4 साल बाद बुजुर्ग को मिला न्याय, युवतियों ने लगाया था छेड़छाड़ का आरोप, चंडीगढ़ जिला अदालत ने किया बरी
कानून पर लोगों को भरोसा इसलिए है क्योंकि उन्हें उम्मीद रहती है कि अदालत उनके साथ न्याय करेगी। बिल्कुल ठीक ऐसा ही मामला चंडीगढ़ में सामने आया है। चार साल पुराने मामला में चंडीगढ़ जिला अदालत ने एक 60 साल के बुजुर्ग को बरी किया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। कानून पर लोगों को भरोसा इसलिए है क्योंकि उन्हें उम्मीद रहती है कि अदालत उनके साथ न्याय करेगी। बिल्कुल ठीक ऐसा ही मामला चंडीगढ़ में सामने आया है। चार साल पुराने मामला में चंडीगढ़ जिला अदालत ने एक 60 साल के बुजुर्ग को बरी किया है। बुजुर्ग पर युवतियों ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, लेकिन ये सभी आरोप झूठे साबित हुए और बुजुर्ग मदनलाल को न्याय मिला।
छेड़छाड़ के झूठे केस में वीरवार को मदनलाल को जिला अदालत ने बरी घोषित किया। जेएमआइसी जसप्रीत सिंह मिनास की कोर्ट ने मदनलाल के केस में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद यह आदेश दिया। अदालत में मदनलाल की तरफ से पेश हुए वकील अमर सिंह चहल और दिलशेर सिंह जंडियाल ने दलील दी कि युवतियों की ओर से मदनलाल पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। युवतियां मदनलाल की सेक्टर-10 स्थित कंफेक्शनरी दुकान से मैगी के अलावा खाने-पीने की दूसरी चीजें लेती थीं। लेकिन जब बिल 4000 से 4500 बन गया तो मदनलाल ने युवतियों से पैसे मांगे लेकिन युवतियों ने पैसे देने की बजाए उलटा उस पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया।
इसके अलावा युवतियों ने अगले दिन आकर मदनलाल के साथ मारपीट की। उस समय डीएवी कॉलेज के स्टूडेंट्स काउंसिल के दबाव में आकर थाना-3 ने बिना कोई जांच किए और तथ्य को जाने मदनलाल पर छेड़छाड़ की धारा के तहत केस दर्ज किया।
आरोप झूठे थे, घटना के 72 घंटे बाद पुलिस ने दर्ज की थी एफआइआर
एडवोकेट दिलशेर ने बताया कि युवतियों के आरोप सरासर झूठे थे। इसके लिए कोर्ट में सबूत भी पेश किए गए थे। जिस यह घटना हुई उस दिन युवतियों ने न तो अपने हाॅस्टल वार्डन को इसके बारे में बताया और न ही प्रिंसिपल को शिकायत दी। इसके अलावा युवतियों ने घटना के 27 घंटे देरी से एफआइआर दर्ज कराई। इन दलीलों को सही मानते हुए जज से मदनलाल को बरी करने का फैसला दिया।
मदनलाल बोला- मेरी उम्र का तो लिहाज किया होता
युवतियों ने 60 साल के बुजुर्ग मदनलाल छेड़छाड़ का आरोप लगाए थे। कोर्ट में मदनलाल ने कहा कि वह कई वर्षों से सेक्टर-10 में दुकान चलाता है। डीएवी कॉलेज के कई स्टूडेंट्स उनसे उधार सामान ले जाते थे लेकिन ऐसा घिनौना आरोप किसी ने नहीं लगाया। जिन लड़कियों ने झूठा आरोप लगाया उन्होंने मेरी उम्र का भी लिहाज नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह कई बार स्वयं ही बच्चों की मजबूरी को देखते हुए 500 या हजार रुपये माफ कर देते थे या उनको धीरे-धीरे पैसे देने के लिए कहते थे।