चंडीगढ़ में घर के कूड़े से 20 फीसद ग्रीन हाउस गैसेज के साथ 110 दिनों में तैयार हो रही खाद

घर के कूड़े को डंपिग ग्राउंड में फेंकने से कहीं ज्यादा बेहतर है कि उसका रियूज करें। यही करके दिखाया गया पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज फार गल्र्स सेक्टर-11 में बॉटनी विभाग के एचओडी डा. विशाल शर्मा ने ।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:13 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:13 PM (IST)
चंडीगढ़ में घर के कूड़े से 20 फीसद ग्रीन हाउस गैसेज के साथ 110 दिनों में तैयार हो रही खाद
डा. विशाल शर्मा ने कालेज कैंपस के अंदर इकोमैन कंपोस्टर की मशीन फूडी का स्थापित की है।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। घर के कूड़े को डंपिग ग्राउंड में फेंकने से कहीं ज्यादा बेहतर है कि उसका रियूज करें। यही करके दिखाया गया पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज फार गल्र्स सेक्टर-11 में बॉटनी विभाग के एचओडी डा. विशाल शर्मा ने। डा. विशाल शर्मा ने कालेज कैंपस के अंदर इकोमैन कंपोस्टर की मशीन फूडी का स्थापित कराया है। जिससे वह कालेज में पैदा हो रहे कबाड़ को खाद के रूप में तब्दील कर रहे है और इस कार्य के लिए डा. विशाल को यूनाइटेड नेशन ने सस्टेनवल डेवेलपमेंट गोल के तहत अवार्ड भी हासिल किया है। यह अवार्ड पाने वाले डा. विशाल देश भर से अकेले व्यक्ति है।

20 फीसद पैदा करता है ग्रीन हाउस गैसेज

डा. विशाल ने बताया कि यदि हम कूड़े को खुले में फेंक देते है तो वह मीथेन और कार्बनडाइआक्सीइड को पैदा करता है जो कि इंसान में सांस और पानी के जरिए चर्म रोग को न्यौता देता है। यदि हम कूड़े को खुले में पिट कंपोस्ट के जरिए तब्दील करने का प्रयास करते है तो वह खुले से 60 फीसद तक विषैल हवा को जन्म देता है जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इकाेमैन कंपोस्टर मशीन सात दिन तक प्रति दिन आठ घंटे के लिए बिजली की खपत करती है जिसका खर्च एक हजार रूपये के करीब आता है लेकिन ग्रीन हाउस गैसेज की उत्पादन क्षमता मात्र 20 फीसद तक रह जाती है और यह 110 दिन में पौधे के लिए काम करने को तैयार हो जाती है।

दो सालों से कर रहे काम 2250 टन पैदा कर चुके है खाद

डा. विशाल ने बताया कि कंपोस्टर को दिसंबर 2019 में कालेज में स्थापित किया गया था। मार्च 2020 से कालेज बंद है उसके बावजूद भी जो भी पेड़ों के पत्ते या फिर कालेज कैंपस में पैदा होने वाला कूड़ा इसमें डाला जा रहा है जिससे 2250 टन खाद को तैयार किया जा चुकी है जो कि कालेज 40 एकड कैंपस में इस्तेमाल की जा रही है। डा. विशाल ने बताया कि इस खाद का इस्तेमाल करने के बाद फरवरी 2020 और 2021 में नगर निगम की तरफ से आयोजित होने वाले रोज फेस्टिवल में कालेज के फूलों को अवार्ड मिल चुका है। गौरतलब है कि नगर निगम के रोज फेस्टिवल में शहर के 90 से ज्यादा फूलों के प्रतिभागी हर साल पहुंचते है।

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