हो जाएं सचेत, हर तीसरा शख्स हाईपर टेंशन की गिरफ्त में
हाईपर टेंशन के मरीजों की संख्या दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है। हमारे बीच का हर तीसरा शख्स इसकी चपेट में है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हाईपर टेंशन के मरीजों की संख्या दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है। हमारे बीच का हर तीसरा शख्स इसकी चपेट में है। दुनियाभर में हार्ट डिजीज और समय से पहले होने वाली मौतों में इसे प्रमुख कारण के रूप में देखा जा रहा है। मौजूदा जीवन शैली के कारण यह साइलेंट किलर के रूप में लोगों को धीरे-धीरे अपना शिकार बना रहा है। चिता की बात यह है कि इस साइलेंट किलर की चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों को इस खतरे की जानकारी ही नहीं है। इसकी पुष्टि अंतरराष्ट्रीय सर्वे रिपोर्ट कर रही है। दुनिया में हर साल लगभग 9.4 मिलियन लोग इसकी वजह से मौत का शिकार हो रहे हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि उनके हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण हाईपर टेंशन था। यह बातें ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर व पीजीआइ स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से शनिवार को आयोजित स्टेट लेबल सेंसटाइजेशन मीटिग में सामने आई। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों ने इसके बढ़ने के कारण बताने के साथ ही इसपर अंकुश के उपाय भी सुझाए। पंजाब की स्थिति पर जताई चिता
पंजाब में हाईपर टेंशन के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिता जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने इससे बचाव के व्यापक प्रयास किए जाने की बात कही। वे कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। उनका कहना था कि पंजाब की स्थिति से अवगत होने के बाद उनका यह प्रयास होगा कि इस गंभीर समस्या के समाधान की कार्ययोजना बनाकर उसका क्रियान्वयन कराया जाए। इसके लिए उन्होंने कम्युनिटी मेडिसिन और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पीजीआइ, एसआइपीआरएच और ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर (जीएचएआइ) को मिलकर प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा। डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर का खतरा
इस अवसर पर पीजीआइ के विशेषज्ञों ने बताया कि देश में हर वर्ष होने वाली कुल मौतों में डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर (डीएएलवाईएस)10 प्रतिशत और हाईपर टेंशन 4.6 प्रतिशत कारण बन रहा है। शहर के साथ ही गांव में इसके मरीजों की संख्या पिछले तीन दशकों में तेजी से बढ़ी है। इससे हार्ट डिजीज, किडनी डिजीज, संक्रमण और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। पंजाब एफडीए कमिश्नर केएस पन्नू ने इससे बचाव के लिए राज्य की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाए जाने की बात कही। बचाव के लिए दिए ये सुझाव
-हाईपर टेंशन को प्राथमिकता देने के लिए एनसीडी एक्शन कमेटी का गठन।
-तंबाकू और ऐसे अन्य खतरनाक प्रोडक्ट पर रोक के लिए कानूनों का सख्ती से पालन।
-सभी हेल्थ सेंटरों व वेलनेस सेंटरों पर हाईपर टेंशन दवाओं और जांच की सुविधा उपलब्ध होना।
-हाईपर टेंशन के मरीजों की पहचान के लिए समय-समय पर विशेष सर्वे या कैंप का आयोजन किया जाना।