जीरकपुर के गांव मीरपुर मुबारकपुर में बड़ा हादसा, घर की छत गिरने से 10 साल के मासूम की चली गई जान

देर रात हुई इस घटना का पता लगते ही गांव के लोग मौके पर इकट्ठा हुए और छत के नीचे दबे परिवार के लोगों को निकालने में जुट गए। लोगों ने परिवार के सभी सदस्यों को मिट्टी के ढेर से निकाला और अस्पताल ले गए।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 01:09 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 01:09 PM (IST)
जीरकपुर के गांव मीरपुर मुबारकपुर में बड़ा हादसा, घर की छत गिरने से 10 साल के मासूम की चली गई जान
मृतक 10 साल के हरजीत सिंह की फाइल फोटो।

जीरकपुर, जेएनएन। जिला मोहाली के डेराबस्सी के पास जीरकपुर के गांव मीरपुर मुबारकपुर में बड़ा हादसा पेश आया है। गांव में एक परिवार शनिवार रात घर में सो रहा था। अचानक कच्चे मकान की छत सो रहे परिवार के ऊपर गिर गई। इस दर्दनाक हादसे में एक मासूम की जान चली गई।

देर रात हुई इस घटना का पता लगते ही गांव के लोग मौके पर इकट्ठा हुए और छत के नीचे दबे परिवार के लोगों को निकालने में जुट गए। गांव वासियों की मदद से करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद परिवार के सभी सदस्यों को मिट्टी के ढेर से बाहर निकाला गया। घर के सभी सदस्य फिलहाल ठीक हैं लेकिन उनके 10 वर्षीय बच्चे हरजीत सिंह की जान इस हादसे में चली गई। 

परिवारिक मेंबरों ने बताया कि राम मजनू अपने घर में परिवार के साथ सो रहा था। आधी रात को अचानक चीखने चिल्लाने की आवाजें आने लगी। मौके पर जाकर देखा की घर की छत गिर हुई थी और पूरा परिवार मिट्टी के ढेर के नीचे दबा हुआ है। सभी गांववासियों ने दबे हुए लोगों को बाहर निकाला। सभी लोगों को पास के अस्पताल में ले जाया गया। जहां से 10 साल के हरजीत सिंह की हालत ज्यादा गंभीर होने के चलते उसे चंडीगढ़ के सेक्टर -32 स्थित सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

घटना के बाद स्थानीय लोगों में काफी रोष है। लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा जो गरीब लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख में की ग्रांट दी जा रही है, वो ग्रांट इस गांव में किसी भी जरुरतमंद व्यक्ति को आज तक नहीं मिली। जिस वजह से ऐसे हादसे हो रहे हैं। इससे पहले भी एक हादसा यहां पर हो चुका है। लोगों का कहना है कि सरकार के पास लोगों के नाम से पैसे आते तो हैं लेकिन किसी को भी कुछ नहीं देते घर-घर जाकर चेकिंग जरूर करते हैं और चले जाते हैं। इस गांव में रहने वाले ज्यादातर लोगों के मकान कच्चे हैं। 

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