मुद्दों से भटकने का परिणाम है बोर्ड ऑफ गवर्नेस
जल्द ही पंजाब यूनिवर्सिटी से सीनेट और सिडिकेट खत्म हो सकती है।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : जल्द ही पंजाब यूनिवर्सिटी से सीनेट और सिडिकेट खत्म हो सकती है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा जारी नेटिफिकेशन में यह साफ दिख रहा है। बोर्ड ऑफ गवर्नेस को लागू करने के लिए बुधवार को यूजीसी ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज को लेटर लिखा था, जिसके बाद कैंपस के एक खेमे में हलचल का माहौल बना हुआ है। कहा जा रहा है कि अगर बोर्ड ऑफ गवर्नेस लागू होता है तो पीयू से पंजाब का हक भी लगभग खत्म हो जाएगा। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीयू कुलपति बोर्ड ऑफ गवर्नेस को लागू करने के लिए अपनी तैयारियों का क्या ब्योरा देते हैं। सीनेट का कार्यकाल 31 अक्टूबर को खत्म हो रहा है। बोर्ड ऑफ गवर्नेस लागू होने से उम्मीद जताई जा रही है कि पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा भी मिल सकता है। बोर्ड ऑफ गवर्नेस को लेकर सीनेट सदस्यों की राय
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अगर बोर्ड ऑफ गवर्नेस आता है तो हम उसका स्वागत करते है। कैंपस के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नेस बहुत जरूरी है। सीनेट और सिडिकेट में इस समय मुद्दों को लेकर कोई चर्चा नहीं होती।
-(डॉ. सुभाष शर्मा, पीयू फैलो और सीनेट सदस्य) बोर्ड ऑफ गवर्नेस कैंपस के लिए बहुत जरूरी है। कैंपस में कोई भी काम होगा वो बोर्ड ऑफ गवर्नेस की देख रेख में बिना सवालिया निशान उठाए होगा। हम इसका स्वागत करते है।
-(डॉ. नीरू मलिक, सीनेट सदस्य) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कैंपस में आधार तैयार है। इससे भविष्य में काफी फायदा होगा। बोर्ड ऑफ गवर्नेस भी एनईपी का भाग है, इसके लागू होने से कैंपस को ही लाभ होगा।
-(डॉ. सुमन मोर, सीनेट चुनाव के उम्मीदवार) सीनेट एक बेहतरीन लोकतांत्रिक संगठन था, लेकिन इनके सदस्यों के आचरण की वजह से इसकी साख लगातार गिरती गई। अगर बोर्ड ऑफ गवर्नेस लागू होने से पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलता है तो यह ठीक फैसला होगा।
-(डॉ. गुरमीत सिंह, सीनेट सदस्य) सीनेट और सिडिकेट दोनों इस समय राजनीतिक अखाड़ा बन गए थे। यहां पर मुद्दों की बात न होकर एक-दूसरे को नीचा दिखाया जाता है। मेरे हिसाब से बोर्ड ऑफ गवर्नेस लागू होने से पीयू का भला ही होगा।
-(डॉ. अजय रंगा, सीनेट सदस्य) सीनेट को खत्म करने की नहीं बल्कि बदलाव की जरूरत है। सबसे पहले तो सरकार ही यह बात साफ नहीं कर पा रही है कि बोर्ड ऑफ गवर्नेस कैसे लागू किया जाए। इसको लागू करने के लिए काफी फेरबदल करने की जरूरत है, जो इतनी जल्दी संभव नहीं है।
-(प्रो. रजत संधीर, सीनेट सदस्य)