पंजाब के बहाने एक बार फिर चर्चाओं में आया Ceiling Act, जानें क्या है इस एक्ट में
पंजाब ने हाल ही में सीलिंग एक्ट में बदलाव किया है। वैसे इसमें हरियाणा गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान समेत कई अन्य राज्य भी बदलाव कर चुके हैं। आरोप लगते रहे हैं कि इसमें बदलाव उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए होते हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। जमीनों के असामान्य वितरण को नियंत्रित करने के लिए आजादी के बाद सीलिंग एक्ट लागू किया गया था। जरूरतों और व्यवस्थाओं के चलते पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों ने समय-समय पर इसमें बदलाव किया है। हाल ही में पंजाब ने भी इसमें बदलाव किया। सरकार चाहे जो भी हो, सीलिंग एक्ट में बदलाव करने वाले हर सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का ही आरोप लगता है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार भी इसी दायरे में आ रही है।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब सरकार ने संशोधित बिल पारित कर भले ही अपने आप को किसान हितैषी साबित करने का दांव खेला हो, लेकिन सरकार के कुछ फैसले और ही कहानी कहते हैं। इसका एक उदाहरण लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव करना है। हालांकि, ऐसा सिर्फ पंजाब में ही नहीं हुआ। पंजाब समेत कई अन्य राज्यों ने भी बदलाव किया है। इनमें कांग्रेस व भाजपा शासित राज्य शामिल हैं।
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जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद 1961 में लैंड सीलिंग एक्ट लागू किया गया था। इसके अनुसार एक व्यक्ति 16 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि नहीं रख सकता था। असिंचित भूमि के मामले में यह रकबा 18 एकड़ तक बढ़ सकता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने 2017 में सत्ता में आते ही लैंड सीलिंग एक्ट से ‘पर्सन’ की परिभाषा से कंपनी को निकाल दिया था। लैंड सीलिंग एक्ट में पर्सन की परिभाषा में व्यक्ति और कंपनी एक ही श्रेणी में था। यानी दोनों के लिए एक ही कानून लागू था, लेकिन राज्य में उद्योगों को लाने की नीतियों के चलते लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव किया गया, जिससे उद्योगपतियों को फायदा हुआ।
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अब पंजाब में औद्योगिक घराने जितनी भी चाहे जमीन रख सकते हैं, जबकि एक व्यक्ति 16 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं रख सकता। पंजाब के अलावा हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने भी लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन कर बड़ी कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए जमीन लेने की राह खोल दी है। राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल भी इसी दौड़ में शामिल हैं।
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पंजाब में सीमांत किसानों को नुकसान
पंजाब में 99 फीसद से ज्यादा रकबा सिंचित है और भूखंड के मामले में भी राज्य काफी छोटा है। 65 फीसद से ज्यादा किसान सीमांत और छोटे हैं। साफ है कि सरकार के इस तरह के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान उनका ही होगा।
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उद्योगों की जमीन पर रियल एस्टेट का कारोबार
पंजाब समेत जितने भी राज्यों ने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन किया है, उसका फायदा बड़े उद्योगपतियों को ही हुआ है। क्योंकि बड़े औद्योगिक घरानों को ही ज्यादा जमीन की जरूरत होती है। औद्योगिक घराने अक्सर जिन प्रोजेक्टों के लिए जमीन लेते हैं, वहां प्रोजेक्ट नहीं लगाते और उन पर रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट बना लेते हैं। वहीं, छोटी और मध्यम दर्जे की इंडस्ट्री फोकल प्वाइंट्स में ही अपने लिए जमीन तलाशती है, ताकि उन्हें हर तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो। पूंजी न लगानी पड़े। पंजाब के साथ राजस्थान सरकार ने एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए कानूनों में संशोधन किया। वर्ष 2015 में कर्नाटक और वर्ष 2014 में बंगाल ने रियल एस्टेट सेक्टर को प्रमोट करने के लिए इस तरह के संशोधन किए थे।
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