इस बार पराली न जलने पाए... चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने पंजाब-हरियाणा को पत्र लिख चेताया
पंजाब व हरियाणा के खेतों में पराली जलाने से हवा में विषैली गैस मिलकर हजारों मील तक इसे प्रदूषित कर देती हैं। हर साल सर्दियों में यह समस्या सामने आती है।
चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। सर्दियों की आहट के साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन को प्रदूषण की चिंता सताने लगी है। धान कटाई का सीजन शुरू होने पर सबसे बड़ी चिंता पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने और इससे फैलने वाले प्रदूषण को लेकर है। पराली का धुआं वातावरण में जहर न घोले, इसे लेकर प्रशासन ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने पंजाब और हरियाणा को पत्र लिखकर पराली जलाने की घटनाएं नहीं होने देने के लिए आगाह किया है। पत्र में पराली जलाने से वातावरण पर पहले पड़े दुष्प्रभाव की भी जानकारी दी गई है।
बता दें कि पंजाब व हरियाणा के खेतों में पराली जलाने से हवा में विषैली गैस मिलकर हजारों मील तक इसे प्रदूषित कर देती हैं। इससे चंडीगढ़, दिल्ली जैसे शहरों की हवा भी विषैली हो जाती है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में बड़ा इजाफा हो जाता है। पंजाब व हरियाणा की सरकारों ने विभिन्न माध्यमों से किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है, फिर भी फील्ड में ऐसी घटनाएं होनी भी शुरू हो गई हैं।
छह महीने नियंत्रण में रहा प्रदूषण
अक्टूबर में रातें ठंडी होने से तापमान में भी और गिरावट आ जाएगी। ठंड के दिनों में वैसे ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्टूबर-नवंबर में 300 के पार पहुंच जाता है। पांच महीने तक जो एक्यूआई 50 से नीचे रहा अब वह 100 के आस-पास पहुंचने लगा है। तापमान में गिरावट के साथ यह और बढ़ेगा। छह महीने से जो स्थिति नियंत्रण में थी वह पराली जलने से अनियंत्रित हो जाएगी। कोरोना महामारी में यह कहीं ज्यादा भयानक हो सकती है।
20 सितंबर को वायु प्रदूषण का हाल
शहर एक्यूआई लेवल
चंडीगढ़ 91
नई दिल्ली 145
गुरुग्राम 153
करनाल 90
जालंधर 84
पटियाला 95
भोपाल 53
अहमदाबाद 70
नागपुर 70
जानें पॉल्यूशन का एक्यूआइ मानक
0-50 अच्छा
51-100, संतोषजनक
101-200 मॉडरेट
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 बेहद ज्यादा खराब
एक टन पराली से 1724 किलो जहर
कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो
राख - 199 किलो
कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो
सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो
अन्य जहरीले कण - 3 किलो।
वायु प्रदूषण का खतरा तापमान गिरने के साथ और ज्यादा बढ़ रहा है। इस बीच पराली जली तो प्रदूषण और ज्यादा बढ़ जाएगा। सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके यहां पराली जलने की घटनाएं न हों। किसानों पर बोझ डालने के बजाए उन्हें जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना चाहिए। हर साल सर्दियों की शुरुआत में यह होता ही है। इसका ठोस हल निकाला जाना चाहिए।
-प्रो. एडी आहलुवालिया, पर्यावरण विशेषज्ञ।