चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष ने अस्पताल से संभाला मोर्चा, कार्यकर्ताओं का बढ़ा रहे मनोबल

चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। पार्टी गतिविधियां थम जाने का गम उन्हें अस्पताल में भी सता रहा है। शनिवार को जब वह थोड़े से ठीक हुए तो उन्होंने खुद मोर्चा संभालते हुए अस्पताल से कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल बैठक की।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 12:28 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 12:28 PM (IST)
चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष ने अस्पताल से संभाला मोर्चा, कार्यकर्ताओं का बढ़ा रहे मनोबल
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल में भर्ती चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चावला।

चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना की लड़ाई में कांग्रेस ने एक माह से कोई कार्यक्रम नहीं किया है। क्योंकि चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। पार्टी गतिविधियां थम जाने का गम उन्हें अस्पताल में भी सता रहा है। इसलिए शनिवार को जब वह थोड़े से ठीक हुए तो उन्होंने खुद मोर्चा संभालते हुए अस्पताल से कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल बैठक की।

कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए सुभाष चावला ने कहा कि वह जल्द ही फिर से भाजपा के खिलाफ सड़कों पर आने वाले हैं। उन्होंने प्रवक्ताओं को अपनी जिम्मेदारी सतर्क होकर निभाने के लिए प्रेरित किया। तीन माह पहले ही चावला को कांग्रेस की कमान मिली है, जिसके बाद गुटबाजी भी हावी हो गई है। पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने पार्टी के समांतर काम करने के लिए विकासशील मोर्चा बना दिया है। ऐसे में अध्यक्ष चावला को भी पता है कि उन्हें भाजपा के साथ-साथ पार्टी के भीतरघात का भी सामना करना पड़ेगा। पिछले माह से कांग्रेस भवन में भी कोई नहीं जा रहा है।  

करोड़ों की चोरी इनाम दस हजार

पिछले दिनों शहर की सबसे बड़ी चोरी सेक्टर-34 के एक्सिस बैंक में हुई। पुलिस ने भी चार करोड़ से ज्यादा की चोरी होने पर किरकिरी से बचने के लिए आरोपित सुराग बताने वाले के लिए इनाम घोषित किया। इतनी बड़ी चोरी के लिए मात्र दस हजार रुपये की इनाम की राशि सुनकर हर कोई हैरान हुआ। सोशल मीडिया में लोगों ने इस राशि को ज्यादा बताते हुए खूब मजे लिए। सुराग बताने वाले के लिए इनामी राशि घोषित कर दी गई, लेकिन पुलिस ने इस बात को ज्यादा नहीं फैलाया। क्योंकि उन्हें भी पता था कि इतनी बड़ी चोरी के सामने इनाम राशि का आटे में नमक के बराबर है। जब लोगों ने इस बारे में पुलिस कर्मचारियों से सवाल किए, तो वह भी इस मामले में कनी काटते हुए नजर आए। जबकि बाद में जब पुलिस ने चौकीदार को गिरफ्तार कर लिया, तो अपनी पीठ थपथापने में भी पीछे नहीं हटे। गपशप करते हुए लोग कह रहे हैं कि ईनामी राशि इतनी रखनी चाहिए जिससे पब्लिक पुलिस की मदद के लिए सामने आ सके।

रिटायर्ड बाबू अभी भी खिदमत में

चंद बाबू ऐसे हैं जिनका रिटायर्ड होने के बाद भी बोलबाला है। ऐसे बाबू नगर निगम में आते हैं और अपने विभाग के सीनियर अधिकारी के लिए काम करते हैं। असल में कई इंजीनियर ऐसे हैं जो अपना काम इनसे करवाते हैं, क्योकि इन बाबुओं के पास काफी अनुभव है और इनकी ड्यूटी में रहते हुए भी इनकी काफी अच्छी ट्यूङ्क्षनग रही है। ऐसे में इन बाबुओं को समय-समय पर इंजीनियर्स और अधिकारी बुला लेते हैं और उनसे अपने नाम का सरकारी काम करवाते हैं, लेकिन वेतन उन्हें अधिकारी अपनी जेब से देते हैं। कईयों को लगता है कि अभी भी यह बाबू सरकारी नौकरी में हैं। इन रिटायर्ड बाबुओं का ठेकेदारों के साथ भी अच्छे संबंध हैं, जिसका फायदा भी मिल जाता है। गपशप करते हुए एक बाबू के रिटायर्ड होने की बात एक सीनियर अधिकारी को पता चल गई है, लेकिन वह भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। इसलिए जब भी कभी रिटायर्ड कर्मचारियों को रखने की बात होती है, तो अधिकारी अपने पुराने कर्मचारियों की जमकर वकालत करते हैं।

कहीं सिफारिश न हो जाए खारिज

हाल ही में मेयर के ड्राइवर रखवाने का मामला काफी गरमाया है। जिसके बाद कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए प्रशासक वीपी ङ्क्षसह बदनौर से जांच की मांग की है। असलियत यह है कि सवाल उठाने वाली कांग्रेस पार्टी के हर पार्षद ने भी अपने तीन-तीन जानकारों के नाम ड्राइवर रखने के लिए दिए हैं, क्योंकि सदन ने यह पास किया था कि हर पार्षद तीन-तीन लोगों के नाम ड्राइवर के लिए दे सकता है, जिनका टेस्ट नहीं होगा। पार्षदों को लगा कि मामला गर्माने पर कहीं उनकी सिफारिश खारिज ही न हो जाए। जबकि एक कांग्रेस के पार्षद ने तो तीन के बजाय चार के नाम दिए हैं। कांग्रेस के चंद पार्षद यह चाहते थे कि यह मामला न गर्माया जाए, लेकिन वह पार्टी की मजबूरी के सामने कुछ नहीं कह सके, क्योंकि उन्होंने भी अपने जानकारों को ड्राइवर की नौकरी दिलवाई है। कांग्रेस ने जो प्रशासक को पत्र लिखा उसमें सभी पार्षदों के नाम भी लिखे गए, जबकि चंद पार्षदों ने गपशप करते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। जबकि एक पार्षद ने तो मेयर को भी फोन करके कहा कि पार्टी की मजबूरी है, जिस कारण उनका नाम शिकायत पत्र में लिखा गया है। मेयर ने भी कांग्रेस के उन पार्षदों के नाम तलाशे जा रहे हैं, जिन्होंने चार कर्मचारियों की ड्राइवर रखने की सिफारिश की थी।

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