व्यापारी बोले- सीपी का मतलब चंडीगढ़ पुलिस नहीं, चालान पुलिस

इसमें उन्होंने अपनी समस्याओं पर खुल कर चर्चा की। कहा कि व्यापारी लाखों रुपये का टैक्स अदा करते हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 06:53 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 06:53 AM (IST)
व्यापारी बोले- सीपी का मतलब चंडीगढ़ पुलिस नहीं, चालान पुलिस
व्यापारी बोले- सीपी का मतलब चंडीगढ़ पुलिस नहीं, चालान पुलिस

प्रस्तुति राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

सेक्टर-22 शहर की प्रमुख मार्केट है, जहां पर ट्राईसिटी से ही नहीं हरियाणा, पंजाब और हिमाचल से भी रोजाना तमाम लोग खरीदारी करने के लिए आते हैं। यहां पर बस स्टैंड के सामने सबसे बड़ी मार्केट के अलावा ज्वेलर्स और कपड़े की शास्त्री मार्केट है। लेकिन यहां के व्यापारी और खरीदारी करने आए लोग कई परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं। यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत पेड पार्किंग की है। व्यापारियों का कहना है कि पार्किंग की व्यवस्था सिर्फ कागजों में ही स्मार्ट है। मिलीभगत के तहत यहां पर शाम के वक्त फड़ियां भी लगती हैं। इस समय रात 10.30 के बाद शहर में क‌र्फ्यू लग जाता है, लेकिन देर रात तक बस स्टैंड के सामने की मार्केट की पार्किंग में फड़ियां लगी रहती हैं। शनिवार को यहां के व्यापारियों ने दैनिक जागरण के राउंड टेबल कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने अपनी समस्याओं पर खुल कर चर्चा की। कहा कि व्यापारी लाखों रुपये का टैक्स अदा करते हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। व्यापारियों ने कहा कि सीपी का मतलब चंडीगढ़ पुलिस है, लेकिन इन्हें चालान पुलिस कह दिया जाए कोई गलत नहीं होगा। यह हाल तब है जब सेक्टर-22 का एरिया मेयर रविकांत शर्मा का है, जहां से वह पार्षद हैं।

स्मार्ट पार्किंग के नाम पर नगर निगम शहरवासियों के साथ धोखा कर रहा है। मोबाइल मार्केट की पेड पार्किंग में सिर्फ एंट्री शुल्क वसूलने का धंधा चल रहा है। भीतर किसी को वाहन की पार्किंग मिले या नहीं इससे पार्किंग चलाने वाले कर्मचारियों को कुछ भी लेना देना नहीं है। पार्किंग के भीतर ही फड़ियां लगती है। जिस पर नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता भी ध्यान नहीं दे रहा है। देर रात क‌र्फ्यू के दौरान भी फड़ियां लगती हैं। इससे पुलिस की कारगुजारी का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

- विक्रम निझावन

सीनियर उपाध्यक्ष, ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन, सेक्टर-22 बी नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता जब आता है तो वेंडर्स मौके से हट जाते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद फिर से फड़ी बाजार सज जाता है। मार्केट की सफाई व्यवस्था भी चौपट है, जिस तरह से स्मार्ट सिटी का बाजार साफ सुथरा होना चाहिए उस हिसाब से नहीं है। कभी व्यापारियों से नहीं पूछा जाता कि उन्हें क्या चाहिए। मार्केट में लोगों के पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।यहां पर वाटर एटीएम लगने चाहिए।

- सुमीर चावला, व्यापारी यह सुनिश्चत किया हुआ है कि हर कमर्शियल इमारत में आग बुझाने के लिए हाइड्रोलिक सिस्टम लगे। व्यापारियों ने लगवाए भी हुए हैं, लेकिन जब भी आग लगती है तो आग बुझाने से पहले बिजली की सप्लाई बंद करवा दी जाती। ऐसे में हाइड्रोलिक सिस्टम बिना बिजली के कैसे चलेगा। इसका जवाब फायर विभाग के अधिकारियों के पास भी नहीं है। पूरे बाजार के पिछली तरफ एक साल से सड़के खोदी हुई है। सीवरेज सिस्टम बदलने के लिए ऐसा किया गया, लेकिन सड़कों के गढ्ढे आज तक नहीं भरे गए है। इस कारण लोगों और व्यापारियों को खूब परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

