कैप्टन अमरिंदर सिंह का चरणजीत सिंह चन्नी पर बड़ा हमला, कहा- बादलों के सामने किया था आत्मसमर्पण
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के आरोपों का जवाब दिया है। कैप्टन ने कहा कि बादलों के सामने उन्होंने नहीं बल्कि चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने भाई को बचाने के लिए आत्मसमर्पण किया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा ‘बादलों के साथ मिलीभगत’ के लगाए गए आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पलटवार किया है। कैप्टन ने कहा, ''मैं नहीं, चन्नी थे जिन्होंने अपने भाई को बचाने के लिए बादलों के सामने आत्मसमर्पण किया था।'' यही नहीं, कैप्टन ने कहा, ''जिनके घर शीशे के होते है, वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकते।’' पूर्व मुख्यमंत्री ने ऐसा कहकर इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि मुख्यमंत्री अगर उन पर हमला करेंगे तो उनके पास भी काफी मैटेरियल है।
कैप्टन ने कहा ‘'यह तो केतली को काला कहने वाली अनूठी मिसाल हो गई, क्योंकि मैंने नहीं बल्कि चन्नी ने अपने भाई को लुधियाना सिटी सेंटर मामले से बचाने के लिए बादलों को अपना समर्थन दे दिया था।’' बता दें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनमोहन सिंह जो कि स्थानीय निकाय में सुपरीटेंडेंट इंजीनियर थे, वो भी सिटी सेंटर मामले में कैप्टन के साथ सह आरोपी थे।
कैप्टन ने कहा, हालांकि मैं इस बहस में हिस्सा नहीं लेना चाहता था लेकिन जिस प्रकार से मुझ पर आरोप लगाए जा रहे है, उसे देखते हुए मुझे यह रहस्योद्घाटन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। चन्नी ने 2007 में मेरे साथ सिटी सेंटर मामले में सह आरोपी व उनके भाई को बचाने के लिए बादलों के आगे खुद को समर्पित कर दिया था।
कैप्टन ने कहा कि मैंने 2002 में बादल को सलाखों के पीछे डाल दिया था। जिसके कारण बादलों ने मेरे खिलाफ एक झूठा मुकदमा दायर किया था, जिसे मैने 13 साल तक अदालतों में लड़ा था, जबकि चन्नी ने खुद अपने भाई को बचाने के लिए उनके साथ समझौता किया और इसके बदले विधानसभा में उन्हें अपना समर्थन देने का वादा किया। चन्नी जोकि उस समय निर्दलीय विधायक थे, ने अपने भाई को बचाने के लिए बादल के साथ साठगांठ की। यहां तक की बादलों से क्षमा याचना भी की थी।
कैप्टन ने कहा कि अगर मैने बादलों के साथ समझौता किया होता तो मुझे 13 वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को चुनौती दी कि अगर उनके अंदर हिम्मत है तो वह इस बात से इन्कार कर दे कि उन्होंने सुखबीर बादल के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया था और माफी नहीं मांगी थी।