कैंसर मरीज को पथरी बता करते रहे इलाज, हो गई मौत, अब अस्‍पताल को देना होगा 40 लाख हर्जाना

एक अस्‍पताल पर कैंसर मरीज का गलत इलाज करने के लिए 40 लाख रुपये का हर्जाना देगा होगा। पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यह जुर्माना लगाया है। अस्‍पताल पर आरोप है कि वह कैंसर मरीज को पथरी बता कर इलाज कर रहा था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 08:50 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:33 AM (IST)
कैंसर मरीज को पथरी बता करते रहे इलाज, हो गई मौत, अब अस्‍पताल को देना होगा 40 लाख हर्जाना
पटियाला के एक कैंसर मरीज का गलत इलाज करने के आरोप में अस्‍पताल को 40 लाख का हर्जाना लगा है।

चंडीगढ़, जेएनएन। एक अस्‍पताल को कैंसर मरीज का गलत इलाज करने के आरोप में 40 लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया गया है। आरोप है कि अस्‍पताल कैंसर पीडि़त व्‍यक्ति का पथरी बता उसका इलाज करता रहा। इससे मरीज की मौत हो गई। पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (State Consumer Dispute Redressal Commission) ने अस्पताल को आदेश दिया है कि वह मरीज की पत्‍नी को यह हर्जाना देने को कहा है।

उपभोक्‍ता आयोग ने पटियाला स्थित नीलम अस्पताल पर लगाया हर्जाना

आयोग ने यह हर्जाना पंजाब के पटियाला के नीलम अस्पताल पर लगाया है। आयोग ने इसके साथ ही 33 हजार रुपये केस खर्च के रूप में अलग से देने के लिए कहा है। मरीज की पत्‍नी रेणू बाला ने शिकायत में बताया था कि उनके पति इंदरजीत को पेट में काफी दर्द था। फरवरी, 2017 में वह अपने पति को नीलम अस्पताल में लेकर गई। वहां डॉक्टरों ने दवाई दे दी, लेकिन इससे उनके पति ठीक नहीं हुए। रेणू के वकील डीएस सौंध ने बताया कि इसके बाद दोबारा अस्पताल गए तो डॉक्टरों ने टेस्ट किए।

पटियाला निवासी मरीज के पेट में था दर्द, डॉक्टर्स ने दो स्टोन बताई थी

उन्‍होंने बताया कि टेस्ट करने के बाद डॉक्टर्स ने इंदरजीत के पेट मेंं दो पथरी बताई। इसके बाद सर्जरी की गई, लेकिन इसके बाद दर्द ज्यादा बढऩे लगा। उन्होंने डॉक्टरों से पूछा था कि अगर वह इलाज नहीं कर सकते तो वह अपने पति को किसी बड़े अस्पताल में ले जाकर इलाज करवा लेंगी। इस पर अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे सही इलाज कर रहे हैं और मरीठ ठीक हो जाएगा।

पीजीआइ ने बताया कि पीडि़त को है कैंसर

जब समस्या बढ़ती चली गई तो रेणू ने पति को चंडीगढ़ पीजीआइ में दिखाया। वहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उनको कैंसर बताश और वह भी चौथे स्टेज का। मरीज की पत्‍नी का कहना था क‍ि समय रहते अगर इलाज होता तो दर्द इतना न बढ़ता। इसके बाद रेणू अपने पति को मैक्स अस्पताल में इलाज के लिए ले गई। जहां उनका कुल खर्च 18 लाख रुपये आया। लेकिन वह अपने पति को नहीं बचा सकी और उनकी मौत हो गई। इसके बाद रेणू ने उपभोक्‍ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।

वहीं, अपना पक्ष रखते हुए अस्पताल और उसके डॉक्टराें ने खुद के खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत बताया। उन्‍होंने दलील दी कि यह सही है कि पीडि़त के किडनी और अन्य जगह दो स्टोन थी, जिसका उन्होंने इलाज भी कर दिया। लेकिन, उस दौरान कैंसर जैसा कोई लक्षण नहीं था।

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