेकर आयोग ने कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा कि जब महामारी के बाद भी उपभोक्ता ने पूरी किस्त जमा करवाई थी तो किस आधार पर कंपनी ने उनको वाहन की एनओसी देने से मना किया। कंपनी की तरफ से सवालों का जवाब नहीं दिया गया और आयोग ने कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया। 

पहले आयोग ने की थी शिकायत खारिज

दो साल पहले जिला उपभोक्ता आयोग ने उनकी शिकायत को खारिज कर दिया था।इस फैसले के खिलाफ उन्होंने स्टेट कमीशन में अपील फाइल की थी और इस बार कमीशन ने फैसला उनके हक में सुनाया। मनीष ने शिकायत में बताया कि 2012 में उन्होंने एक व्हीकल खरीदने के लिए एलएंडटी कंपनी से 2 लाख 70 हजार रुपये का लोन अप्रूव करवाया था। ये लोन पांच साल के लिए था और उन्हें हर महीने 6300 रुपये की किस्त देनी थी। मनीष ने पूरी किस्तें समय पर जमा करवाई थी। लेकिन जब लोन पूरा हुआ तो उन्होंने कंपनी से वाहन की एनओसी मांगी तो कंपनी ने एनओसी देने से साफ मना कर दिया। कंपनी की ओर से कहा गया कि उनका अभी भी 15 हजार रुपये बकाया था। उन्होंने कमीशन में कहा कि उनकी एक या दो किस्तें जरुर टूटी थी लेकिन उन्होंने उन किस्तों का भुगतान चेक के जरिये कर दिया था। बावजूद कंपनी की तरफ से मनमाने तरीके से उनको एनओसी नहीं दी गई।

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