हिमाचल के पहाड़ों के लिए चंडीगढ़ के साइकिलिस्ट रवाना, 4 दिन में कवर करेंगे 275 किमी, ये रहेगा रुट प्लान

साइकिल से हिमाचल के पहाड़ों की सैर के लिए चंडीगढ़ के साइकिलिस्ट निकल चुके हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश देते हुए वीरवार को सेक्टर-27 स्थित भवन विद्यालय के स्टूडेंट्स हिमाचल के लिए निकले हैं। इनका यह टूर चार दिन का है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 01:57 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 01:57 PM (IST)
हिमाचल के पहाड़ों के लिए चंडीगढ़ के साइकिलिस्ट रवाना, 4 दिन में कवर करेंगे 275 किमी, ये रहेगा रुट प्लान
चार शिक्षकों के साथ आठ स्टूडेंट्स चार दिन तक साइकिल से हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में घूमेंगे।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। साइकिल से हिमाचल के पहाड़ों की सैर के लिए चंडीगढ़ के साइकिलिस्ट निकल चुके हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश देते हुए वीरवार को सेक्टर-27 स्थित भवन विद्यालय के स्टूडेंट्स हिमाचल के लिए निकले हैं। भवन विद्यालय के एडवेंचर एंड साइकिलिंग क्लब द्वारा आयोजित साइकिलिंग अभियान 'टूर डी हिमाचल' को मानद मधुकर मल्होत्रा ​​ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर स्कूल की वरिष्ठ प्रधानाचार्य विनीता अरोड़ा भी मौजूद थी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुरू किए गए एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत इस अभियान को 'टूर डी हिमाचल' के नाम से आयोजित किया जा रहा है। चार शिक्षकों के साथ आठ स्टूडेंट्स चार दिन तक साइकिल से हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में घूमेंगे। इन साइकिलिस्ट का यह ग्रुप चंडीगढ़-शिमला हाईवे से होता हुआ हिमाचल प्रदेश के साधुपुल के लिए धर्मपुर, सोलन और कंडाघाट से होकर गुजरेगा। साधुपुल में नाइट स्टे करने के बाद अगल दिन ग्रुप के सदस्य दल समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर चैल की खड़ी चढ़ाई को कवर करते हुए अभियान का दूसरा और सबसे कठिन हिस्सा शुरू करेगा। वहां राष्ट्रीय सैन्य स्कूल में इस ग्रुप का दूसरा नाइट स्टे होगा। इसके बाद छात्र चैल से शुरू होकर कुफरी होते हुए शिमला पहुंचेंगे।

17 अक्टूबर को अभियान के अंतिम चरण को डीआइजी आइटीबीपी प्रेम सिंह नेगी, जो एक प्रसिद्ध पर्वतारोही हैं, वरिष्ठ प्रधानाचार्य विनीता अरोड़ा के साथ झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस दौरान यह दल 275 किलोमीटर की दूरी तय कर चंडीगढ़ लौटेगा। साइक्लोथॉन के जरिये छात्र टीम को सुंदर और अविश्वसनीय हिमाचल के बारे में जानने का भी मौका मिलेगा। पहाड़ियों को बचाने और स्वस्थ जीवन के तरीके के रूप में साइकिल चलाने को प्रोत्साहित करने का संदेश भी देंगे। यह विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच बातचीत और पारस्परिक आदान-प्रदान के माध्यम से सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने की दिशा में भी एक प्रयास है।

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