- सुभाष नारंग, अध्यक्ष, ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन, सेक्टर-22 बी नगर निगम की ओर से सूखा और गीला कचरे का सेग्रीगेशन करने का आदेश जारी कर दिया गया लेकिन नगर निगम की ओर से अवेयर नहीं किया जाता। बारिश में मार्केट में जलभराव की स्थिति बन जाती है। पैदल चलना काफी मुश्किल हो जाता है। मार्केट का सीवरेज सिस्टम भी ब्लाक रहता है। मार्केट में डस्टबीन की कमी है। पैदल चलने के लिए कोई जगह नहीं है। बस स्टैंड से मोबाइल मार्केट आने के लिए भी रास्ते बनने चाहिए। जो अंडरपास है उसमे बुजुर्गों का निकलना मुश्किल है। बाजार में भिखारियों की काफी तादाद है जिससे लोग परेशान है।

- गोपाल वधवा, महासचिव, ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन, सेक्टर-22 बी

पार्किंग के पास चौंक पर ट्रैफिक पुलिस खड़ी होती है, लेकिन उनका काम लोगों को जागरूक करने का नहीं बल्कि सिर्फ चालान काटने का है।वह सिर्फ चालान पुलिस की तरह काम कर रही है। बस स्टैंड राउंड अबाउट पर पुलिस का ध्यान सिर्फ चालान काटने पर रहता है। पुलिस को चालान की बजाय जाम की स्थिति को कंट्रोल करना चाहिए। प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों को व्यापारियों के लिए पॉलिसी बनाते समय या बाजार की समस्याओं के हल के लिए उनसे समय समय पर राय लेनी चाहिए।

- विक्रम सचदेवा, व्यापारी मोबाइल मार्केट की जो पेड पार्किंग है वहां के प्रवेश द्वार पर पर्ची काटने के लिए कर्मचारियों द्वारा वाहनों की लंबी लाइनें लगा दी जाती है जो कि एक्सिडेंट प्रोन एरिया बन गया है।इस कारण सड़क पर जाम की स्थिति भी बनी रहती है। मेरी खुद की कार का इसी कारण टक्कर हो चुकी है। नगर निगम और प्रशासन के जो अधिकारी है उन्हें लोकल सेल्फ गवर्नमेंट का डिप्लोमा करना चाहिए, ताकि उन्हें पता होना चाहिए कि किस तरह से रेजिडेंट्स को संतुष्ट किया जा सके।

- बलजीत सिंह, व्यापारी बाजार में कई जगह टाइलें टूटी हुई है। एक बार जहां पर खुदाई की जाती है उन गढ्ढों को कई कई माह भरा नहीं जाता है। पानी के रेट बढ़ा दिए गए हैं, लेकिन पानी की काफी किल्लत है। सुबह की पानी की सप्लाई के बाद ही व्यापारी दुकानें खोलते हैं। प्रशासन को चाहिए कि सभी दुकानों को लीज से फ्री होल्ड करके व्यापारियों को राहत देनी चाहिए। गारबेज इकट्ठा करने के लिए कर्मचारी कई बार नहीं आते हैं।रोड गलियों की ठीक तरीके से सफाई नहीं होती है। पार्किग की पर्ची कटवाने के बाद चालकों को जगह नहीं मिलती है। तीन साल के लिए अधिकारी आते है और चले जाते हैं।

- प्रदीप मल्होत्रा, सलाहकार, व्यापार मंडल। प्रशासन के अधिकारी अपने आप को हाईकोर्ट से ऊपर समझते हैं। हाईकोर्ट का फैसला आने के बावजूद व्यापारियों को भेदभाव करते हुए मिस यूज के नोटिस भेजे जा रहे हैं। शहर में लोगों के काम पर अफसरशाही हावी है। मार्केट में पानी की काफी दिक्कत है। दोपहर को 12 से दो बजे तक पानी की सप्लाई का समय है, लेकिन मुश्किल से आधा घंटा पानी की सप्लाई भी नहीं आती है। जबकि दावा किया जा रहा है कि लोगों को 24 घंटे पानी की सप्लाई दी जाएगी। सेक्टर-22 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वीकेंड पर प्रशासन को कार्यक्रम करने चाहिए।

- विशु दुग्गल, किरण थियेटर ब्लाक मार्केट एसोसिएशन, सेक्टर-22 डी

सेक्टर-22 शहर का प्रमुख बाजार है। जहां पर प्रतिदिन हजारों लोग खरीददारी के लिए आते हैं।सेक्टर-22 की मार्केट्स को ज्यादा आकर्षित बनाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आएं और व्यापारियों को फायदा मिले लेकिन इसके विपरीत पहले ही मार्केट आने से पहले लोगों को पार्किंग की चिता सताने लग जाती है। पार्किंग के अंदर वाहनों की सुरक्षा के लिए कोई भी कर्मचारी तैनात नहीं होता है। स्मार्ट पार्किग के नाम पर लोगों से सिर्फ शुल्क वसूला जा रहा है।

- राहुल गांधी, व्यापारी ।

chat bot
आपका साथी