कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- जश्न न मनाएं सुखबीर बादल, कोटकपूरा केस अभी खत्म नहीं हुआ
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को नसीहत दी कि वह हाई कोर्ट के फैसले के बाद जश्न न मनाएं। कहा कि कोटकपूरा केस अभी खत्म नहीं हुआ है। वह एसआइटी की जांच के साथ खड़े हैं।
जेेेेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को कहा है कि कोटकपूरा गोली कांड केस में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर जश्न न मनाएं, क्योंकि केस अभी खत्म नहीं हुआ है। कैप्टन ने सुखबीर को सलाह दी कि जीत के दावे करने से पहले हाई कोर्ट के फैसले की कापी (प्रति) का इंतजार कर लें।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस मामले में चाहे जो भी फैसला हो वह एसआइटी की जांच के साथ खड़े हैैं, जिसमें बादल परिवार को इस घिनौनी घटना से मुक्त नहीं किया गया है। कैप्टन ने दोषियों को सजा दिलाने और पीडि़त परिवारों को इंसाफ दिलाने का प्रण भी लिया।
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कैप्टन ने दोहराया कि सरकार हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी। सुखबीर बादल की ओर से जश्न मनाने की जल्दी से उसकी बौखलाहट जाहिर होती है। उन्होंने कहा कि एसआइटी ने अब तक कोटकपूरा मामले में कोटकपूरा के तत्कालीन अकाली विधायक मनतार सिंह बराड़ समेत छह लोगों के खिलाफ दोष पत्र दाखिल कर दिए हैैं। मनतार बराड़ के खिलाफ दायर चार्जशीट में साफ लिखा गया है कि काल डिटेल को जांचने पर यह सामने आया है कि उसने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को उनके विशेष प्रमुख सचिव (गगनदीप सिंह बराड़, मोबाइल 981580000) और मुख्यमंत्री के ओएसडी (गुरचरन सिंह, मोबाइल) के जरिए फोन किया था।
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कैप्टन ने कहा कि मनतार बराड़ के अलावा कोटकपूरा मामले में चार्जशीट किए गए अन्यों में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हैैं। इनमें लुधियाना का तत्कालीन सीपी परमराज सिंह उमरानंगल, मोगा के तत्कालीन एसएसपी चरनजीत सिंह शर्मा, तत्कालीन थाना सिटी कोटकपूरा के एसएचओ गुरदीप सिंह, कोटकपूरा के तत्कालीन डीएसपी बलजीत सिंह व तत्कालीन एडीसीपी लुधियाना परमजीत सिंह पन्नू शामिल हैं। पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को भी इस केस में चालान जारी किया गया है।
एसआइटी की रिपोर्ट रद होना कैप्टन व बादलों के तालमेल का नतीजा: मान
हाई कोर्ट की ओर से कोटकपूरा गोलीकांड मामले में जांच रिपोर्ट रद कर नई एसआइटी के गठन के आदेश पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान और सांसद भगवंत मान ने कहा कि यह कैप्टन व बादल के आपसी तालमेल (मेलजोल) का नतीजा है। उन्होंने कहा कि बादल ने अपनी सरकार के आखिरी समय में कैप्टन के खिलाफ सारे केस वापस ले लिए थे। अब कैप्टन सरकार अपने अंतिम साल में बादलों के केस वापस ले रही है। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि कैप्टन के केस में गवाह मुकरे थे और बादल के केस में वकील मुकर गया है।
मीडिया से बात करते हुए भगवंत मान ने कहा कि एसआइटी के वरिष्ठ सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह अच्छे और ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने ईमानदारी से जांच की, लेकिन तैयार रिपोर्ट में सुखबीर बादल का नाम आ रहा था। मान ने आरोप लगाया कि कैप्टन सरकार के एडवोकेट जनरल (एजी) अतुल नंदा ने इसी कारण मामले को कोर्ट के सामने अच्छी तरह से पेश नहीं किया। जानबूझकर मामले को कमजोर किया क्योंकि कैप्टन बादल को बचाना चाहते हैं।
मान ने कैप्टन सरकार पर कमजोर वकील रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि रिटायर्ड आइएएस सुरेश कुमार की नियुक्ति के मामले में कैप्टन ने पी. चिदंबरम को हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपना वकील बनाया था। बाहुबली मुख्तार अंसारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में महंगे वकील खड़े किए गए परंतु बेअदबी कांड में एक भी बड़ा वकील नहीं रखा गया। जब कोई केस हारना होता है तो सरकार एजी अतुल नंदा को मामला सौंप देती है। उन्होंने कहा कि कैप्टन बेअदबी और कोटकपूरा मामले के साजिशकर्ता को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। आखिर सरकार सुप्रीम कोर्ट की जगह हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील क्यों नहीं करती? मान ने कहा कि एसआइटी की जांच रिपोर्ट रद होने से कैप्टन की नीयत से पर्दा उठ गया है।
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