HC की बाउंड्री वॉल को लेकर उलझन में प्रशासन, दीवार बनाई तो हट जाएगा Heritage status का दर्जा

पिछले काफी दिनों से पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट को उड़ाने की धमकियां मिल रही हैं। इसके बाद हाई कोर्ट ने चारों तरफ सात फीट ऊंची बाउंड्री वॉल बनाने के निर्देश प्रशासन को जारी किए थे।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 03:22 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 03:22 PM (IST)
HC की बाउंड्री वॉल को लेकर उलझन में प्रशासन, दीवार बनाई तो हट जाएगा Heritage status का दर्जा
HC की बाउंड्री वॉल को लेकर उलझन में प्रशासन, दीवार बनाई तो हट जाएगा Heritage status का दर्जा

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की बाउंड्रीवॉल बनाने को लेकर प्रशासन उलझन में है। प्रशासन के अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं कि इस मामले में करें तो क्या करें। हाई कोर्ट की बाउंड्री वॉल बनाएं तो वर्ल्ड हेरिटेज का स्टेटस खत्म होता है और न बनाएं तो कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होती है। दरअसल पिछले काफी दिनों से पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट को उड़ाने की धमकियां मिल रही हैं। पिछले तीन महीनों में कई बार ऐसी धमकियां मिल चुकी हैं। इसके बाद सुरक्षा को देखते हुए हाई कोर्ट ने चारों तरफ सात फीट ऊंची बाउंड्री वॉल बनाने के निर्देश प्रशासन को जारी किए थे। इन आदेशों के बाद से ही प्रशासन असमंजस की स्थिति में है।

कैपिटल कांप्लेक्स का अस्तित्व हो जाएगा खत्म

जुलाई 2017 में यूनेस्को ने चंडीगढ़ कैपिटल कांप्लेक्स को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया था। इसके बाद कांप्लेक्स का बफर जोन निर्धारित किया गया था। जिसमें कोई भी नया निर्माण नहीं हो सकता। इस दायरे में आने वाली पुरानी कंस्ट्रक्शन भी तोड़ी गई थी। कोई भी बदलाव प्रशासन की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता। कैपिटल कांप्लेक्स में हाई कोर्ट, विधानसभा और सेक्रेटेरिएट की बिल्डिंग के साथ ओपन हैंड और टावर ऑफ शेडो जैसे मॉन्यूमेंट भी हैं। चंडीगढ़ के क्रिएटर ली कार्बूजिए ने कैपिटल कांप्लेक्स बनाया था। जिसे पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ का ब्रेन कहा जाता है।

प्रशासक से हो चुकी चर्चा, नहीं हुआ कोई निर्णय

यूनेस्को ने कैपिटल कांप्लेक्स को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा देने के साथ इसके लिए पैरामीटर भी निर्धारित किए हैं। इन पैरामीटर्स का पालन नहीं करने पर हेरिटेज का स्टेटस छिन भी सकता है। इसी बात का डर प्रशासन को सता रहा है। इसी बात को देखते हुए यूटी प्रशासन के अधिकारी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रशासक वीपी सिंह बदनौर से भी इस मामले में चर्चा की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

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