चंडीगढ़ की संध्या शर्मा ने लिखी किताब, बोलीं- पति के देहांत के बाद बेटी ने किया मोटिवेट
किसी में कुछ करने की चाह हो तो परिस्थितियां भी उसके अनुरूप हो जाती हैं। ऐसा ही करके दिखाया है चंडीगढ़ में रहने वाली संध्या शर्मा ने। संध्या शर्मा का कहना है कि उनके पति के देहांत के बाद बेटी ने उन्हें मोटिवेट किया जिसके चलते उन्होंने किताब लिखी।
चंडीगढ़, जेएनएन। समाज में कई घटनाएं होती हैं जिनका हमारे जीवन पर गहरा असर होता है। यही मेरे साथ हुआ है। यह कहना है लेखिका संध्या शर्मा का। संध्या बिहार में स्कूल टीचर थीं। सेवानिवृत होने के बाद बेटी के पास रहने के लिए चंडीगढ़ आ गई। करीब तीन महीने बाद पति का देहांत हो गया। उस समय बेटी ने आगे बढ़ने और लिखने के लिए मोटिवेट किया और पहली पुस्तक संध्या सुरभि को प्रकाशित किया।
संध्या शर्मा ने कहा कि मेरी लेखनी की तारीफ तो हर तरफ होती थी लेकिन मैंने कभी पुस्तकें लिखने पर विचार नहीं किया, जिसका सबसे बड़ा कारण मेरे खुद के काम थे। मैं स्कूल टीचर थी, जिसके चलते ज्यादातर समय बच्चों के साथ बीत जाता और जो बचता वह घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने में गुजर जाता। उस समय तक कभी नहीं सोचा कि मैं लिखकर पुस्तक प्रकाशित कर सकती हूं।
समाजिक और परिवारिक स्थितियों को सकारात्मक तरीके से दिखाने का प्रयास
संध्या शर्मा ने कहा कि हमारे आसपास कई प्रकार की घटनाएं होती हैं, वह हमें सकारात्मक भी लगती हैं और नकारात्मक भी। बहुत सारी घटनाएं ऐसी होती हैं जो कि हमें उस समय गलत लगती हैं, लेकिन उनसे सबक लेकर हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। मेरे साथ जो घटना मेरे बाल्यकाल में हुई उसे आज मैं दूसरों को बताकर मोटिवेट कर सकती हूं और उसके साथ-साथ वैसे समय से निपटने के लिए दूसरों को प्रेरित कर सकती हूं।
दर्द ने कविता लिखने के लिए किया मजबूर
लेखनी में हमेशा मैं कहानियां लिखती थीं लेकिन पति के देहांत ने मुझे कविता लिखने के लिए भी प्रेरित किया है। कविता ऐसी विद्या है जो कि दर्द को उजागर करती है, बशर्ते आपको साहित्य की बारीकियों की समझ होनी चाहिए। पति के जाने का दर्द मुझे कविताएं लिखने के लिए भी प्रेरित कर रहा है। इसके लिए मैं प्रयास कर रही हूं और पाठकों को जल्द ही एक कविता संग्रह दूंगी।