पर्दे के पीछे: पहले तो मिलने नहीं आए सिद्धू साहब, ये जनता का मामला है... पढ़ें पंजाब राजनीति की और भी खबरें

पंजाब कांग्रेस प्रधान बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू सक्रिय हो गए हैं। अक्सर पार्टी नेताओं से दूरी बनाए रखने वाले सिद्धू पार्टी नेताओं से मिलने उनके घरों तक जा रहेे हैं। अब उनसे सवाल भी पूछा जाने लगा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 01:48 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 08:18 AM (IST)
पर्दे के पीछे: पहले तो मिलने नहीं आए सिद्धू साहब, ये जनता का मामला है... पढ़ें पंजाब राजनीति की और भी खबरें
सिद्धू की बढ़ी सक्रियता पर पूछा सवाल। सांकेतिक फोटो

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। नवजोत सिद्धू अपनी प्रधानगी को लेकर आजकल बड़े कांग्रेसी नेताओं का आशीर्वाद लेते नजर आ रहे हैं। जिन नेताओं को तो अभी टिकट की आस है वह तो उनको हरसंभव सहयोग देने की बात कर रहे हैं, लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अपने सिद्धांतों से पीछे हटने को तैयार नहीं। इन्हीं में से एक को मिलने के लिए जब नवजोत सिद्धू उनके घर पर गए तो नेता को बड़ी हैरानी हुई कि इतनी रात को सिद्धू उनसे मिलने क्यों आए हैं? सिद्धू ने सहयोग मांगा तो नेता जी ने कहा, मैंने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मुद्दों की राजनीति शुरू की थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी जमकर बोला हूं पर आप तो जब से कांग्रेस में आए हो, मुझसे मिलने एक बार भी नहीं आए। अचानक मेरी क्या जरूरत पड़ गई? झेंपते हुए सिद्धू बस इतना ही बोल सके, बस समय ही नहीं मिला।

परिवार का नहीं, जनता का मामला है

पिछले कई दिनों से कांग्रेस का अंतर्कलह चल रहा है। इस कलह को लेकर कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के विधायकों का अलग अलग ग्रुप में बैठकें करने का दौर जारी है। कांग्रेस की स्थिति लगभग दोफाड़ होने की कगार पर है, लेकिन जब कुछ मीडियाकर्मियों ने इस बारे में विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस परिवार का अपना निजी मामला है। इसे सुलझा लिया जाएगा। नेता जी यह टिप्पणी करते हुए शायद यह भूल गए हैं कि पिछले दो महीनों से सचिवालय में लगभग कर्फ्यू जैसा माहौल है। कोई भी कैबिनेट मंत्री अपने दफ्तर में आजकल नहीं बैठ रहा है। तमाम काम लगभग रुक चुके हैंं। क्या नेता जी यह नहीं जानते कि ऐसा कांग्रेस में चल रही खींचतान के कारण ही हुआ है। यह कांग्रेस के परिवार का नहीं, बल्कि पंजाब की जनता का मामला है।

...फिर तो घंटा लेट आता

पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बारे में एक बात बड़ी स्पष्ट है कि वह समय के बहुत पाबंद हैं। उनके बारे में कहा जाता था कि जब वह समय देकर किसी जगह पहुंचते हैं तो आप अपनी घड़ी उनके आने पर मिला सकते हो। कई बार जब संगत दर्शन जैसे प्रोग्राम में जाते तो पंडाल खाली मिलते थे, क्योंकि लोगों को उनकी इस आदत के बारे में पता नहीं था, लेकिन उनके बेटे सुखबीर में यह आदत कोसों दूर है। कभी उनके करीबी रहे पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर ढींडसा पिछले दिनों प्रेस कान्फ्रेंस में एकदम सही समय पर पहुंचे तो मीडियाकर्मियों ने उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह गुण उन्होंने बड़े बादल साहब से लिया है। वह समय के बहुत पाबंद हैं। जब पूछा गया कि सुखबीर से आपने कोई गुण लिया है तो उन्होंने कहा कि अगर सुखबीर से गुण ले लेता तो मैं भी एक घंटा लेट आता।

कृषि कानून लागू नहीं हुए, मिल गया फल

तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर पिछले नौ महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। न तो केंद्र सरकार ने ये कानून रद किए हैं और न ही ये लागू हुए हैं, लेकिन डीआइजी हरदयाल मान रिटायरमेंट के बाद पंजाब लोक सेवा आयोग के मेंबर जरूर बन गए हैं। अब आप पूछेंगे कि कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन और हरदयाल मान का आपस में क्या रिश्ता है? जी हां, बड़ा गहरा रिश्ता है। किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच जो 11 बैठकों का दौर चला है उनमें किसानों को मनाने आदि का काम हरदयाल मान कर रहे थे। केंद्र सरकार के निर्देशों पर पंजाब सरकार ने अपने कुछ अधिकारियों को आंदोलनरत किसानों के साथ लगाया था। हरदयाल मान जैसे तमाम अफसरों के बावजूद बात नहीं बनी, लेकिन मान को पंजाब सरकार ने उनकी रिटायरमेंट के बाद पीपीएसी का मेंबर लगाकर फल दे दिया है।

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