भाजपा की मांग, चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल हो पांच साल, Mayor रविकांत शर्मा ने अयोध्या में रखा प्रस्ताव

चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है लेकिन भाजपा चाहती है कि शहर में मेयर का कार्यकाल भी पांच साल का होना चाहिए। इसके लिए भाजपा ने मांग तेज कर दी है। वहीं मेयर रविकांत शर्मा ने अयोध्या में इस प्रस्ताव को पास करवाया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 09:18 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 09:18 AM (IST)
भाजपा की मांग, चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल हो पांच साल, Mayor रविकांत शर्मा ने अयोध्या में रखा प्रस्ताव
चंडीगढ़ के मेयर रविकांत शर्मा। फाइल फोटो

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर चंडीगढ़ के मेयर का कार्यकाल पांच साल करने की मांग को तेज कर दिया है। मेयर रविकांत शर्मा खुद इस मसले को लेकर केंद्र सरकार से बात करने जा रहे हैं। इस बात का जिक्र मेयर ने अयोध्या में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय महापौर परिषद की तृतीय बैठक में किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान संविधान के 74वें संशोधन को पूर्ण रूप से लागू करवाने के बारे मंत्रालय से बातचीत की जाएगी और महापौर के कार्यकाल को देश भर के नगर निगमों में पांच वर्ष के लिए करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया।

चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का कार्यकाल एक साल का है जो कि काफी कम है। भाजपा के नेता लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि मेयर कार्यकाल पांच साल के लिए होना चाहिए या मेयर का चुनाव सीधे जनता द्वारा करवाया जाना चाहिए। पांच साल का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव मेयर रविकांत शर्मा ने ही रखा था। इस साल के अंत में नगर निगम चुनाव हैं ऐसे में भाजपा चाहती है कि उससे पहले मेयर का कार्यकाल पांच साल कर दिया जाए या कम से कम ढ़ाई साल का कार्यकाल तय होना चाहिए।  

हर साल मेयर चुनाव भाजपा के लिए मुसिबत

हर साल होने वाले मेयर चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी है। क्योंकि हर बार पार्टी को किसी एक का नाम तय होने से दूसरे की नाराजगी मोल लेनी पड़ती है। ऐसे में गुटबाजी हर साल ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में पार्टी चाहती है कि मेयर का कार्यकाल बढ़ना चाहिए। संगठन मंत्री दिनेश कुमार खुद भी चाहते है कि मेयर का कार्यकाल कम से कम ढ़ाई साल का जरूर होना चाहिए।सगठन मंत्री दिनेश कुमार पिछली सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ से मिलकर भी यह मांग कर चुके हैं। अब मेयर चुनाव के बाद एक बार फिर से वह यह मांग हाईकमान के समक्ष जोरों से उठाने जा रहे हैं। या फिर सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर मेयर को मतदान द्वारा चुना जाए। किसी एक गुट का उम्मीदवार बनने से मेयर चुनाव में क्रास वोटिंग की भी संभावना बढ़ जाती है। पिछले साल और इस साल पार्टी के बगावत भी झेलनी पड़ी जिससे पार्षदों और नेताओं के आपस में रिश्ते भी कमजोर होते हैं। चंडीगढ़ भाजपा की इसी गुटबाजी से पार्टी के तत्कालिन प्रभारी प्रभात झा भी नाराज है।

भाजपा में हर बार होती है गुटबाजी

पिछले साल जब पार्टी ने देवेश मोदगिल को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया तो टंडन गुट से आशा जसवाल ने बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन भर दिया। हालांकि बाद में राष्ट्रीय संगठन मंत्री के हस्तक्षेप के बाद आशा जसवाल ने नामांकन वापस ले लिया, लेकिन देवेश मोदगिल से टंडन गुट ने लिखित में माफी तक मंगवाई। पिछले साल जब पार्टी ने राजेश कालिया को मेयर का उम्मीदवार बनाया तो कैंथ ने बगावत करते हुए चुनाव लड़ लिया जिस कारण भाजपा के अपने पार्षदों ने क्रास वोटिंग की जिससे पार्टी की शहर में किरकिरी भी हुई। इस साल भी मेयर रविकांत शर्मा के चुनाव में भी तीन वोट क्रास हुए हैं। संगठन मंत्री दिनेश कुमार का कहना है कि मेयर का कार्यकाल एक साल काफी कम है। दावेदार ज्यादा होते हैं लेकिन बनना तो किसी एक ने ही है। ऐसे में मेयर का कार्यकाल कम से कम ढ़ाई साल का जरूर होना चाहिए या फिर भी मेयर का चुनाव सीधा जनता द्वारा ही चुना जाना चाहिए। हाईकमान को इस मांग से अवगत करवाया गया है अब फिर से यह मांग फिर से मजबूती से उठाई जाएगी।

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