जिला शिक्षा अधिकारी की पीए ने जीती कोरोना से जंग, कहा- मुश्किल वक्त में मां की ममता ने दी हिम्मत

शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी की वैयक्तितक सहायक पीए सुनीता ने कहा कि जिस समय मेरी बेटी एडमिट हुई तो थोड़ा डर लगा। दो सितंबर रात आठ बजे मेरी मां का कैंसर के कारण देहांत हो गया। उस समय मैं पूरी तरह से टूट गई।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 12:53 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 12:53 PM (IST)
जिला शिक्षा अधिकारी की पीए ने जीती कोरोना से जंग, कहा- मुश्किल वक्त में मां की ममता ने दी हिम्मत
सुनीता, पीए, शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी, चंडीगढ़। (File Photo)

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। जब मुझे कोरोना हुआ और मुझे अस्पताल में भर्ती किया गया, तो मैं डरी नहीं थी लेकिन दूसरे दिन मेरी बेटी भी पॉजिटिव अा गई और वह भी मेरे साथ एडमिट हो गई। जिस समय मेरी बेटी एडमिट हुई तो थोड़ा डर लगा। दो सितंबर रात आठ बजे मेरी मां का कैंसर के कारण देहांत हो गया। उस समय मैं पूरी तरह से टूट गई। शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी की पीए सुनीता कोरोना महामारी को हरा अब रूटीन लाइफस्टाइल में आ चुकी है।

सुनीता ने बताया जब मां का देहांत हुआ तो मैं उनके अंतिम संस्कार पर भी नहीं जा सकी और संस्कार की सारे रस्में मैंने वीडियो कॉल से देखी। उसी समय मैं खुद को दुनिया की सबसे लाचार इंसान मान रही थी। उस समय मुझे मेरी मां की ममता याद आई। मैं आॅफिस से छुट्टी होने के बाद घर जाती थी तो पहले मुझे अपनी मां के पास जाना ही होता था यदि मैं उनके पास नहीं जाती थी तो वह मुझे डांटती थी और बोलती थी कि मैं मां हूं इसलिए तू मेरा दर्द नहीं समझ सकती। मुझे उसी मां की ममता ने हिम्मत दी और मैं खुद को अपने बच्चों के लिए संभाला।

पांच सितंबर को डीईओ के देहांत ने तोड़कर रख दिया

सुनीता ने बताया कि मैंने अभी खुद को संभाला ही था कि पांच सितंबर को मुझे पता चला कि जिला शिक्षा अधिकारी हरबीर आनंद का देहांत भी कोरोना के कारण हो गया। मैं फिर से डर गई क्योंकि मेरे घर मेरे ससुर थे जिनकी उम्र 87 साल थी। मुझे अंदर ही अंदर डर सताने लग गया कि कहीं उनको न कुछ हो जाए। उसी डर के बीच मुझे पता चला कि मेरे पति और बेटे को भी कोरोना हाे गया। मुझे खुद को समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं करूं क्या। पिता को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत थी जिसके कारण मैं और बेटी छुट्टी लेकर घर आ गई और पति और बेटे को अस्पताल में भर्ती करवा दिया। हम घर आए ही थे कि सात सितंबर को ससुर बीमार हो गए। उनका भी कोरोना टेस्ट कराया तो वह भी पॉजिटिव थे। मेरे लिए वह समय सबसे ज्यादा हिलाने और डराने वाला था। उस दिन मैंने बेटे को घर बुला लिया और ससुर को पति के साथ अस्पताल में भर्ती करवा दिया।

पति ने ससुर और मैंने बच्चों के लिए जुटाई हिम्मत

उन्होंने कहा कि मेरे पाॅजिटिव आने के बाद पूरा परिवार बिखर गया था लेकिन अपनी मां की सीख के लिए मुझे अपने बच्चों और परिवार के लिए खड़ा होना था। मैं और बच्चे घर में क्वांरटाइन थे और पति और ससुर अस्पताल में। मैं और मेरे पति ने हिम्मत जुटाई और हम 20 से 25 दिनों में पूरी तरह से नेगटिव होकर घर आ चुके है अौर नॉर्मल जीवन भी शुरू कर चुके है।

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